ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा से कमजोर पड़ा किसान आंदोलन, 1 फरवरी को होने वाला संसद मार्च स्थगित

By अंकित सिंह | Jan 27, 2021

गणतंत्र दिवस के दिन किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड में हुए हिंसा के बाद अब किसान आंदोलन कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है। इस हिंसा का असर यह हुआ है कि किसान नेताओं के तेवर बदल रहे है। इतना ही नहीं, 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने के दिन किसानों के संसद मार्च की योजना भी रद्द हो गई है। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि प्रति रैली सरकारी साजिश से प्रभावित हुई। एक फरवरी को बजट पेश किए जाने के दिन संसद मार्च की योजना रद्द कर दी गयी है। किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुयी हिंसा पर स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा लाल किला की घटना पर हमें खेद है और हम इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। दर्शन पाल ने कहा कि तीस जनवरी को देश भर में आम सभाएं व भूख हड़ताल आयोजित की जाएंगी, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेता शिवकुमार कक्का ने हिंसा के संबंध में कहा हमारे पास वीडियो क्लिप हैं, हम पर्दाफाश करेंगे कि किस प्रकार हमारे आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गयी। आपको बता दें कि दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में 300 पुलिस कर्मियों के घायल होने के बाद इस मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 37 किसान नेताओं के नाम हैं। वहीं दो किसान संघों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन से बुधवार को अलग होने का फैसला किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि 22 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिये विभिन्न वीडियो और सीसीटीवी फुटेज देखी जा रही हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने कहा कि समयपुर बादली में दर्ज प्राथमिकी में टिकैत, यादव, दर्शन पाल और चढ़ूनी समेत 37 किसान नेताओं के नाम हैं और उनकी भूमिका की जांच की जाएगी। 

 

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प्राथमिकी में आईपीसी की कई धाराओं का उल्लेख है जिनमें 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगों के लिए सजा), 353 (किसी व्यक्ति द्वारा एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकना) और 120बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं। किसान संघ लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि “असामाजिक” तत्वों ने कृषि कानूनों के खिलाफ उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को “नष्ट करने के लिये” हिंसा की साजिश रची थी, हालांकि मंगलवार को हुई हिंसा को लेकर बड़े पैमाने पर हो रही आलोचना का असर दिख रहा है और भारतीय किसान यूनियन (भानु) और ‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी’ ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन से हटने का फैसला किया है।

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