दीन दयाल के एकात्व मानववाद से शुरुआत, चाणक्य से प्रासंगिकता की सीख और टैगोर की कविता से समापन, PM मोदी के संबोधन को इस तरह समझें

By अभिनय आकाश | Sep 25, 2021

अमेरिका दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के एकात्व मानव दर्शन से शुरुआत करते हुए चाणक्य की नीतियों के सहारे प्रासंगिकता की सीख देते हुए टैगोर की कविता से संबोधन का समापन किया। उन्होंने कहा कि गत डेढ़ में पूरा विश्व सौ साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है। ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। जिसे मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता है। लोकतंत्र की हमारी हजार वर्षों की परंपरा रही है। 

पंडित दीन दयाल के एकात्व मानववाद का जिक्र

पीएम मोदी ने यूनजीए में कहा कि एकात्व मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की आज जन्म जयंती है। एकात्व मानव दर्शन यानी इंटिग्रल ह्यूमैनिज्म। विकास और विस्तार की सहयात्रा। ये चिंतन अंत्योदय को समर्पित है। इसी भावना के साथ भारत आज विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि विकास सर्वसमावेशी हो, सर्व पोषक हो, सर्व स्पर्शी हो सर्व व्यापी हो यह हमारी प्राथमिकता है। 

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प्रासंगिक बनाए रखने के लिए बढ़ानी होगी विश्वसनीयता 

पीएम मोदी ने कहा कि एक महान भारतीय रणनीतिकार चाणक्य ने कहा था - जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता है, तो समय ही उस काम की सफलता को नष्ट कर देता है। अगर संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है, तो उसे अपनी प्रभावशीलता में सुधार करना होगा और अपनी विश्वसनीयता बढ़ानी होगी। 

टैगोर की कविता से समापन 

पीएम मोदी ने कहा कि मैं रविद्र नाथ टैगोर जी की कविता के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं। "अपने शुभ कर्म पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो। सभी दुर्बलता और आशंकाएं समाप्त हो जायेंगी"। ये संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है, उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए प्रासंगिक है। हम सबका प्रयास विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ायेगा। विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समर्थ बनायेगा। 

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