ललित मोदी: अपने अंदाज से सरप्राइज करने की आदत, कभी अकेले खड़ा किया पूरा IPL, मदद कर फंसी थीं सुषमा स्वराज, वसुंधरा को आज भी घेरते हैं विरोधी

By अभिनय आकाश | Jul 15, 2022

भारत की पहली मिस यूनिवर्स और एक्ट्रेस सुष्मिता सेन के साथ अपने रिश्ते को कन्फर्म करने को लेकर एक बार  फिर से भारत के भगोड़े बिजनेसमैन ललित मोदी चर्चा में आ गए हैं। हर तरफ उनकी और सुष्मिता सेन की ही चर्चा हो रही  है। सुष्मिता सेन के संग अपनी तस्वीरें पोस्ट करने वाले ललित मोदी इस वक्त सोशल मीडिया की टॉप ट्रेंड बने हुए हैं। अब ये हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ललित मोदी हैं कौन जिससे सुष्मिता सेन अपना दिल दे बैंठी हैं। सबसे पहले आपको बता दें कि ललित कुमार मोदी भारत के उन तमाम भगोड़े बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार हैं। 

हमेशा से सरप्राइज देने की आदत 

मोदी में हमेशा सरप्राइज देने की आदत थी, जैसे उन्होंने 14 जुलाई देर रात ट्विटर पर पूर्व मिस यूनिवर्स 1994 सुष्मिता सेन के साथ "नई शुरुआत" के बारे में घोषणा कर की। पोस्ट में 'बेटर हाफ' हैशटैग भी था। कुछ ही मिनटों में वह अपने वायरल ट्वीट में एक ट्विस्ट देते हुए उन्होंने कहा कि बस स्पष्टता के लिए, शादी नहीं की - बस एक दूसरे को डेट कर रहे हैं। वो भी एक दिन होगा। बीसीसीआई में मोदी के शुरुआती दिन भी बेहद दिलचस्प थे। पुराने जमाने के लोग उससे नफरत करते थे। उन्हें एक अपस्टार्ट के रूप में देखा गया था। साल 2007 में जब टी-20 वर्ल्डकप की वजह से भारत में टी-20 क्रिकेट की पॉपुलैरिटी अपने चरम पर थी। उसी दौरान ललित मोदी इंडियन प्रीमियर लीग को लॉन्च करने की तैयारियों में जुटे हुए थे। ललित मोदी ने अकेले ही इस आइडिया को बीसीसीआई के सामने रखा और अकेले दमपर इसे लॉन्च भी किया।  

125 करोड़ रुपये के कमीशन का आरोप

भारत में सबसे लोकप्रिय लीग आईपीएल की शुरुआत ललित मोदी ने ही की थी। आईपीएल के फाउंडर ललित मोदी ही हैं। साल 2008 से 2010 तक ललित कुमार आईपीएल के कमिश्नर के पद पर बने रहे। साल 2010 में मोदी पर आईपीएल में करप्शन करने का आरोप लगा। इन आरोपों पर ये भी कहा गया कि उन्होंने दो आईपीएल टीमों की निलामी गलत तरीके से की थी। दरअसल, ललित मोदी ने वर्ल्ड स्पोर्ट्स को आईपीएल का 425 करोड़ का ठेका दिया था। इस ठेके में से उन्हें खुद के लिए कमीशन लेने का आरोप लगा। खबरों की मानें तो ललित मोदी ने इसमें से खुद के लिए 125 करोड़ रुपये कमीशन लिया। इतना ही नहीं उन पर कई तरह की गड़बड़ियों का आरोप भी लगा। 

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वसुंधरा से करीबी का उठाया फायदा 

वसुंधरा के 2003 में पहली बार सीएम बनने के ठीक डेड़ दशक पहले से ही उनकी दोस्ती ललित मोदी से हो गई थी। दोनों 1990 के दौरान ही एक दूसरे से मिले थे। थी जब ललित मोदी ग्वालियर में अपनी एक फैक्ट्री के लिए क्लीयरेंस की कोशिशों में लगे थे। इसके बाद से दोनों की दोस्ती लगातार प्रगाढ़ होती रही। वसुंधरा जब पहली बार सीएम बनी तो मोदी ने उनके साथ अपनी नजदीकियों का भरपूर फायदा उठाया। ललित मोदी ने खुद एक इंटरव्यू में बताया कि कब-कब वसुंधरा राजे ने उनकी मदद की। अब तक कई सारे गड़े मुर्दे उखड़ गए हैं, जिनसे पता चलता है कि वसुंधरा राजे ने ललित मोदी का साम्राज्य खड़ा करने में मदद की थी और बदले में उन्हें भी मदद मिली। वसुंधरा के पिछले कार्यकाल में ललित मोदी से उनकी निकटता और सरकार में मोदी के कथित हस्तक्षेप को लेकर काफी विवाद हुए थे। ललित मोदी को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनवाने में तत्कालीन राज्य सरकार ने विशेष दिलचस्पी ली थी। तब राजस्थान क्रिकेट पर रूंगटा परिवार का वर्चस्व था। एसोसिएशन के चुनावों के वक्त राजस्थान सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया, जिसकी वजह से रूंगटा के समर्थकों की बड़ी संख्या चुनाव में वोट डालने के लिए अयोग्य हो गए। राजस्थान क्रिकेट पर कब्जा करने के बाद उन्होंने बीसीसीआई में अपनी जगह बनाई और फिर आईपीएल की शुरुआत की, जो उनके क्रिकेट करियर की सर्वोच्च उपलब्धि है और उनके पतन का कारण भी बनी।

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देखते ही देखते बन गए सुपर सीएम

ललित मोदी राजस्थान की राजनीति के क्षितिज पर पहली बार नागौर क्रिकेट एशोसिएशन के रास्ते आए और फिर सरकारी काम काज पर इस कदर हावी हो गए कि कई फैसले सिर्फ उनके निर्देश पाने के लिए रुके होते थे। राजस्थान की राजनीति में मोदी धीरे धीरे एक ऐसे व्यक्ति के रुप में प्रचलित हो गए जिसके पास लगातार कई 'संवैधानिक प्राधिकार' बढ़ते जा रहे थे, जो राम पैलेस होटेल के गलियारों से संचालित होते थे। राज्य के अधिकारियों और पुलिस अफसर अभी भी वो दिन याद करते हैं जब उन्हें कई फैसलों के लिए मोदी के निर्देशों का इंतजार करते थे जो कथित तौर पर मुख्यमंत्री के कार्यालय से समर्थित था। 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में हार के बाद राजे ने मोदी पर यह आरोप लगाया था कि टिकट बटवारे में उनके हस्तक्षेप की कीमत पार्टी को हार के रुप में चुकानी पड़ी है।

ललित मोदी के बचाव में लिखी यूके को चिट्ठी 

वसुंधरा ने इस चिट्ठी में ललित मोदी को यूनाइटेड किंगडम में रहने की इजाजत देने की पैरवी की थी। जिससे वे भारत में गिरफ्तारी से बच सकें। यूके के आप्रवासन अधिकारियों को लिखी चिट्ठी में उन्होंने ये भी लिखा था कि इस बारे में भारतीय अधिकारियों को कुछ नहीं बताया जाए। अपनी हस्ताक्षरित चिट्ठी में उन्होंने भारत के राजनीतिक हालात की भी चर्चा करते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी उन्हें और ललित मोदी को बदनाम करने के लिए लगातार अभियान चला रही है।  

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सत्ता बदलने के साथ ही खत्म हुआ रूतबा

सत्ता बदलने के बाद अशोक गहलोत सरकार ने उन हवेलियों को सीज कर दिया जिसे मोदी ने होटेल बनाने के लिए खरीदा था। राजे जब विपक्ष में थी तब कांग्रेस की ओर से सदन में उनकी अनुपस्थिति पर और लंदन आने जाने (जहां मोदी रहते थे) पर ताना मारा जाता रहा है। मोदी और राजे के रिश्तों में पहली दरार तब आई जब मोदी ने 2013 में एक ट्वीट किया था कि राजे को अरुण जेटली, अपने पीए भूपेंद्र यादव और धीरेन्द्र कामथान से 'सावधान' रहना चाहिए जो कैश लेकर टिकट बेच रहे हैं।

ममद कर फंसी थीं सुषमा स्वराज

साल 2015 में ब्रिटिश सांसद कीथ वाज की कोशिशों से पिछले वर्ष ललित मोदी को ब्रिटेन से बाहर जाने के लिए ट्रेवल डॉक्यूमेंट मिल गए थे इसमें सुषमा स्वराज की भूमिका का जिक्र भी किया गया था। लीक हुए कुछ ई मेल के हवाले से इस अख़बार ने लिखा था की ट्रेवल्स डाक्यूमेंट्स दिलाने के लिए कीथ वाज ने ब्रिटिश अधिकारीयों  पर दवाब बनाया और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम का हवाला दिया। इसके बाद सुषमा ने ट्विटर के माध्यम से अपना पक्ष रखते हुए कहा था की जुलाई 2014 में ललित मोदी ने मुझसे बात की थी की उनकी पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं। 4 अगस्त को पुर्तगाल में उनकी सर्जरी होनी है। ललित ने बताया की उन्हें अस्पताल में कंसेंट पेपर पर दस्तखत करने के लिए मौजूद रहना होगा तो उन्होंने मानवीय आधार पर ब्रिटिश सरकार से कहा था की वे नियमों और कानून के हिसाब से ललित मोदी का मामला देखें और अगर ब्रिटिश सरकार ललित मोदी को ट्रेवल डॉक्यूमेंट जरी करने का फैसला करती है तो इससे भारत और ब्रिटेन के द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जबकि पुर्तगाल का कानून कहता है कि ऑपरेशन के लिए ललित मोदी की सहमति की जरूरत नहीं थी। सहमति की जरूरत 14 साल से कम उम्र के लोगों के लिए होती है।

सुषमा की बेटी बांसुरी थी लीगल टीम का हिस्सा

ललित मोदी विवाद में सुषमा यहीं तक नहीं फंसी। सुषमा की बेटी बांसुरी उस टीम का हिस्सा थी जिसने हाईकोर्ट में ललित मोदी के पासपोर्ट का केस लड़ा और जीता था।  कहा जाता है कि सुषमा स्वराज के पति के भतीजे ज्योतिर्मय कौशल का दाखिला भी ब्रिटेन के लॉ कॉलेज में ललित मोदी ने ही करवाया था। तब सुषमा नेता विपक्ष थीं। उस दौर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ललित कथा की कहानी एक विदेशी अख़बार के खुलासे से होते हुए भारतीय लोकतंत्र की सोलहवीं लोकसभा से देश के गली कूचों में चर्चा का सबब बनी रही थी। आलम ये था कि सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग को लेकर 15 दिनों तक संसद का काम काज नहीं चल सका था।  

-अभिनय आकाश 

 

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