शांत, सुंदर और हरियाली से भरा पहाड़ी इलाका है लैंसडाउन

By रेनू तिवारी | Jul 28, 2017

आंखों को दीवाना बनाती गजब की खूबसूरती... कानों में आकर कुछ कहती ठण्डी हवाएं... जहां तक नजर जाती...वहां तक मुस्कुराती हुई चोटियां ही नजर आतीं... बादलों के साथ उड़ते हुए ख्वाब... कुछ ऐसा है लैंसडाउन... देखने में तो हर पहाड़ एक जैसा लगता है... लेकिन हर हिल स्टेशन की अपनी एक अलग पहचान होती है... अगर खुद से मुलाकात करनी हो... अपनों के साथ सबसे यादगार वक्त गुजारना हो... तो लैंसडाउन में आपका स्वागत है...

उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थित ये बेहद खूबसूरत पहाड़ी है...इस शहर की खूबसूरती हर किसी को यहां आने का आमंत्रण देती है... दूसरे हिल स्टेशनों के मुकाबले यहां पर प्रकृति को उसके अनछुए रूप में देखा जा सकता है.. चारों तरफ घने जंगलों से घिरी हुई ये पहाड़ी कुदरती सुंदरता का प्रमाण है.. शाम को जंगल के बीच बैठकर आप कुदरत से बातें कर सकते हो .. पेड़ के पत्ते हवा से जब टकराते हैं तो मानो ऐसा सुनाई देता है जैसे दूर कहीं झरने से पानी बह रहा हो। रोजाना की टेंशन और प्रदूषण से कुछ दिनों के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं, तो लैंसडाउन की वादियां आपका इंतजार कर रही हैं। दूर तक फैले पहाड़, ताजी हवा, डूबते सूरज का नजारा, रात के समय खुले आकाश में चमचमाते तारे और सुबह पत्तों पर गिरी ओस की बूंदें, सब मिलाकर आपको एक यादगार ब्रेक देंगे। हो सकता है कि आप एक बार जाने के बाद दोबारा वहां जाना चाहें।

 

हरे-भरे छोटे बड़े देवदार के पेड़ों के बीच छोटे-छोटे पहाड़, घुमावदार रास्ते जहां तक नजर जाए बस हरियाली ही हरियाली। जी हां, कुछ ऐसा ही दृश्य है उत्तराखंड में लैंसडाउन का। उत्तराखंड के मशहूर पर्यटक स्थल लैंसडाउन को भारत निर्माता कहा जाता है क्योंकि यहां पर राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म हुआ था।

 

गर्मियों में यहां सैलानियों की खूब भीड़ लगी रहती है क्योंकि एक ओर जहां दिल्ली जैसे शहरों में झुलसा देने वाली गर्मी है तो वहीं यहां पर 12 महीनों जलवायु खुशनुमा रहती है। लैंसडाउन की सबसे बड़ी खासियत है कि यह हमेशा से ब्रिटिश सरकार का मनपसंद शहर रहा है और इसलिए यहां पर उनकी कई निशानियां देखने को मिलती हैं।

 

लैंसडाउन की खूबसूरती को देखने के साथ-साथ आप इन जगहों पर भी जा सकते हैं-

 

गढ़वाल राइफल्स का गढ़

खूबसूरत हिल स्टेशन लैंसडाउन को अंग्रेजों ने वर्ष 1887 में बसाया था। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे, इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। आप यहां गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम देख सकते हैं। यहां गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक पा सकते हैं। म्यूजियम शाम के 5 बजे तक ही खुला रहता है। इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम टूरिस्ट बाहर से देख सकते हैं। वैसे, यह स्थान स्वतंत्रता आंदोलन की कई गतिविधियों का गवाह भी रह चुका है।

 

भूला ताल

भूला ताल काफी पॉपुलर है यहां सैलानी लैंसडाउन की सुंदरता का हर नजारा देख सकते हैं दरअसल, यह छोटी व आर्टिफिशल लेक है, जो बारिश के पानी से भरी जाती है। एक किनारे से यह 20 फीट और दूसरे किनारे से 15 फीट गहरी है। यहां आप पैडल बोटिंग व बम्पर बोटिंग का लुत्फ उठा सकते हैं। बता दें, जब तीन से ज्यादा लोग अपनी बोट को दूसरे से टकराते हैं, तो उसे बम्पर बोटिंग कहते हैं। इसके पास बच्चों के लिए पार्क, मचान और खूबसूरत फव्वारे भी हैं।

 

सन सेट 

लैंसडाउन जाने पर आप सूरज डूबने के नजारे जरूर देखें। वॉक करते हुए दूसरी साइड पर सूरज डूबने का सीन बहुत ही खूबसूरत लगता है। ये नजारे आप लंबे अर्से तक भुला नहीं पाएंगे।

 

तर्केश्वर महादेव मंदिर

वादियों और पेड़ों की छांव में बना तर्केशवर महादेव मंदिर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। यह लैंसडाउन से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1800 मीटर है। लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है। 

 

दुर्गादेवीमंदिर

कोटद्वार से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोह नदी के किनारे पर दुर्गा देवी का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर एक गुफा के अंदर बना है। गुफा का स्वरूप वैष्णो मां के मंदिर जैसा ही है। मंदिर में हमेशा ही ज्योति प्रज्वलित रहती है। यहां का सुहावना वातावरण दर्शन करने आए लोगों के मन को शांति देने के साथ दुखों को भी दूर करता है। नदी का कलकल बहता पानी किसी को भी उस नजारे में खो जाने के लिए मजबूर करता है। 

 

शहीदी स्थल

गढ़वाल राइफल रेजिमेंट के शहीदों का स्मारक परेड मैदान में स्थित है। लैंसडाउन आकर आप इसे देखना न भूलें। 


सेंटमैरी चर्च

यह चर्च 1896 में बनाया गया था और 1947 के बाद लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब इसकी देखरेख गढ़वाल राइफल रेजिमेंटल सेंटर कर रहा है। यहां आपको स्वतंत्रता से पहले के फोटोग्राफ, ऑडियो व विजुअल टेप्स भी मिलेंगे।

 

टिपएंडटॉप

यह पर्यटकों के बीच एक पॉपुलर पॉइंट है। यहां से आप ट्रेकिंग शुरू करेंगे, तो घने जंगल को पार करते हुए जिस पॉइंट पर पहुंचेंगे, वह आपको हिमालय की वादियों के बेहद खूबसूरत नजारे दिखाएगा।

 

सिद्धबली मंदिर

लैंसडाउन से 38 किलोमीटर की दूरी पर हनुमानजी का सिद्ध बली मंदिर है। मंदिर के पास ही एक बहुत बड़ा पार्क है, जहां आप भगवान की भक्ति में लीन होने के अलावा कुदरत का खूबसूरत साथ भी पा सकते हैं। 

 

पौढ़ी गढ़वाल

समुद्र से 3,000 मीटर और लैंसडाउन से 78 किलोमीटर दूर स्थित पौढ़ी गढ़वाल भी पर्यटकों में काफी पॉपुलर है। हिमालय की चोटी, बर्फ से ढंकी पहाड़ियां, गहरी घाटियां, घने जंगल और कलकलाती नदियां सभी का मन मोह लेती हैं। बस से यहां सड़कों के किनारे पर देवदार, ताड़ के पेड़ बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं।

 

जाने का सबसे अच्छा समय

मार्च से लेकर नवंबर महीने के बीच यहां का वातावरण बहुत मधुर और सुहावना बन जाता है, जो इस स्थान को देखने का बढ़िया समय साबित होगा।

 

कैसे पहुंचें लैंसडाउन की वादियों में

 

भारत की राजधानी दिल्ली से लैंसडाउन करीब 270 किमी की दूरी पर है। यहां विभिन्न मार्गों से पहुंचा जा सकता है।

 

सड़क मार्ग से लैंसडाउन आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह कई शहरों से जुड़ा हुआ है। प्राइवेट और सरकारी बसें कोटद्वार तक जाती हैं, जहां से लैंसडाउन करीब 40 किमी. की दूरी पर है।

 

रेल:  नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार स्टेशन है। वहां से फिर टैक्सी आदि से लैंसडाउन पहुंचा जा सकता है।

 

हवाई अड्डा:  यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट एयरपोर्ट है, जो लैंसडाउन से करीब 152 किमी. की दूरी पर है।

 

रेनू तिवारी

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