हरियाणा में करोड़ों की जमीन चहेतों को दी, ये भूमि घोटाले राज्य में Congress की वापसी की राह में रोड़ा

By Prabhasakshi News Desk | Sep 11, 2024

हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2024 होने वाले हैं। राज्य में 5 अक्‍टूबर को मतदान व 8 अक्‍टूबर को मतगणना होगी। जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने उम्‍मीदवारों की सूचियां जारी करने में लगी हैं। राज्य में एक दशक से भाजपा की सरकार है। इस चुनाव में बीजेपी जीत की हैट्रिक बनाने और कांग्रेस वापस की कोशिश कर रही है, मगर कांग्रेस कार्यकाल में हुए भूमि घोटाले उसकी राह मुश्किल कर रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान कई ऐसे घोटाले सामने आए हैं। जिनमें गरीबों और कमजोर वर्गों के हितों की अनदेखी करते हुए ताकतवर लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे। इस शासनकाल में कई भूमि अधिग्रहण और संसाधन वितरण में अनियमितताओं की खबरें भी आईं, जो पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।


हरियाणा की कांग्रेस कार्यकाल के भूमि घोटाले


स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी घोटाला

राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट जमीन घोटाला

रोहतक जमीन घोटाला

उल्लाहवास जमीन घोटाला

कुरुक्षेत्र, 326 कनाल जमीन घोटाला

पंचकूला औद्योगिक भूखंड आवंटन घोटाला

23413 एकड़ जमीन की बिक्री

नाला घोटाला

आईएमटी मानेसर घोटाला

रिलायंस इंडस्ट्री घोटाला

गुड़गांव एम्यूजमेंट पार्क घोटाला

डीएलएफ को वजीराबाद जमीन की बिक्री


गरीबों की जमीनें और ताकतवर लोगों के फायदे


तब की कांग्रेस सरकार के दौरान एक पैटर्न देखने को मिला। जिसमें कमजोर और गरीब किसानों की जमीनें छीनकर प्रभावशाली लोगों और बड़े निगमों को फायदा पहुंचाया गया। उदाहरण के तौर पर, मानेसर के आईएमटी घोटाले में 912 एकड़ जमीन को संदिग्ध तरीके से अधिग्रहित किया गया। यह प्रकरण इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि किस तरह से पारदर्शिता की अनदेखी कर लोगों की संपत्तियों को हथियाया गया।


अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आवासीय भूखंड आवंटन घोटाला


इस दौरान अनुसूचित जाति वर्ग के लिए निर्धारित आवासीय भूखंडों में भी धांधली का मामला सामने आया है। जहां गलत तरीके से एक ही परिवार के 129 सदस्यों को आवंटन किया गया। यह घोटाला संसाधनों के दुरुपयोग और सत्ता के प्रभाव का एक और उदाहरण है, जहां कमजोर वर्गों के अधिकारों का हनन सरकार द्वारा किया गया।


पंचायत की जमीन पर भी हुआ अवैध कब्जा


हरियाणा के पानीपत जिले के नामरहा गांव में पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया। जिससे स्थानीय समुदायों की समस्याएं और बढ़ गईं। यह घटना बताती है कि कैसे कांग्रेस शासन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों का दुरुपयोग किया गया और सराकार के द्वारा लोगों के अधिकारों की भी अनदेखी की गई।


राज्य का रिलायंस इंडस्ट्री और अन्य भूमि घोटाले


हुड्डा शासन में रिलायंस इंडस्ट्री से जुड़े घोटाले में झज्जर-गुड़गांव क्षेत्र में 25,000 एकड़ जमीन को बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर बेचा गया था। बिल्कुल इसी तरह वजीराबाद में डीएलएफ को जमीन की बिक्री, मनोरंजन पार्क घोटाला और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी घोटाले ने कांग्रेस शासन में भूमि के दुरुपयोग को और उजागर किया।


रोजगार में पक्षपात और भ्रष्टाचार चरम पर


उस समय की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान नौकरी के अवसरों का भी विशेष समुदाय के प्रति झुकाव दिखा। हरियाणा में "खर्ची -पर्ची" जैसी प्रणाली के तहत ऊंची बोली लगाने वालों को नौकरी मिलती थी, और इसमें मुख्य रूप से पसंदीदा समुदाय को लाभ पहुंचाया गया। अन्य समुदायों के लोगों को इस प्रकार की व्यवस्था ने रोजगार से वंचित कर दिया, जिससे उनके बीच असमानता और निराशा की भावना बढ़ी।


न्याय और कानून की भारी अनदेखी


कांग्रेस शासन के दौरान एक समुदाय को विशेष अधिकार दिए गए। जिससे उनके खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई की संभावना कम हो गई। यह स्थिति अन्य समुदायों के लिए डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ाती गई। इस दौरान कई लोग न्याय पाने में असमर्थ रहे, और उनकी सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए।

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