By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 15, 2018
कोलकाता। नाटककार, अभिनेता एवं निर्देशक महेश दत्तानी का कहना है कि डिजिटल मीडिया के उभरने से रंगमंच को मदद मिली है और इससे कोई खतरा नहीं है। साहित्य अकादमी पुरस्कार जीत चुके महेश दत्तानी ने पीटीआई-बताया, ‘‘ अब होर्डिंग और प्रेस विज्ञप्तियों के दिन लद गये। कोई भी अब स्मार्ट फोन के लिये ट्रेलर बना सकता है, जिसके वायरल होने की संभावना रहती है। यह सिर्फ और सिर्फ लोगों को थियेटर तक खींचने में मदद करता है।
पीटीआई- ईमेल पर दिये साक्षात्कार में दत्तानी ने कहा कि आज के समय में किसी के नाटक का सोशल मीडिया के जरिये प्रचार संभव है। उनके पिछले मंचन ‘डबल डील रिलोडेड’ को आलोचकों से काफी तारीफ मिली थी। उन्होंने कहा, ‘‘ फिल्मी पर्दे का माध्यम फायदेमंद साबित हुआ। रंगमंच मर रहा है क्योंकि इसके अभिनेताओं, डिजाइनरों और अन्य के लिये इसके जरिये अपना जीवन निर्वाह करना असंभव रह गया है।
अभिनेता ने कहा, ‘‘ रुपहले पर्दे की ओर उनका पलायन उन्हें आर्थिक स्थिरता के साथ किसी अन्य कलात्मक माध्यम में काम करने का अनुभव देता है।उन्होंने कहा कि रंगमंच की ओर जो आकर्षित होते हैं वे हमेशा इसमें बने रहते हैं।
‘फाइनल सॉल्यूशंस’, ‘ डांस लाइक ए मैन’, ‘ऑन ए मगी नाइट इन मुंबई’, ‘तारा’ जैसे नाटकों के मंचन के लिये प्रशंसा बटोर चुके निर्देशक ने कहा, ‘‘ यह सिर्फ वक्त- वक्त की बात है। रंगमंच के शुरूआती अनुभव को लेने के लिये अधिक से अधिक युवा रंगमंच की ओर वापस लौटेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ जैसे खादी के कपड़ों, ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ, हाथ से तैयार वस्तुओं की वापसी हुई , उसी तरह यह भी वक्त की मांग है। थियेटर भी जल्द वापसी करेगा, क्योंकि यह दुनिया में हर जगह मौजूद है। यह पूछे जाने पर कि क्या नये जमाने के बॉलीवुड सिनेमा से रंगमंच को कोई खतरा है, उन्होंने कहा कि बिल्कुल नहीं। दत्तानी मैंगो सूफल जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं।