Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी पर बन रहे कई खास संयोग, इस विधि से करेंगे पूजा तो मिलेगा दोगुना लाभ

By अनन्या मिश्रा | Jan 21, 2024

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। हर महीने में 2 और पूरे साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। वहीं साल में 2 दो बार पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है। बता दें कि एकादशी का व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इस बार आज यानी की 21 जनवरी 2024 को पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जा रहा है। पुत्रदा एकादशी के दिन कुछ विशेष योग का निर्माण हो रहा है। तो आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी का महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में...


पुत्रदा एकादशी व्रत

आपको बता दें कि साल में 2 बार पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व होता है। जिसमें पहली पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन माह में किया जाता है और दूसरा पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह में किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है, उसको अग्निष्टोम यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। जो जातक संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनको पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए।

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पुत्रदा एकादशी तिथि

पुत्रदा एकादशी तिथि 20 जनवरी को 07:26 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 21 जनवरी को शाम 07:26 मिनट तक रहेगी। वहीं उदयातिथि के मुताबिक 20 जनवरी 2024 को पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जा रहा है।


शुभ योग

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 03:09 मिनट से सुबह 07:14 मिनट तक

ब्रह्म योग- सुबह 10:22 मिनट से 22 जनवरी को सुबह 08:47 मिनट तक

अमृत सिद्धि योग- सुबह 03:09 मिनट से सुबह 07:14 मिनट तक


पुत्रदा एकादशी का महत्व

भगवान विष्णु को समर्पित पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति व संतान की सलामती के लिए रखा जाता है। जिन दंपति को संतान की प्राप्ति नहीं होती, यदि वह पुत्रदा एकादशी का व्रत सच्चे मन से करते हैं और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। उनको जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है। वहीं इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होती हैं।


ऐसे करें पूजा

इस समस्त त्रिलोक में एकादशी की तिथि से बढ़कर अन्य कोई तिथि नहीं है। इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले स्नान आदि कर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, रोली, मोली, ऋतुफल, मिष्ठान आदि अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और दीप दान करें। वहीं पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमा मांगे।


एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए। वहीं जो दंपति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उनको पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। साथ ही संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर अगले दिन यानी की द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

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