By अनन्या मिश्रा | Aug 02, 2025
हालांकि यह सिर्फ आंखों की हल्की थकान नहीं है, बल्कि यह तेजी से बढ़ती हुई समस्या है। जिससे आंखों में जलन, धुंधलापन, सूखापन और लगातार सिरदर्द बना रह सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस डिजिटल चुनौती के दौर में अपनी आंखों की सेहत का कैसे ध्यान रखा जा सकता है।
डिजिटल आई स्ट्रेन एक ऐसी स्थिति है, जो लंबे समय तक डिजिटल स्क्रीन जैसे फोन, टीवी और कंप्यूटर के उपयोग से होती है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी, अनुचित दूरी, बार-बार पलक झपकना या रोशनी में काम करना आई स्ट्रेन का मुख्य कारण है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 50-90% लोग जो रोजाना 2-3 घंटे से अधिक समय स्क्रीन पर बिताते हैं। इस समस्या से प्रभावित होते हैं। आई स्ट्रेन के लक्षणों में सूखापन, आंखों में दर्द, धुंधला दिखना, थकान और सिरदर्द आदि शामिल है।
लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने के कारण आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे आपकी स्लीप साइकिल को प्रभावित करती है। वहीं कम पलक झपकने की वजह से आंखें सूखी रहती हैं। जिसकी वजह से जलन और असहजता होती है। गलत बैठने की मुद्रा, खराब रोशनी और स्क्रीन की गलत दूरी भी आई स्ट्रेन की समस्या को बढ़ाते हैं।
इस समस्या से बचाव के लिए हर 20 मिनट में 20 सेकेंड के लिए स्क्रीन से हटकर 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें। इससे आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
स्क्रीन पर देखते समय आमतौर पर लोग कम पलक झपकाते हैं। जिससे आंखें सूखती हैं। सचेत रूप से बार-बार पलकों को झपकाएं।
स्क्रीन की ब्राइटनेस को कम करें और नीली रोशनी को कम करने वाला फिल्टर लगाएं या फिर चश्मे का इस्तेमाल करें।
आंखों से 20-24 इंच की दूरी पर स्क्रीन को रखना चाहिए। आंखों के लेवल से सिर्फ 10-15 डिग्री नीचे रखें।