Gopal Krishna Gokhale Death Anniversary: गोपाल कृष्ण गोखले को महात्मा गांधी मानते थे अपना राजनीतिक गुरु

By अनन्या मिश्रा | Feb 19, 2025

आज ही के दिन यानी 19 फरवरी को महान समाज सुधारक, शिक्षाविद और नरम दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले का निधन हो गया था। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। गोखले ने सामाजिक सशक्तिकरण, शिक्षा के विस्तार और तीन दशकों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था। वहीं खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 09 मई 1866 में हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और मां का नाम वलूबाई गोखले था। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। वह एक मेधावी छात्र थे और पिता पेशे से क्लर्क थे। लेकिन गोखले के पिता का असामयिक निधन हो गया था। गोखले को पराधीनता का भाव अधिक सताता था। लेकिन उनके भीतर हमेशा राष्ट्रभक्ति की धारा प्रवाहित होती थी। साल 1881 में गोखले ने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। 

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साल 1882 कोल्हापुर के राजाराम कॉलेज में एडमिशन लिया था। हालांकि उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए एलफिंस्टन कॉलेज जाना पड़ा था। पढ़ाई के प्रति जुनूनी रवैया रखने के कारण हर महीने गोखले को छात्रवृत्ति मिलती थी। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। लेकिन इंजीनियरिंग में मन नहीं लगने की वजह से उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का मन बनाया था।


कांग्रेस के अध्यक्ष बने गोखले

साल 1889 में गुरू समाज सुधारक एम जी रानाडे से प्रभावित गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे। वह हमेशा 'नरम दल' के नेता के रूप में काम करते रहे। वहीं साल 1893 में वह बंबई प्रांतीय सम्मेलन के सचिव बने और फिर साल 1895 में बाल गंगाधर तिलक के साथ संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया था।


साल 1905 में हुए बनारस अधिवेशन में गोखले कांग्रेस का अध्यक्ष चुने गए। इसी अधिवेशन में बीएचयू की नींव पड़ी और नरम व गरम दल के बीच हुए मतभेदों की वजह से 1907 में पार्टी दो टुकड़ों में बंट गई। हालांकि वैचारिक मतभेद होने के बाद भी उन्होंने 'गरम दल' के नेता लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अभियान चलाया था।


मृत्यु

हालांकि गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु महज 49 साल की उम्र में 19 फरवरी 1915 को हो गई थी। दरअसल, उनको डायबिटीज और कार्डिएक अस्थमा की शिकायत थी।

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