By नीरज कुमार दुबे | Dec 04, 2025
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा इस बात की पुष्टि करती है कि अंतरराष्ट्रीय तनावों, पश्चिमी दबावों और यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में भी भारत और रूस के संबंध एक विशिष्ट रणनीतिक गहराई लिए हुए हैं। लेकिन पुतिन की यह यात्रा उतनी ही दिलचस्प है जितनी उनकी वह कोर टीम जिसे अक्सर “आयरन सर्किल” कहा जाता है, जो दुनिया में किसी भी अन्य राष्ट्राध्यक्ष की तुलना में अधिक गोपनीय, अधिक प्रभावशाली और अधिक अटूट वफादारी वाली मानी जाती है।
हम आपको बता दें कि पुतिन की सत्ता में सबसे अहम बात यह है कि उनके विश्वासपात्रों के अलावा अन्य किसी का उन तक पहुंचना लगभग असंभव है। रूस के राष्ट्रपति के साथ बैठकों की व्यवस्थाएं, उनकी सुरक्षा-व्यवस्थाएं और उनके विश्वासपात्र चेहरे इतने सीमित हैं कि उनके करीब किसी भी नए व्यक्ति का पहुंचना एक असंभव घटना माना जाता है। इसका मूल कारण है उनकी वह कोर टीम, जिस पर पुतिन दो दशकों से भी अधिक समय से न केवल भरोसा करते आए हैं बल्कि इसी टीम के साथ उन्होंने सत्ता की पूरी संरचना भी बनाई है।
इस टीम के प्रमुख चेहरों की बात करें तो आपको बता दें कि इसमें सबसे पहला नाम है निकोलाई पत्रुशेव का। वह पुतिन की आंखें हैं, पुतिन के इशारे समझते हैं और पुतिन के रणनीतिकार हैं। निकोलाई पत्रुशेव पुतिन के कोर सर्किल के सबसे प्रभावशाली सदस्य माने जाते हैं। दोनों की दोस्ती उन दिनों से है जब वे केजीबी में युवा अधिकारी हुआ करते थे। पत्रुशेव रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव हैं। यह एक ऐसा पद है जो रूस में प्रधानमंत्री से भी अधिक रणनीतिक महत्व रखता है। उनकी पहचान एक कट्टर एंटी-वेस्ट, कठोर राष्ट्रवादी और बेहद प्रभावी रणनीतिकार के रूप में होती है। सत्ता विश्लेषकों का कहना है कि पुतिन अगर रूस के “चेहरा” हैं तो पत्रुशेव रूस का “मस्तिष्क” हैं। उन पर पुतिन का इतना गहरा भरोसा है कि रूस की सुरक्षा, विदेश नीति और घरेलू जासूसी तंत्र से जुड़ा कोई बड़ा निर्णय पत्रुशेव की सहमति के बिना शायद ही आगे बढ़ता हो।
इस टीम का दूसरा नाम है इगोर सेचिन। वह ‘डार्क फिक्सर’ हैं और रूसी अर्थव्यवस्था के अनकहे सम्राट हैं। इगोर सेचिन, जिन्हें पश्चिमी मीडिया “पुतिन का शैडो” कहता है, रूस की ऊर्जा राजनीति के सबसे शक्तिशाली खिलाड़ी हैं। रोसनेफ्ट के प्रमुख सेचिन पुतिन के सबसे पुराने सहयोगियों में हैं और माना जाता है कि रूस की तेल-राजनीति का हर बड़ा निर्णय उनके कार्यालय से होकर गुजरता है। कई विश्लेषक कहते हैं कि सेचिन, पुतिन की सत्ता संरचना में राजनीति से भी अधिक प्रभाव रखते हैं। उनकी वफादारी ऐसी है कि पुतिन खुलकर उन पर भरोसा करते हैं और उनके बिना किसी भी ऊर्जा समझौते की कल्पना नहीं की जा सकती।
इसके अलावा, पुतिन की टीम के एक और महत्वपूर्ण सदस्य हैं दिमित्री मेदवेदेव। वह सत्ता का अदृश्य सहचालक हैं। एक समय मेदवेदेव रूस के राष्ट्रपति रह चुके हैं और अब सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं। मेदवेदेव को अक्सर पुतिन का राजनीतिक ‘स्टेबलाइज़र’ कहा जाता है यानि एक ऐसा व्यक्ति जो सत्ता परिवर्तन के किसी भी दौर में पुतिन के लिए ढाल का काम करता है। आज भले ही उनकी भूमिका कम दिखाई देती हो, लेकिन पुतिन के लिए वे रणनीतिक और वैचारिक रूप से उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने दो दशक पहले थे।
इसके अलावा, सर्गेई शोइगू रूस की सैन्य मशीनरी के मुखिया हैं। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू पुतिन के लिए भरोसे के उस स्तंभ जैसे हैं जिन पर रूस की सैन्य शक्ति टिकी है। यूक्रेन युद्ध, सीरिया अभियान और रूस की नई सैन्य पुनर्संरचना, इन सभी में शोइगू का प्रभाव निर्णायक माना जाता है। पुतिन और शोइगू के निजी रिश्तों का दायरा भी राजनीतिक से आगे जाकर व्यक्तिगत भरोसे में बदल चुका है।
वहीं अलेक्ज़ेंडर बोर्तनिकोव की बात करें तो आपको बता दें कि एफएसबी के ‘स्टील वॉल’ है। एफएसबी प्रमुख बोर्तनिकोव को पुतिन का सबसे अनौपचारिक लेकिन सबसे कठोर सुरक्षा प्रहरी कहा जाता है। उनके अधीन रूस का पूरा आंतरिक सुरक्षा ढांचा और जासूसी नेटवर्क संचालित होता है। कहा जाता है कि बोर्तनिकोव के बिना पुतिन का कोई भी विदेशी दौरा संभव नहीं होता और उनकी सुरक्षा व्यवस्था का आखिरी शब्द भी वही तय करते हैं।
वहीं सर्गेई लावरोव और अंतोन वैनो को कूटनीति और प्रशासन की रीढ़ माना जाता है। हम आपको बता दें कि विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पुतिन के कूटनीतिक चेहरे हैं। वह हाजिरजवाब, अनुभवी और किसी भी वैश्विक मंच पर रूस की ओर से आक्रामक दलील देने में सक्षम हैं। दूसरी ओर, अंतोन वैनो, राष्ट्रपति कार्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ, पुतिन की प्रशासनिक पहुँच और आधिकारिक बैठकों की पूरी प्रणाली नियंत्रित करते हैं। वैनो की मंज़ूरी के बिना पुतिन तक कोई दस्तावेज़, कोई ब्रीफिंग, कोई बैठक, कुछ भी नहीं पहुँचता।
पुतिन की टीम के अन्य प्रमुख चेहरों की बात करें तो इसमें नारीशकिन, इवानोव और मत्वियेंको भी शामिल हैं। सेर्गेई नारीशकिन, विदेशी जासूसी एजेंसी एसवीआर के प्रमुख हैं तो सेर्गेई इवानोव, पुतिन के लंबे समय के विश्वसनीय साथी हैं। वहीं वलेंटीना मत्वियेंको, संघ परिषद की अध्यक्ष और रूस की सबसे प्रभावशाली महिला राजनेता हैं। इस तरह ये सभी उस आंतरिक शक्ति ढांचे का हिस्सा हैं, जिसे पुतिन ने साल-दर-साल अपनी तरह से चुना और गढ़ा है।
अब सवाल उठता है कि पुतिन तक पहुंचना असंभव क्यों है? देखा जाये तो दुनिया के कई शीर्ष नेता अपने प्रशासनिक स्टाफ से घिरे रहते हैं, लेकिन पुतिन का आंतरिक सुरक्षा घेरा अनोखा है। यह अत्यंत सीमित, अत्यधिक वफादार, पूरी तरह गोपनीय और सुरक्षा एजेंसियों से आए लोगों पर आधारित है। रूस के सत्ता गलियारों में एक कहावत है— “पुतिन की टीम में शामिल होना संभव है, लेकिन पुतिन तक पहुँचना नहीं।” कोर टीम के भीतर ही असली फैसले होते हैं और कोई भी बाहरी व्यक्ति इस घेरे को पार करके राष्ट्रपति के “क्लोज़ सर्किल” में प्रवेश नहीं कर सकता।
बहरहाल, भारत यात्रा के दौरान भी पुतिन की यह कोर टीम, चाहे प्रत्यक्ष रूप से मंच पर दिखे या परदे के पीछे, उनकी हर नीति, हर कदम और हर संवाद का अदृश्य संचालन करती है। रूस में सत्ता पुतिन के हाथों में है, लेकिन पुतिन के हाथ टीम के यही लोग हैं। यही कारण है कि विश्व राजनीति में पुतिन एक पहेली जैसे दिखाई देते हैं और उनकी कोर टीम उस पहेली की सबसे गुप्त परत।