Macron ने सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के मामले पर अपनी सरकार को खतरे में डाला

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 17, 2023

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न को विशेष संवैधानिक शक्ति का उपयोग करने का आदेश दिया है। उनके इस आदेश के बाद संसद को सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 64 करने के अति विवादित विधेयक को बिना मतदान के मंजूरी देने के लिए विवश होना पड़ सकता है। दरअसल इस विधेयक को संसद में मतदान अन्यथा राष्ट्रपति की विशेष शक्तियों के माध्यम से कानूनी रूप दिया जा सकता है। ऐसे में संसदीय मतदान में बहुमत नहीं मिलने की आशंका के बीच मैक्रों ने अपनी शक्तियों के इस्तेमाल का फैसला लिया।

बृहस्पतिवार को फ्रांस के निचले सदन में विधेयक पर प्रस्तावित मतदान से कुछ मिनट पहले राष्ट्रपति कार्यालय ‘एलिसी’ में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मैक्रों ने विशेष शक्ति के इस्तेमाल का आदेश दिया। इसके बाद प्रधानंत्री बोर्न ने निचले सदन में कहा, “आज, अनिश्चितता छाई हुई है। हम अपनी पेंशन दांव पर नहीं लगा सकते है। यह सुधार आवश्यक हैं।” बोर्न ने कहा कि उनकी सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है। और सांसद चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव पेश कर इन बदलावों को रोक सकते हैं। अगले सप्ताह की शुरुआत में इस मामले पर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। इसे निचले सदन में बहुमत से पारित कराने की आवश्यकता होगी।

यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो 1962 के बाद पारित होने वाले यह पहला प्रस्ताव होगा और सरकार को इस्तीफा देना पड़ेगा। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं होता है तो पेंशन विधेयक को पारित माना जाएगा। संसद के उच्च सदन सीनेट ने बृहस्पतिवार को इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इसके पक्ष में 193 जबकि विरोध में 114 वोट पड़े। इसकी उम्मीद पहले से ही की जा रही थी क्योंकि बदलावों का समर्थन कर रही कंजरवेटिव पार्टी को उच्च सदन में बहुमत हासिल है। एक तरफ जहां, सफाई कर्मचारी अपनी हड़ताल जारी रखे हुए हैं, वहीं छात्र भी इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

विधेयक के विरोधी सरकार पर इससे पीछे हटने का दबाव डाल रहे हैं। बुधवार को देश भर में लगभग 5,00,000 लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया था। मैक्रों सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पक्ष में हैं। मैक्रों फ्रांस की अर्थव्यवस्था को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के अपने दृष्टिकोण के मद्देनजर पेंशन बदलावों वाले इस विधेयक को आगे बढ़ाना चाहते हैं। दूसरी ओर वामपंथी और दक्षिणपंथी सांसद इसका विरोध कर रहे हैं जबकि कजंरवेटिव सांसद इसे लेकर बंटे हुए हैं।

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