कैप्टन के गांव में रैली कर गया दंगे का आरोपी लक्खा सिधाना, पुलिस देखती रह गयी

By राकेश सैन | Feb 25, 2021

पंजाब की कानून व्यवस्था व किसानों के नाम पर गुंडा तत्वों को दी जा रही शह का ही परिणाम है कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा का मुख्य आरोपी लक्खा सिधाना राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पैतृक गांव में दिखाई दिया, वह भी किसी अज्ञात जगह नहीं बल्कि रैली के दौरान मंच पर। सिधान सफेद शर्ट पहने हुए बठिंडा की किसान रैली में मंच पर जाकर बैठ गया। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी की सूचना के लिए 1 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की थी। बठिंडा के महाराज गांव में हो रही महारैली में किसानों का हुजूम उमड़ा। इस दौरान किसान नेताओं ने मंच से चेतावनी दी कि अगर यहां दिल्ली पुलिस आई तो उसका घेराव किया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस समय लक्खा सिधाना किसानों की रैली में मौजूद था उस समय पंजाब पुलिस का एक जवान भी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिया। वह मंच पर करीब एक घंटे 45 मिनट मौजूद रहा। इसके बाद लोग उसे रैली स्थल से बाहर ले गए। वहीं, उसने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला और कहा कि वह इस आंदोलन को तोड़ना चाहती है।

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दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार तो कैप्टन होंगे जिम्मेदार!


लक्खा सिधाना ने कहा कि अब आंदोलन इतना बड़ा है कि पुलिस किसी को अरेस्ट नहीं कर सकती। अगर पंजाब में किसी को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली पुलिस आती है और पंजाब पुलिस उस टीम का सहयोग करती है तो उसके जिम्मेदार कैप्टन अमरिंदर सिंह होंगे। अगर मोर्चा हटा तो पंजाब तबाह हो जाएगा। जितनी संख्या मोर्चे में आंदोलनकारियों की होनी चाहिए उतनी वहां नहीं है। लक्खा ने दुकानदारों और आढ़तियों को भी मोर्चे में शामिल होने की अपील की। साथ ही साथ उसकी अपील पर हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों का शुक्रिया कहा। लक्खा ने कहा कि आने वाले दिनों में मैं किसान संगठनों से कहना चाहूंगा कि वो कोई बड़ा कार्यक्रम करें और पूरा पंजाब का यूथ उसमें शामिल होगा। इसके अलावा उसने नेशनल मीडिया और कुछ पंजाब के चैनल्स पर अपनी भड़ास निकाली।


26 जनवरी को लाल किला हिंसा मामले में फरार मुख्य आरोपी लखबीर सिंह उर्फ लक्खा सिधाना पर दिल्ली पुलिस ने एक लाख रुपए इनाम का ऐलान किया था। घटना के बाद से दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल गैंगस्टर से सामाजिक कार्यकर्ता बने सिधाना की तलाश में जुटी थी और इसी सिलसिले में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में लगातार छापेमारी की जा रही थी। 26 जनवरी को हुई हिंसा की घटना में शामिल होने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल होने के आरोप में दीप सिद्धू, जुगराज सिंह, गुरजोत सिंह और गुरजंट सिंह की गिरफ्तारी पर 1 लाख रुपए का ईनाम रखा था। इसके अलावा, जगबीर सिंह, बूटा सिंह, सुखदेव सिंह और इकबाल सिंह पर 50,000 रुपए नकद ईनाम देने का ऐलान किया था।

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राष्ट्रीय राजधानी में 26 जनवरी को ही किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा हुई थी। गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड का लक्ष्य कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग करना था। दिल्ली पुलिस ने राजपथ पर समारोह समाप्त होने के बाद तय रास्ते से ट्रैक्टर परेड निकालने की अनुमति दी थी, लेकिन हजारों की संख्या में किसान समय से पहले विभिन्न सीमाओं पर लगे अवरोधकों को तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए। कई जगह पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई और पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा। प्रदर्शनकारी लाल किले में भी घुस गए थे और वहां ध्वज स्तंभ पर धार्मिक झंडा लगा दिया था। इस हिंसा में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए थे।


-राकेश सैन

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