By अभिनय आकाश | Jul 14, 2022
दुनियाभर में बदलते समीकरणों के बीच अलग-अलग देश अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। सुपर पावर अमेरिका भी इन समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पीछे नहीं रहना चाहता है। इस बीच अमेरिका का भारत पर भी खास फोकस है। इसी फोकस के बीच अब आई2यू2 टर्म चर्चा में है। दुनियाभर में अमेरिकी गठबंधनों को सक्रिय करने और उनमें नई जान फूंकने की कोशिशों के तहत बाइडेन प्रशासन एक और कदम उठा रहा है। अब भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका का नए ग्रुप अपना पहला ऑनलाइन शिखर सम्मेलन आई2यू2 आयोजित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज चार देशों के समूह 'आई2यू2' के पहले आभासी शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, इजरायल के पीएम यायर लापिड और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ शामिल होंगे।
क्यों अहम है I2U2 की मीटिंग
आईट्यू2 मतलब भारत, इस्राइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात का संगठन। इसमें आई भारत, इस्राइल का शुरुआती तो यू अमेरिका और यूएई का शुरुआती शब्द है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन इस सम्मेलन में इस्राइल के नए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति यायर लापिड के साथ वहां मौजूद रहेंगे।
क्या सैन्य गठजोड़ भी होगा ?
नहीं। जब इन देशों ने आई2 यू2 समूह की स्थापना की तो शुरू से ही साफ रुख था इसमें आपसी व्यापार और दूसरे सहयोग पर चारों देश एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। इसमें सैन्य सहयोग अभी कोई अजेंडा नहीं होगा। ऐसा ही सहयोग क्वॉड देशों के बीच है। लेकिन सभी देशों की समुद्री सुरक्षा की अपनी चिंता है, ऐसे में उस मोर्चे पर सहयोग होगा और सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान हो, इस सिद्धांत को यह समूह देश माना जाएगा।
क्यों कहा गया पश्चिम एशिया का क्वॉड
आई2यू2 की परिकल्पना कोविड के दौरान ग्लोबल सहयोग के लिए बना था। पिछले साल अक्तूबर में इन चारों देशों के विदेश मंत्री की मीटिंग हुई, जिसमें सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए सभी देशों के प्रमुख की मीटिंग भी नियमित करने पर सहमति जताई। विदेश मंत्रियों की मीटिंग में समुद्री सुरक्षा, आपसी व्यापार बढ़ाने, मानव संसाधन और तकनीक आदान प्रदान के अलावा उसी मीटिंग में इसे पश्चिम एशिया का क्वॉड कहा गया।
क्यों अहम है ये मीटिंग
यह मीटिंग इसलिए अहम है कि अमेरिका अरब देशों के बीच सालों बाद बेहतर संबंध करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही पहली बार इस्राइल के अरब देशों से बेहतर संबंध हो रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे मुस्लिम देशों के आपसी समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे। भारत इस बदलाव को अपने पक्ष में मान रहा है। भारत को तत्काल उम्मीद है कि इस दौरे से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने पर सहमति बन सकती है।