सांसदों के बर्ताव पर बोलीं लोकसभा अध्यक्ष, प्रजातंत्र का गला घोंटने जैसा कृत्य

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 08, 2019

नयी दिल्ली। लोकसभा में विभिन्न मुद्दों पर बोल रहे सदस्यों के पास जाकर बाधा डालने के विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों के प्रयासों पर नाराजगी जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को कहा कि इस तरह का कृत्य प्रजातंत्र का गला घोंटने जैसा है और जन प्रतिनिधियों को यह समझना चाहिए। सदन में आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य राफेल मामले में नारेबाजी कर रहे थे।

सदन में अंतरिम बजट पर चर्चा के दौरान भी कांग्रेस के सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। बीजू जनता दल के तथागत सत्पति जब चर्चा में भाग ले रहे थे तो कांग्रेस के गौरव गोगोई उनके पास जाकर नारेबाजी करने लगे और अखबार की कतरन दिखाने लगे। इस पर लोकसभाध्यक्ष ने नाराजगी जताई और गौरव गोगोई का नाम लेकर उनसे ऐसा नहीं करने को कहा।

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सथपति का भाषण समाप्त होने के बाद सदन में बीजद के नेता भर्तृहरि महताब ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों का किसी दूसरे दल के सदस्य के भाषण के दौरान नारेबाजी करना और आसन के समीप आना समझ में आता है लेकिन अपनी बात रखने वाले सदस्य के पास आकर कागज लहराना और उनके भाषण में अवरोध डालना पूरी तरह गलत है और इसकी निंदा होनी चाहिए। हालांकि उनके यह बोलने से पहले कांग्रेस के सदस्य राफेल मामले पर विरोध जताते हुए वाकआउट कर चुके थे।

इससे पहले गोगोई से नाराजगी जताते हुए स्पीकर ने कहा कि आप अपनी सीमा में रहिए। बीजद सदस्य की चिंता पर लोकसभा अध्यक्ष महाजन ने कहा कि यह गलत हुआ और ऐसा नहीं होना चाहिए। मैंने नाम लेकर सदस्य को बोला है। उन्हें समझना चाहिए कि जनता देख रही है। यह निंदनीय है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम खुद प्रजातंत्र का गला घोंट रहे हैं। संसद में ही किसी को बोलने नहीं देने का जनप्रतिनिधियों का व्यवहार निंदनीय है। यह कृत्य प्रजातंत्र का घोर विरोधी होने का सबूत है।

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अध्यक्ष ने यह भी कहा कि राफेल मामले पर दो बार चर्चा हो चुकी है। प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री अपनी बात रख चुके हैं। फिर भी आप इस मुद्दे पर जनता के प्रतिनिधियों का अधिकार छीन रहे हैं। यह बहुत गैर-जिम्मेदाराना है। उन्होंने निराशा प्रकट करते हुए यह भी कहा कि लेकिन कर भी क्या सकते हैं। मैंने तो नाम लेकर बोला। रोज तो किसी को सदन से बाहर नहीं कर सकते। महाजन ने कहा कि यहां नहीं समझ आएगी तो कहीं और समझ मे आएगी। दूसरे लोग समझाएंगे।

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