भतीजे आकाश आनंद के खिलाफ मायावती का सबसे बड़ा एक्शन, अब बसपा से किया निष्कासित

By अंकित सिंह | Mar 03, 2025

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को एक बड़ा ऐलान करते हुए पार्टी की सदस्यता समाप्त करते हुए अपने भतीजे आकाश आनंद को बसपा से बाहर कर दिया। उन्होंने एक्स हैंडल लेते हुए कहा कि परमपूज्य बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के स्वाभिमान और स्वाभिमान आंदोलन के हित में और पूज्य कांशीराम जी की अनुशासन परंपरा का पालन करते हुए आकाश आनंद को उनके ससुर की तरह पार्टी और आंदोलन के हित में पार्टी से निष्कासित किया जाता है। 

 

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मायावती ने एक्स पर लिखा कि बीएसपी की आल-इण्डिया की बैठक में कल आकाश आनन्द को पार्टी हित से अधिक पार्टी से निष्कासित अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में लगातार बने रहने के कारण नेशनल कोआर्डिनेटर सहित सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था, जिसका उसे पश्चताप करके अपनी परिपक्वता दिखानी थी। लेकिन इसके विपरीत श्री आकाश ने जो अपनी लम्बी-चौड़ी प्रतिक्रिया दी है वह उसके पछतावे व राजनीतिक मैच्युरिटी का नहीं बल्कि उसके ससुर के ही प्रभाव वाला ज्यादातर स्वार्थी, अहंकारी व गैर-मिशनरी है, जिससे बचने की सलाह मैं पार्टी के ऐसे सभी लोगों को देने के साथ दण्डित भी करती रही हूँ।


इसके बाद उन्होंने कहा कि अतः परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के हित में तथा मान्यवर कांशीराम जी की अनुशासन की परम्परा को निभाते हुए आकाश आनन्द को, उनके ससुर की तरह, पार्टी व मूवमेन्ट के हित, में पार्टी से निष्कासित किया जाता है। बसपा के सभी पार्टी पदों से हटाए जाने के बाद आकाश आनंद ने सोमवार को कहा कि वह निडर बने हुए हैं और उन्हें बहुजन आंदोलन के आदर्शों से ताकत मिली है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष कोई करियर नहीं बल्कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के आत्मसम्मान और आत्मसम्मान की लड़ाई है।

 

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एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में आनंद ने कहा, "विपक्षी पार्टी के कुछ लोग सोच रहे हैं कि पार्टी के इस फैसले से मेरा राजनीतिक करियर खत्म हो गया है। उन्हें समझना चाहिए कि बहुजन आंदोलन कोई करियर नहीं बल्कि करोड़ों दलितों, शोषितों, वंचितों और गरीबों के स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लड़ाई है।" उन्होंने कहा कि, वह बहुजन आंदोलन के एक सच्चे कार्यकर्ता के रूप में खुद को पूरी तरह से पार्टी के प्रति समर्पित करते रहेंगे और समाज के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने फैसले को भावनात्मक भी बताया और कहा कि 'परीक्षा कठिन है।'

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