POK वापस पाने का मौका छोड़ दिया... केंद्र सरकार पर ममता का वार, बोलीं- भाजपा लोगों की सुरक्षा में नाकाम

By अंकित सिंह | Jun 10, 2025

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि पहलगाम हमले के बाद पीओके पर कब्ज़ा करने का मौक़ा था, क्योंकि सशस्त्र बलों ने वीरता दिखाई थी। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने पहलगाम हमले पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सशस्त्र बलों की प्रशंसा की गई। बनर्जी ने कहा कि चुनाव से पहले पुलवामा नहीं होना चाहिए, जिस पर भाजपा विधायकों ने उनकी टिप्पणियों के बाद विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव से पहले पुलवामा नहीं होना चाहिए, जो किसी गड़बड़ी की ओर इशारा करता है। बनर्जी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष के दौरान भारत के पास ‘पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) को नियंत्रण में लेने का अवसर था।’

 

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बनर्जी ने कहा कि हम आतंकवाद का समर्थन नहीं करते। आतंकवाद की कोई जाति, पंथ या धर्म नहीं होता। हम इसका कभी समर्थन नहीं करते। पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले और जिस तरह से उनकी हत्या की गई, उसके लिए हम संवेदना व्यक्त करते हैं। इसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, और हम एकजुटता दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की जान गई, उनमें झंटू अली शेख भी शामिल हैं। एक कुली आदिल की भी मौत हो गई। एक अल्पसंख्यक युवक ने अपनी जान कुर्बान कर दी।


बनर्जी ने कहा, "मेरी मातृभूमि भारत है। वंदे मातरम, जय हिंद और जय बांग्ला। बहुत से लोग बंगाल को मातृभूमि के रूप में याद नहीं करते। हम हमेशा अपनी मातृभूमि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन बंगाल में हुआ था। हम अपनी मातृभूमि को नहीं भूल सकते।" उन्होंने कहा कि मैं भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का आभार व्यक्त करती हूं। हम उन्हें सलाम करते हैं। मेरा मानना ​​है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और किसी को माफ नहीं किया जा सकता।" उन्होंने एक नेता को बताया कि महिलाएं क्यों नहीं लड़तीं। सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीएपीएफ और कई लाख सैन्यकर्मी वहां हैं। मरने वालों में से एक भी पुलिस अधिकारी वहां क्यों नहीं था? इसमें शामिल आतंकवादियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए था।

 

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गत 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। मुख्यमंत्री ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना करने वाला प्रस्ताव पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित किए जाने के दौरान सदस्यों को संबोधित कर रही थीं। हालांकि पेश किए गए प्रस्ताव में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द का कहीं उल्लेख नहीं किया गया।

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