आइये जानते हैं इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर क्या विशेष होने वाला है?

By अदिति तिवारी | Jan 24, 2018

26 जनवरी हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है। इसी दिन सन् 1950 में भारत सरकार अधिनियम के स्थान पर भारत के संविधान को लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और कानून को लागू करने के लिए बहुमत रूप से यह निर्णय लिया गया। यह हमारे देश के तीन राष्ट्रिया पर्वों में से एक है। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र देश के रूप में जाना गया। यह स्वाधीनता हमें अनेक चुनौतियों के बाद प्राप्त हुई है। 28 अगस्त 1947 को संविधान बनाने के लिए एक समिति गठित की गयी जिसके अध्यक्ष थे डॉ. बीआर आंबेडकर। समिति की बैठक 166 दिनों तक चली और इसी प्रकार हमारे देश के संविधान का निर्माण हुआ।

गणतंत्र दिवस को हमारे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और सारे भारतवासी इसे एक उत्सव के रूप में देखते हैं। समय, व्यक्ति की गरिमा, विश्व बन्धुत्व, सर्व धर्म सम्भाव और धर्म निरपेक्षता गणतंत्र के मूलमंत्र हैं। इस दिन पर राष्ट्र अपने महानायकों को स्मरण करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता हमें भीख में नहीं मिली है बल्कि कई वीर जवानों ने इसके लिए अपने प्राणों की आहुति दी है परन्तु आज के समय में यह विचार धूमिल होता चला जा रहा है।

 

वर्तमान समय में मनुष्य अपने रोजमर्रा के जीवन में इतना व्यस्त हो चुका है कि वह इस दिन को महज एक छुट्टी के रूप में देखने लगा है। इस दिन का लुत्फ़ वह अपने परिवार, दोस्त या सगे सम्बन्धियों सहित उठाता है। देश के प्रति व्यक्ति शुष्क होता चला जा रहा है। इस दिन का मूल महत्व जानने या समझने की बजाय वे सोशल मीडिया पर तिरंगे के साथ प्रोफाइल पिक्चर अपडेट करने में रुचि रखते हैं। यह एक भीषण गंभीर समस्या है क्योंकि इससे हमारे आने वाली पीढ़ी पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

 

हर साल की तरह इस वर्ष भी इसे एक उत्सव के रूप में देखा जा रहा है। यह हमारा 69वा गणतंत्र दिवस है। इस वर्ष का गणतंत्र दिवस एक अनोखे रूप में मनाया जाने वाला है क्योंकि इस बार हमारे मुख्य अतिथि होंगे ASEAN के 10 नेता। 'ASEAN' दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन का संक्षिप्त रूप है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के दस देशों का समूह है जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए भी काम करती है। इस साल इसी संगठन के दस नेता मुख्य अतिथि के रूप में हमारे देश आयेंगे।

 

इस भव्य आयोजन में शामिल होंगे ब्रूनेई मोनार्क सुल्तान हस्सनल बोल्कि, कंबोडिया के प्रधानमंत्री हूँ सेन, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोड़ो', लाओस के राष्ट्रपति बौन्न्हंग वोरचिथ, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक, म्यांमार के राष्ट्रपति हटीं क्याव, फिलिपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुरेते, सिंगापुर के राष्ट्रपति हलिम याकोब, थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चन-ओ-च और वियतनाम के राष्ट्रपति तरण दी कुंग। इन मेहमानों की आवभगत और देखरेख का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। इन्हें ताज पैलेस, ताज मानसिंह, मौर्या शेरॉटन, लीला पैलेस और ओबेरॉय जैसे बड़े होटलों में ठहराया गया है। यह सम्मलेन हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ASEAN के निर्माण को 50 वर्ष पुरे हो चुके हैं और भारत 25 वर्ष से इस संगठन का सदस्य है। इस सम्मलेन का भारत के आर्थिक व्यवस्था से भी जुड़ाव है। राष्ट्रपति दुरेते ने कहा है कि वह भारत के साथ सस्ती दवाइयां और समुद्री सम्बन्ध को बढ़ाना चाहते हैं।

 

इसी के साथ 100 अन्य सरकारी अभिकरण और अन्य देशों के 700 छात्र भी इस उत्सव का हिस्सा बनेंगे। हमारे देश की महिलायें इस क्षेत्र में भी अपनी समक्षता पूर्ण रूप से दिखा रही हैं। बीएसएफ की 113 महिलायें इस आयोजन में मोटरसाइकिल पर कर्तब करेंगी। यह इस बात का प्रमाण है कि हमारा देश हर मायने में तरक्की की राह पर अग्रसर है।

 

100 फीट चौड़े दीर्घाकार प्रदर्शन मंच से हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सारे अतिथि इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। देश के 13 राज्यों में से 18 बहादुर छात्रों को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है। प्रत्येक वर्ष की तरह एक शानदार परेड का भी आयोजन किया जाने वाला है। इस परेड में सेना की विभिन्न रेजिमेंट, वायुसेना तथा नौसेना भाग लेने वाली हैं। कार्यक्रम में 38 वायु यान भाग लेंगे जिसमें से 21 फाइटर प्लेन, 12 हेलीकाप्टर होंगे। इसी में अटैक हेकिकोप्टर रूद्र अपनी पहली उड़ान भरेगा। रूद्र हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड का निर्मित पहला सशस्त्र हेलीकाप्टर है जिसे केवल भारत के इस्तमाल के लिए बनाया गया है।

 

परेड में विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी भी होगी जिसमें उनके लोक गीत व कला दर्शाई जाने वाली हैं। तेलंगाना का प्रसिद्ध 'मेदाराम जतारा' उनका मुख्य प्रकरण होने वाला है| 'मेदाराम सम्माक्का सरलाम्मा जतारा' तेलंगाना का एक हिन्दू जनजातीय पर्व है जो वारंगल से 100 किमी दूर प्रतिवर्ष आयोजित होता है।

 

ठीक इसी तरह असम माजुली मास्क नृत्य या मुख शिल्पी, कर्नाटका अपने जनजीवन और वनस्पति, मध्य प्रदेश साँची स्तूप और उत्तराखंड ग्राम पर्यटन की झाकियों का प्रदर्शन करने वाले हैं। एक तरफ जहाँ यह सारे राज्य अपने प्रदर्शन की तैयारी में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जिनको केंद्र ने झांकी प्रस्तुत करने से मना कर दिया। हमेशा की तरह इस बार भी सारे भारतवासी इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। इस दिन की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं और यह माना जा रहा है कि इस वर्ष का गणतंत्र दिवस भी यादगार और सफल रहेगा।

 

- अदिति तिवारी

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