Pahalgam Attack | कराची की चॉकलेट, पाकिस्तान का वोटर ID... आदि!ऑपरेशन महादेव में मारे गये तीन आतंकियों के लिंक Lashkar-e-Taiba से जुड़ा

By रेनू तिवारी | Aug 04, 2025

जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम में 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव के दौरान मारे गए पहलगाम के तीन आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के वरिष्ठ सदस्य थे, सुरक्षा बलों द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों से यह पुख्ता होता है। एनडीटीवी द्वारा प्राप्त साक्ष्य रिपोर्ट के अनुसार, ये आतंकवादी पहलगाम हमले के दिन से ही दाचीगाम-हरवान के जंगलों में छिपे हुए थे, और गोलीबारी करने वाली टीम में कोई भी स्थानीय कश्मीरी शामिल नहीं था।


ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे

पाकिस्तानी मतदाता पहचान पत्र, कराची में निर्मित चॉकलेट और बायोमेट्रिक रिकॉर्ड वाली एक माइक्रो-एसडी चिप की बरामदगी से यह साबित हुआ कि 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीनों लश्कर आतंकवादी पाकिस्तान से थे।

इसके अलावा, पहलगाम हमले वाली जगह से मिले कारतूसों के खोलों का बैलिस्टिक विश्लेषण भी आतंकवादियों से ज़ब्त की गई एके-103 राइफलों पर लगे धारियों के निशानों से मेल खाता है, जिससे इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि ये तीनों 22 अप्रैल को हुए नरसंहार के पीछे थे, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।


मुठभेड़ के बाद के सबूतों से निकाला गया निष्कर्ष

यह निष्कर्ष हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी किए गए मुठभेड़ के बाद के सबूतों से निकाला गया है। पहलगाम हमले के लगभग तीन महीने बाद, सुरक्षा बलों ने 28 जुलाई को श्रीनगर के दाचीगाम इलाके में ऑपरेशन महादेव में इन तीनों आतंकवादियों का सफाया कर दिया। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में सुलेमान शाह को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड और मुख्य शूटर बताया गया है। अबू हमजा "अफगानी" दूसरा हमलावर था, जबकि यासिर उर्फ जिबरान तीसरा शूटर था।


लेमिनेटेड मतदाता पहचान पत्र पर्चियाँ बरामद की गईं

सुलेमान शाह और अबू हमज़ा के शवों से पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी दो लेमिनेटेड मतदाता पहचान पत्र पर्चियाँ बरामद की गईं। लाहौर (एनए-125) और गुजरांवाला (एनए-79) की मतदाता सूचियों में क्रमशः मतदाता क्रमांक पाए गए हैं। एक और तकनीकी सफलता में, एक क्षतिग्रस्त सैटेलाइट फोन से बरामद एक माइक्रो-एसडी कार्ड में तीनों व्यक्तियों के एनएडीआरए (पाकिस्तान की राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्री) बायोमेट्रिक रिकॉर्ड थे, जो उनकी पाकिस्तानी नागरिकता की पुष्टि करते हैं। बरामद किए गए डेटा में उंगलियों के निशान, चेहरे के नमूने और वंशावली के रिकॉर्ड शामिल थे। उनके पंजीकृत पते चांगा मंगा (कसूर जिला) और रावलकोट, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के पास कोइयाँ गाँव में हैं। इसके अलावा, मारे गए आतंकवादियों के सामान में 'कैंडीलैंड' और 'चोकोमैक्स' चॉकलेट (दोनों कराची में निर्मित ब्रांड) के रैपर पाए गए, जिससे उनके पाकिस्तानी संबंधों की पुष्टि होती है।

 

 

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प्रवेश मार्ग और समयरेखा स्थापित

साक्ष्य दर्शाते हैं कि तीनों आतंकवादी मई 2022 में गुरेज सेक्टर के पास नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर आए थे। खुफिया ब्यूरो के इंटरसेप्ट्स ने उस दौरान पाकिस्तान की ओर से उनकी पहली रेडियो जाँच दर्ज की है। रिपोर्ट में पाया गया है कि 21 अप्रैल, 2025 को आतंकवादी बैसरन घाटी से 2 किलोमीटर दूर हिल पार्क में एक मौसमी झोपड़ी ("ढोक") में चले गए। रिपोर्ट के अनुसार, "हिरासत में लिए गए दो कश्मीरी मददगारों, परवेज और बशीर अहमद जोथर ने उन्हें रात भर पनाह देने और पका हुआ खाना उपलब्ध कराने की बात कबूल की है।" आतंकवादी 22 अप्रैल की सुबह बैसरन घास के मैदान तक पैदल गए। उन्होंने गोलीबारी की, जिसमें बाद में दिन में 26 नागरिक मारे गए और फिर उत्तर-पूर्व में दाचीगाम की ओर भाग गए। सुलेमान शाह के गार्मिन उपकरण से बरामद जीपीएस वेपॉइंट प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा बताई गई गोलीबारी की सटीक स्थिति से मेल खाते थे। घटनास्थल पर मिले खोल भी 28 जुलाई को बरामद की गई तीन एके-103 राइफलों से मेल खाते थे।

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पहलगाम हमले से संबंध

फोरेंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण ने इस बात की पुष्टि की कि ये तीनों वही आतंकवादी थे जिन्होंने 22 अप्रैल को उत्पात मचाया था और पिकनिक मना रहे और सुरम्य बैसरन घाटी की सुंदरता का आनंद ले रहे निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी थी। बैसरन हमले स्थल पर मिले 7.62x39 मिमी के कारतूसों के खोलों का विश्लेषण आतंकवादियों से जब्त की गई तीन एके-103 राइफलों पर लगे धारियों के निशानों से मेल खाता था। इसके अलावा, पहलगाम में एक फटी हुई कमीज पर मिले खून से निकाले गए माइटोकॉन्ड्रियल प्रोफाइल दाचीगाम में बरामद तीनों शवों के डीएनए से मिलते-जुलते थे।


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