By अनन्या मिश्रा | Dec 17, 2025
हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू परंपरा में भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान माने जाते हैं। भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि वह मात्र जल और बेलपत्र चढ़ाने से ही अपने भक्तों को मनचाहा वरदान दे देते हैं। हर महीने की त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।
यही कारण है कि हर शिव भक्त इस पावन व्रत का इंतजार करते हैं। वहीं आज यानी की 17 दिसंबर 2025 को साल का आखिरी प्रदोष व्रत किया जा रहा है। बुधवार को यह व्रत पड़ने से इसको बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। तो आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत की तिथि, मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व आदि के बारे में...
त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव की पूजा सबसे उत्तम मानी जाती है। 16 दिसंबर की रात 11:57 मिनट से त्रयोदशी तिथि की शुरूआत होगी। वहीं 18 दिसंबर की दोपहर 02:32 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक 17 दिसंबर 2025 को बुध प्रदोष व्रत किया जाएगा।
प्रदोष व्रत में शिव पूजन के लिए जातक को प्रदोष काल का समय चुनना चाहिए। तन-मन से पवित्र होकर जातक को सायंकाल प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा फल-फूल, गंगाजल, धूप-दीप, बेलपत्र, शमीपत्र और भांग आदि से करनी चाहिए। इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना चाहिए और पूजन के अंत में भगवान शिव और मां पार्वती की आरती करें। फिर पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
हिंदू मान्यता के मुताबिक भगवान शिव के लिए रखे जाने वाले प्रदोष व्रत करने से जातक के जीवन से जुड़े सभी दुख दूर होते हैं। वहीं जातक को भगवान शिव की कृपा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हिंदू मान्यता के मुताबिक प्रदोष व्रत करने से चंद्र देव का भी आशीर्वाद मिलता है। जो भी जातक 11 प्रदोष व्रत विधिविधान से करता है, उसके जीवन के सभी ऋण शीघ्र ही दूर होते हैं। वहीं जातक को जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।