झारखंड में महाखेला? 'हेमंत अब होंगे जीवंत' बयान से गरमाई राजनीति, JMM-BJP गठजोड़ की अटकलें तेज

By अंकित सिंह | Nov 18, 2025

बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला है। एनडीए गठबंधन बंपर जीत के साथ एक बार फिर से वापसी कर चुका है। मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार फिर से 10वीं बार शपथ लेने जा रहे हैं। दूसरी ओर झारखंड की राजनीति अब तेज होती दिखाई दे रही है। भाजपा प्रवक्ता डॉ अजय आलोक के एक पोस्ट में सियासी हलचल तेज कर दिया है। अजय आलोक ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि अब नया बम झारखंड में, हेमंत अब जीवंत होंगे। ऐसे में अजय आलोक के इस पोस्ट को सत्ता परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने अजय आलोक के इस ट्वीट को बेबुनियाद करार दिया है।  

 

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दावा किया जा रहा है कि बिहार में सीट बंटवारे के दौरान हेमंत सोरेन की पार्टी को सीट न मिलने से वह नाराज बताए जा रहे हैं। इसके बाद से कई तरह की खबरें भी चल रही है। खबर यह है कि झारखंड में भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा मिलकर सरकार बना सकती हैं। यही कारण है कि इस तरह के एक्स पोस्ट को लेकर अब चर्चा तेज हो गई है। खबर यह भी है कि बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की करारी हार के कुछ दिनों बाद, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) अब झारखंड में कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन की समीक्षा करने पर विचार कर रहा है।


झामुमो महासचिव विनोद पांडे ने कहा, "बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान राजद और कांग्रेस ने झामुमो के साथ तालमेल नहीं बिठाया; दोनों दलों ने झामुमो को कम करके आंका।" गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख गठबंधन सहयोगी होने के बावजूद, राजद ने झामुमो को एक भी सीट नहीं दी और कांग्रेस भी इस मुद्दे पर चुप रही। बाद में, झामुमो ने बिहार में विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया और दावा किया कि यह फैसला उसके सहयोगी राजद और कांग्रेस द्वारा एक "राजनीतिक साजिश" के चलते लिया गया है, जिसके कारण उसे सीटें नहीं मिलीं।

 

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शुरुआत में, झामुमो 16 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार था, लेकिन बाद में पार्टी ने कहा कि वह 12 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चुनाव करीब आने पर, वे केवल छह सीटों पर ही समझौता करने को तैयार थे, लेकिन कांग्रेस और राजद ने इससे इनकार कर दिया। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनावों ने झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है, जिससे कांग्रेस और राजद को राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर संभावित मतभेदों को संभालने के लिए तेज़ी से कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।

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