By अंकित सिंह | Jul 31, 2025
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के एनआईए कोर्ट के फैसले पर आरएसएस का बड़ा बयान सामने आया है। आरएसएस अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, सुनील आंबेकर ने कहा कि कुछ स्वार्थी उद्देश्यों, राजनीतिक स्वार्थ और व्यक्तिगत हितों के आधार पर, पूरे हिंदू धर्म और हिंदू समुदाय को आतंकवाद से जोड़ने का एक कुत्सित प्रयास किया गया था। आज अदालत के फैसले से, उन सभी प्रयासों और आरोपों को निराधार घोषित कर दिया गया है। मुझे लगता है कि यह बहुत स्वागत योग्य है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में सात आरोपियों को बरी किए जाने को लेकर गुरुवार को कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि यह फैसला पार्टी के भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी चरित्र को उजागर करता है। योगी ने एक्स पर लिखा कि मालेगांव विस्फोट प्रकरण में सभी आरोपियों का निर्दोष सिद्ध होना 'सत्यमेव जयते' की सजीव उद्घोषणा है। योगी आदित्यनाथ ने आगे लिखा कि यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी चरित्र को पुनः उजागर करता है, जिसने 'भगवा आतंकवाद' जैसा मिथ्या शब्द गढ़कर करोड़ों सनातन आस्थावानों, साधु-संतों और राष्ट्रसेवकों की छवि को कलंकित करने का अपराध किया है। कांग्रेस को अपने अक्षम्य कुकृत्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए देश से माफी मांगनी चाहिए।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने कल सदन में भी कहा कि दर्शनशास्त्र के अनुसार हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकते क्योंकि हमारी संस्कृति और हमारी सभ्यता कभी भी आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देती। लेकिन कांग्रेस के शासन में एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए एक शब्द गढ़ा गया- 'हिंदू आतंकवाद'। भाजपा नेता ने कहा कि हिंदू और आतंक दो विपरीत अवधारणाएँ हैं। हिंदू कभी आतंक में विश्वास नहीं करते और हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकते। मेरे लिए - यह अत्यंत संतोष की बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने संसद में जो कुछ भी कहा, आज मुंबई की एक अदालत ने भी हिंदू आतंक की अवधारणा को ध्वस्त कर दिया और जो भी 'हिंदू आतंक' के नाम पर आरोपी थे, सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस वोट बैंक के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। कांग्रेस ने भगवा आतंक की साजिश रची और उसे फैलाना शुरू कर दिया... अदालत ने पाया कि मोटरसाइकिल का कोई सबूत या चेसिस नंबर नहीं था। गवाहों ने भी कहा कि उन्हें प्रताड़ित किया गया और बयान देने के लिए मजबूर किया गया।