By नीरज कुमार दुबे | Dec 23, 2025
राजधानी दिल्ली एक बार फिर दम घोंटू हवा के शिकंजे में है। 27 निगरानी स्टेशनों पर एक्यूआई 400 के पार पहुंच चुका है और कई इलाकों में हालात बेहद गंभीर हैं। आनंद विहार, नेहरू नगर, ओखला, मुंडका और सिरीफोर्ट जैसे क्षेत्र सांस लेना तक मुश्किल कर रहे हैं। घना कोहरा, ठहरी हवा और गिरता तापमान मिलकर प्रदूषण को और खतरनाक बना रहे हैं। इसी बीच उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 15 पन्नों का लंबा पत्र लिखकर राजधानी की जहरीली हवा के लिए उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। पत्र में आरोप है कि 11 साल की उपेक्षा और आपराधिक निष्क्रियता ने दिल्ली को इस आपात स्थिति तक पहुंचाया। यह पत्राचार ऐसे समय आया है जब दिल्ली में अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सरकार चला रही हैं।
देखा जाये तो दिल्ली की हवा आज जिस मुकाम पर है, वहां बहानेबाजी की गुंजाइश खत्म हो चुकी है। उपराज्यपाल और केजरीवाल के बीच हुआ यह पत्राचार सिर्फ राजनीतिक कटाक्ष नहीं, बल्कि एक कड़वा सच है जिसे सत्ता में रहे हर चेहरे को स्वीकार करना होगा। 11 साल बनाम 11 महीने की बहस से जनता का दम नहीं लौटेगा। सवाल यह है कि जिम्मेदारी कौन लेगा और कब। केजरीवाल सरकार ने अपने कार्यकाल में प्रदूषण पर आक्रामक कार्रवाई के वादे किए थे लेकिन किया कुछ नहीं। उपराज्यपाल का पत्र इस बात की याद दिलाता है कि संस्थागत विफलता किसी एक दिन की कहानी नहीं होती। यह साल दर साल की अनदेखी का नतीजा है। निर्माण धूल, कचरा जलाना, जर्जर सार्वजनिक परिवहन, औद्योगिक उत्सर्जन और क्षेत्रीय समन्वय की कमी, सबने मिलकर दिल्ली को गैस चेंबर बनाया।
पत्र का आक्रामक लहजा इसलिए भी अहम है क्योंकि यह जवाबदेही तय करने की कोशिश है। मगर जवाबदेही केवल बीते शासन पर थोपकर वर्तमान हाथ नहीं झाड़ सकता। नई सरकार को विरासत में संकट मिला है, पर अब टालमटोल का समय नहीं है। दिल्ली को दीर्घकालिक इलाज चाहिए। उपराज्यपाल का पत्र केजरीवाल के लिए आत्ममंथन का क्षण है और नई सरकार के लिए परीक्षा की घड़ी। राजनीति की धूल जितनी जल्दी बैठेगी, सांस उतनी जल्दी लौटेगी। वरना पत्र लिखे जाते रहेंगे और शहर खांसता रहेगा।
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार की ओर से पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि जीआरएपी के चौथे चरण में ढील के बावजूद नो पीयूसी नो फ्यूल नीति जारी रहेगी। उन्होंने कहा है कि पीयूसी केंद्रों की जांच में खामियां मिली हैं, 12 केंद्र निलंबित किए गए हैं और 100 करोड रुपये जल निकायों के पुनरुद्धार के लिए रखे गए हैं।