भारतीय जनजीवन में गणेशजी का अद्वितीय स्थान है। पंच देवताओं में वे अग्रगण्य हैं। प्रत्येक उत्सव, समारोह अथवा अनुष्ठान का आरंभ उन्हीं की पूजा−अर्चना से होता है। वे विद्या और बुद्धि के देवता हैं। इसके साथ ही वे विघ्न−विनाशक भी हैं। भगवान गणेश का अवतार ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के रूप में हुआ है। इस कारण हमारे देश में किसी भी अच्छे काम की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का आह्वान एक आम बात है। साथ ही इस त्योहार से हम अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सद्भाव ला सकते है। पंचदेवों में से एक भगवान गणेश सर्वदा ही अग्रपूजा के अधिकारी हैं और उनके पूजन से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। श्रीगणेश के स्वतंत्र मंदिर कम ही जगहों पर देखने को मिलते हैं, परंतु सभी मंदिरों, घरों, दुकानों आदि में भगवान गणेश विराजमान रहते हैं। इन जगहों पर भगवान गणेश की प्रतिमा, चित्रपट या अन्य कोई प्रतीक अवश्य रखा मिलेगा। लेकिन कई स्थानों पर भगवान गणेश का स्वतंत्र मंदिर भी स्थापित है और उसकी महत्ता भी अधिक बतायी जाती है। भारत ही नहीं भारत के बाहर भी भगवान गणेश पूजे जाते हैं। भगवान गणेश का अवतार ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के रूप में हुआ है। इस कारण हमारे देश में किसी भी अच्छे काम की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का आह्वान एक आम बात है।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए माता−पिता के आशीर्वाद से सदैव विजय प्राप्त करने के लिए गणेश जी के आदर्श हम सभी के लिए प्रेरणादायी हैं। गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक पारंपरिक और सांस्कृतिक त्यौहार है। यह भगवान गणेश की पूजा, आदर और सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। भगवान गणेश देवी पार्वती और भगवान शिव के प्यारे बेटे हैं। गणेश चतुर्थी त्यौहार के महापुरूष भगवान गणेश हैं। ये बुद्धि और समृद्धि के भगवान हैं इसलिये इन दोनों को पाने के लिये लोग इनकी पूजा करते हैं। वो लोगों के जीवन से सभी बाधाओं और मुश्किलों को हटाते हैं साथ ही साथ उनके जीवन को खुशियों से भर देते हैं। कोई भी नया काम करने से पहले भारत में लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं। वो सभी बच्चों के लिये सबसे प्यारे भगवान हैं। बच्चे प्यार से उन्हें दोस्त गणेशा कहते हैं क्योंकि वो उनको प्यार करते हैं तथा ध्यान रखते हैं। लोग ऐसा भरोसा करते हैं कि गणेश जी हर साल ढेर सारी खुशी और समृद्धि के साथ आते हैं और जाते वक्त सभी दुखों को हर जाते हैं। इस उत्सव पर गणेश जी को खुश करने के लिये भक्त विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ करते हैं। उनके सम्मान और स्वागत के लिये गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में इसे मनाया जाता है।
भगवान श्रीगणेश का हमारे जीवन में कितना धार्मिक महत्व है यह इसी बात से समझा जा सकता है कि किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में उनका स्मरण किया जाता है। इसका कारण उनको भगवान शिव तथा अन्य देवताओं द्वारा दिया गया है वह वरदान है जो उनको अपने बौद्धिक कौशल के कारण मिला था। श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री विध्नहर्ता की पूजा−अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते हैं। चतुर्थी के दिन एक समय रात्रि को चंद्र उदय होने के पश्चात भोजन करे तो अति उत्तम रहता है तथा रात में चन्द्र को अर्ध्य देते समय नजरों को नीचे की ओर रखा जाता है। इस दिन चन्द्र दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है।
कथानुसार एक बार मां पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपने मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसका नाम गणेश रखा। फिर उसे अपना द्वारपाल बना कर दरवाजे पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गईं। थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और द्वार के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया। इस पर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश के सिर को काट दिया और द्वार के अन्दर चले गए। जब मां पार्वती ने पुत्र गणेश जी का कटा हुआ सिर देखा तो अत्यंत क्रोधित हो गईं। तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनको शांत किया और भोलेनाथ से बालक गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया। महामृत्युंजय रुद्र ने उनके अनुरोध को स्वीकारते हुए एक गज के कटे हुए मस्तक को श्री गणेश के धड़ से जोड़ कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। पार्वती जी हर्षित हो कर पुत्र गणेश को हृदय से लगा लेती हैं तथा उन्हें सभी देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद देती हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस समय बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया।
चतुर्थी को व्रत करने वाले के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं, सिद्धियां प्राप्त होती हैं। किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी का स्मरण किया जाता है जिस कारण इन्हें विघ्नेश्वर, विघ्न हर्ता कहा जाता है। भगवान गणेश समस्त देवी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता हैं। इनकी उपासना करने से सभी विघ्नों का नाश होता है तथा सुख−समृद्धि व ज्ञान की प्राप्ति होती है। श्री गणेश चतुर्थी का उपवास जो जन पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है, उस जन की बुद्धि और ऋषि−सिद्धि की प्राप्ति होने के साथ−साथ जीवन में आने वाली विध्न बाधाओं का भी नाश होता है।
- बाल मुकुन्द ओझा