आधुनिक भारत में ऐसा पुलिस बल जरूरी जो जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को पूरा करे: नायडू

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 08, 2022

नयी दिल्ली|  उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि एक प्रगतिशील, आधुनिक भारत में ऐसा पुलिस बल होना चाहिए जो जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं की पूर्ति करे। उन्होंने कहा कि पुलिस सुधारों को लागू करने के लिए नये सिरे से जोर देना होगा।

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी प्रकाश सिंह की लिखी पुस्तक ‘द स्ट्रगल फॉर पुलिस रिफॉर्म्स इन इंडिया’ का विमोचन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि साइबर अपराधों और आर्थिक अपराधों में अत्याधुनिक और अक्सर सीमा पार प्रकृति के कारण विशेष जांच विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। 21वीं सदी के अपराधों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए पुलिस के उन्नत कौशल की जरूरत है।

उपराष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार ‘कुख्यात आपातकाल’ के दौरान पुलिस बल के दुरुपयोग की घटनाओं का उल्लेख करते हुए, नायडू ने कहा कि इसका इस्तेमाल मानवाधिकारों का दमन करने और सत्तारूढ़ सरकार के सभी राजनीतिक विरोधियों सहित हजारों लोगों को गिरफ्तार करने के लिए किया गया था।

उन्होंने याद करते हुए कहा कि इसके बाद, 1977 में एक राष्ट्रीय पुलिस आयोग की स्थापना की गई, जिसने पुलिस सुधारों के लिए विस्तृत बहुआयामी प्रस्तावों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत की। बहरहाल, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पुलिस बलों में व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर सुधार लाने के मामले में बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने विशेष रूप से उन मुद्दों को रेखांकित किया जिनमें पुलिस विभागों में भारी संख्या में रिक्त पदों को भरना और आधुनिक युग की पुलिस प्रणाली की आवश्यकताओं के अनुरूप पुलिस के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है और जिनसे युद्ध स्तर पर निपटने की आवश्यकता है।

नायडू ने जमीनी स्तर पर पुलिस बल को विशेष रूप से मजबूत करने का आह्वान किया, जो ज्यादातर मामलों में सबसे पहले कदम उठाने वाले होते हैं। उन्होंने पुलिस कर्मियों की आवास सुविधाओं में सुधार लाए जाने की भी इच्छा व्यक्त की। आम आदमी के प्रति पुलिसकर्मियों का व्यवहार विनम्र और मित्रतापूर्ण होने की आवश्यकता बताते हुए उपराष्ट्रपति ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में उदाहरण प्रस्तुत करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘‘थाने जाना ऐसे व्यक्ति के लिए परेशानी मुक्त अनुभव होना चाहिए जो वहां मदद मांगने जाता है। इसके लिए सुधार करने वाली पहली चीज पुलिस का रवैया है- उन्हें खुले विचारों वाला, संवेदनशील और प्रत्येक नागरिक की चिंताओं के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए।’’

पुलिस सुधार को अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सुधारों को लागू करने के कई प्रयास हुए हैं, लेकिन अपेक्षित सीमा तक प्रगति नहीं हुई है।

उन्होंने उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, सुधारों को समुचित रूप से लागू करने के लिए राज्यों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की अपील की। नायडू ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में, मूल्यों और प्रथाओं में महत्वपूर्ण क्षरण के साथ पुलिस बल का तेजी से राजनीतिकरण किया गया है।

उन्होंने कहा कि लोगों के लिए अनुकूल बल के रूप में देखे जाने के बजाय, इसे अभिजात्य और सत्ता के अनुकूल होने के रूप में देखा गया।

प्रमुख खबरें

Maharashtra : Thane में रिश्ते की बहन और उसके पति की हत्या के दोषी को आजीवन कारावास

Vadattiwar की शहीद हेमंत करकरे पर टिप्पणी से बिल्कुल सहमत नहीं हूं : Raut

Israeli सेना ने फलस्तीनियों को East Rafah अस्थायी रूप से खाली करने को कहा, जमीनी हमले की आशंका

सरकार विपणन वर्ष 2023-24 में 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दे : ISMA