By अभिनय आकाश | Jul 16, 2025
अपनी बंगाली पहचान का राग अलापते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बारिश में भीगते हुए भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ कोलकाता में एक विशाल विरोध मार्च निकाला। कोलकाता के मध्य में आयोजित यह विरोध मार्च एकता का भी प्रदर्शन था क्योंकि इसमें अभिषेक बनर्जी सहित सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के सभी शीर्ष नेता शामिल हुए। लगातार बारिश के बीच तृणमूल सुप्रीमो और अन्य नेताओं के तीन किलोमीटर लंबे रास्ते पर बीजेपी, छी छी (शर्म करो बीजेपी) के नारे गूंज रहे थे। लगभग 1,500 पुलिसकर्मी पूरे रास्ते पर पहरा दे रहे थे। रैली के बाद, ममता ने जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र को चुनौती दी कि वह उन्हें डिटेंशन कैंप में डाल दे।
उन्होंने कहा कि मैंने तय किया है कि मैं ज़्यादातर बंगाली में बोलूँगी। मुझे डिटेंशन कैंप में डाल दो। बीजेपी खेला होबे। ज़रा इंतज़ार करो। ओडिशा में प्रवासी मज़दूरों को हिरासत में लेने, भाषाई भेदभाव और दिल्ली में बेदखली अभियान की खबरें टीएमसी और बीजेपी के बीच ताज़ा विवाद का विषय बन गई हैं। इस विरोध मार्च का कारण हाल ही में ओडिशा के झारसुगुड़ा में 444 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की हिरासत थी। टीएमसी का दावा है कि उनमें से 200 बंगाल से आए प्रवासी मज़दूर थे। तृणमूल कांग्रेस ने इस मौके का फ़ायदा उठाने में ज़रा भी देर नहीं की और बंगाली भाषी प्रवासी मज़दूरों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए सड़कों पर उतर आई। बंगाल के लगभग 22 लाख मज़दूर दूसरे राज्यों में काम करते हैं।
ममता ने आगे कहा कि भाजपा सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है जिसमें कहा गया है कि संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ़्तार करके उन्हें हिरासत शिविरों में रखा जाए। यह अधिसूचना सभी भाजपा शासित राज्यों को भेज दी गई है। हम इस अधिसूचना को चुनौती देंगे। आप हर बंगाली भाषी को जेल कैसे भेजेंगे? पश्चिम बंगाल के नागरिकों के पास पहचान पत्र हैं। वे दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पास हुनर है। वे उनसे काम तो करवाएँगे, लेकिन बांग्ला बोलने पर उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे। आपको यह अधिकार किसने दिया? क्या बंगाल भारत का हिस्सा नहीं है?