कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू में ट्रांसफर की मांग पर अड़े, विरोध प्रदर्शन हुआ तेज

By नीरज कुमार दुबे | May 17, 2022

श्रीनगर। कश्मीरी पंडित राहुल भट की हत्या का मामला बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। एक ओर जहां कश्मीरी पंडित कर्मचारी सरकार से खुद को सुरक्षित जगह भेजने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने केंद्र और उपराज्यपाल प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उनकी नीतियों के चलते कश्मीर में इस तरह के हालात बने हैं। इस बीच, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के खिलाफ किए गए पुलिस के कथित बल प्रयोग मामले की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही उपराज्यपाल ने जम्मू कश्मीर पुलिस को घाटी में प्रधानमंत्री पैकेज योजना के तहत कार्य करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने में प्रशासन की कथित विफलता और राहुल भट की हत्या के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री के रोजगार पैकेज के तहत नियुक्त किए गए कश्मीरी पंडित कर्मचारी श्रीनगर में प्रेस कॉलोनी में इकट्ठा हुए और अपनी सुरक्षा और घाटी के बाहर स्थानांतरित करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रभासाक्षी संवाददाता से बातचीत में सभी ने कहा कि हमें यहां डर लगता है इसलिए हमें जम्मू में ट्रांसफर किया जाये।

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महबूबा की बयानबाजी


उधर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि कश्मीर पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या मामले का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है। पत्रकारों से बात करते हुए महबूबा ने कहा कि गुपकार नेताओं ने इस मामले में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और उन्हें कश्मीरी पंडितों की समस्याओं से भी अवगत कराया।


महबूबा ने कहा कि हम कश्मीरी पंडितों के महत्व को अच्छी तरह से जानते हैं, वे कश्मीर के अभिन्न अंग हैं। लेकिन कश्मीर पंडितों के बारे में दावा करने के बावजूद, सरकार उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि हमारे शासन के दौरान किसी भी कश्मीरी पंडित को किसी अप्रिय घटना का सामना नहीं करना पड़ा था।


सेना की प्रतिक्रिया


दूसरी ओर, सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कश्मीरी पंडितों और गैर स्थानीय मजदूरों की आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याएं कश्मीर में आतंकवाद को जीवित रखने के लिए की गई हैं। ले. जनरल द्विवेदी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने घाटी में आतंकवाद को स्थानीय रंग देने के लिए मुखौटा ‘तंज़ीमें’ (संगठन) बनाए हैं। खबरों के अनुसार, द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ), गजनवी फोर्स, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट, गिलानी फोर्स, लश्कर-ए-मुस्तफा, लश्कर-ए-इस्लाम और जम्मू-कश्मीर फ्रीडम फाइटर जैसे आतंकी संगठनों ने पिछले डेढ़ साल के दौरान घाटी में आतंकवादी हमलों, खासकर, हिंदुओं की हत्याओं की जिम्मेदारी ली है।

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उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में, आतंकवादियों ने गैर-स्थानीय मजदूरों, कश्मीरी पंडितों और कश्मीर की शांति, समृद्धि और भलाई में योगदान देने वालों को निशाना बनाया है, जो यह दर्शाता है कि हिंसा के आयोजकों के बीच निराशा पैदा हो रही है और वे हताश हो रहे हैं। ले. जनरल द्विवेदी ने कहा, “उनके कृत्यों से मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन और कश्मीरियत का अपमान हो रहा है।” उन्होंने कहा कि लोग जागरूक हैं और उनमें राष्ट्र विरोधी तत्वों के नापाक मंसूबों को नकारने के लिए समझ और साहस आ गया है। ले. जनरल द्विवेदी ने कहा कि गैर-स्थानीय मजदूरों और कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हमलों की घटनाओं का विश्लेषण किया गया है और इन खतरों को खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं।


हम आपको बता दें कि मीडिया खबरों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर का अगस्त 2019 में विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से कश्मीर में 17 कश्मीरी पंडितों और गैर स्थानीय की आतंकवादियों ने हत्या कर दी है। 2021 में तीन कश्मीरी पंडितों, एक सिख और पांच गैर स्थानीय मजदूरों की हत्याएं की गई हैं। इस साल अब तक दक्षिण कश्मीर और श्रीनगर में 10 कश्मीर पंडितों और गैर स्थानीय मजदूरों को आतंकवादियों ने गोली मारकर जख्मी कर दिया है। इस साल मार्च से तीन कश्मीरी हिंदुओं को निशाना बनाया गया है। उनमें से सतीश कुमार सिंह और राजस्व विभाग में कर्मी राहुल भट की मौत हो गई। बाल कृष्णन नाम के एक कश्मीरी पंडित को अप्रैल में शोपियां में गोली मारकर जख्मी कर दिया गया था। उन्होंने 1990 के दशक में कश्मीर से पलायन नहीं किया था और वे दवाई की दुकान चलाते हैं। बहरहाल, माना जा रहा है कि कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार भी कोई बड़ा कदम उठाने जा रही है।

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