Modi का त्रिशूल ट्रंप के टैरिफ को कर देगा बेअसर! स्ट्रैटर्जी फेल होती देख बार-बार फोन मिलाते रह गए US प्रेसिडेंट

By अभिनय आकाश | Aug 27, 2025

अमेरिका और भारत की खींचतान अब एक नए मुकाम पर पहुंच चुकी है। इम मुकाम पर ट्रंप चौतरफा घिर गए हैं। आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ ठोक ही दिया, इस बात के साथ कि ये तो बस शुरुआत है। वाशिंगटन ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ का नोटिफिकेशन जारी किया। नोटिस में साफ कहा गया कि ये बढ़ा हुआ टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि भारत नहीं झुकेगा। पीएमओ में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें भारत के जवाबी कदमों पर चर्चा की गई। वहीं पीएम मोदी के चीन दौरे से बौखलाए डोनाल्ड ट्रंप ने शी जिनपिंग को धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका से टकराना चीन को महंगा पड़ेगा। वाशिंगटन के पास ऐसे कार्ड हैं, जिसे वो इस्तेमाल करना चाहे तो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को नष्ट कर सकते हैं। ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि चीन के साथ व्यापार विवाद में अमेरिका की स्थिति ज्यादा मजबूत है। ट्रंप ने ये भी कहा कि चीन के पास कुछ कार्ड हैं लेकिन उनके पास अविश्वसनीय कार्ड है। उन्होंने ये भी कहा कि वो बीजिंग का दौरा भी कर सकते हैं। भारत पर एक्सट्रा टैरिफ पर नोटिस और चीन की धमकी के क्या मायने हैं, टैरिफ का तमाशा भारत के व्यापार, किसानों और आम लोगों पर क्या असर डालेगा। कितनी नौकरियां जा सकती हैं और कहां काम ठप्प हो सकती है। सबसे अहम की भारत की तैयारी क्या है, इससे निपटने के लिए। क्या ट्रंप को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा? 

इसे भी पढ़ें: इतना टैरिफ लगाऊंगा कि सिर घूम...भारत-पाक तनाव पर ट्रंप का नया खुलासा!

50% का टैरिफ, पीएम की हाई लेवल मीटिंग

27 अगस्त यानी आज से लागू हो गया। ट्रंप के ऐलान के मुताबिक, 7 अगस्त से भारत पर पहले ही 25% टैरिफ लागू है। अब 27 अगस्त से कुल 50% टैरिफ हो जाएगा। कॉमर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक, 2024 की ट्रेड वैल्यू के आधार पर अमेरिकी टैरिफ से भारत के 48.2 अरब डॉलर से अधिक यानी 55% निर्यात पर आंच आएगी। भारत ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कर दिया था कि रूसी तेल का इस्तेमाल खुद अमेरिका और यूरोपीय देश भी कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन की ओर से दबाव के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत में भी भारत ने अपना कृषि क्षेत्र अमेरिकी कंपनियों के लिए खोलने से मना कर दिया था। इस बीच, अमेरिकी टैरिफ के मसले पर बीते दिन पीएम मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें स्थिति से निपटने के उपायों पर मंथन किया गया।

ट्रंप के दिमाग में चल क्या रहा है

डील करने वाला व्यक्ति हर चीज में फायदा नुकसान तलाशता है। पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि जितना डफली बजाना है अमेरिका बजाते रहे। भारत पर कोई असर नहीं होने वाला। जर्मनी के एक बड़े अखबार के माध्यम से खुलासा तो ये भी हुआ है कि अलास्का में पुतिन के साथ मुलाकात हुई तो डोनास्ड ट्रंप ने पुतिन से पेट्रोल के ऊपर बातचीत की थी। वो रूस के साथ गैस, पेट्रोलियम, क्रूड ऑयल को लेकर डील करना चाह रहे थे। 

इसे भी पढ़ें: 100 देशों के साथ ट्रंप पर टूट पड़ा भारत! अब तो टैरिफ पर पूरा गेम ही पलट जाएगा

टैरिफ का समीकरण समझें

अब अमेरिका के 50% टैरिफ और मोस्ट फेवर्ड नेशंस टैरिफ रेट्स को जोड़कर भारतीय निर्यात के लिए चुनौती बढ़ गई है। टेक्सटाइल्स के मामले में यह 59%, अपैरल पर 60.3%, मशीनरी पर करीब 51% और लेदर प्रोडक्ट्स पर 54% तक की इंपोर्ट ड्यूटी हो जाएगी। 

ज्यादा टैरिफ वाले 10 देश

भारत 50%

ब्राजील 50%

सीरिया 41%

म्यांमार 40%

लाओस 40%

स्विट्जरलैंड 39 %

कनाडा 35%

सर्बिया 35%

चीन 30%

साउथ अफ्रीका 30%

क्या कर रही सरकार ? 

जुलाई में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ का ऐलान करने के बाद सरकार ने निर्यातकों से विचार-विमर्श शुरू कर दिया था। कॉमर्स मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने कहा, "इस वित्त वर्ष के बजट में एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन का ऐलान किया गया था। इसके तहत निर्यातकों को सपोर्ट देने के कदम जल्द उनाए जाएंगे। फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स से लेकर लेदर तक सभी लेबर विसिव सेक्टरों को सहारा देने के उपाय होंगे। साथ ही, हाल के दिनों में किए गए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स का उपयोग बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, आसियान देशो के साथ हुए एफटीए का रिव्यू जल्द पूरा करने के लिए, हम इन देशों के संपर्क में हैं।' कॉमर्स मिनिस्ट्री एक्सपोर्ट डायवर्सिफिकेशन के लिए जेर लगा रही है। इसके लिए पहले 20 देशों की लिस्ट पहले बनाई गई थी। अब 30 और देश शामिल कर लिए गए है।

इसे भी पढ़ें: Trump Call PM Modi: बार-बार फोन मिलाते रह गए ट्रंप, मोदी ने नहीं किया रिसीव

भारत-US के बीच 2+2 वार्ता में क्या हुआ

भारत और अमेरिका के बीच 25 अगस्त को 2+2 इंटरसेशनल डायलॉग हुआ। दोनों पक्षों ने डिफेंस के क्षेत्र में 10 साल के फ्रेमवर्क के तहत अमेरिका भारत साझेदारी की दिशा को लेकर चर्चा की। भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों ने द्विपक्षीय पहलों में प्रगति पर चर्चा की। इसमें व्यापार, निवेश, सिविल न्यूक्लियर को-ऑपरेशन, काउटर टेरेरिज्म शामिल है। क्वॉड के जरिए इडो पैसिफिक को और मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्धता को दोहराया गया।

भारत का देश में कितना होता है एक्सपोर्ट

यूएसए 19.95% यूएई 8.45% नीदरलैंड्स 5.25%

यके 3.36% चीन 3.29% सिंगापुर 2.99%

सऊदी अरब 2.71% जर्मनी 2.43% अन्य 48.95%

ट्रंप का फोन क्यों नहीं उठा रहे मोदी

डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद जर्मन अखबार ने दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल के हफ्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन भारतीय नेता ने उनके कॉल को अस्वीकार कर दिया। सूत्रों का हवाला देते हुए, जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइन ने दावा किया कि यह मोदी के गुस्से की गहराई, बल्कि उनकी सावधानी का नतीजा था। यह रिपोर्ट ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (जीपीपीआई) के सह-संस्थापक और निदेशक थॉर्स्टन बेनर ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि एफएजेड का दावा है कि ट्रंप ने हाल के हफ्तों में मोदी को चार बार फोन करने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने इनकार कर दिया। आपको याद होगा कि ट्रंप ने इससे पहले अमेरिका और वियतनाम के बीच एक ट्रेड डील की घोषणा की थी। इस व्यापार समझौते के लिए अमेरिका और वियतनाम के प्रतिनिधिमंडलों के बीच सावधानीपूर्वक बातचीत की गई थी। इस दौरान ट्रंप ने वियतनाम के नेता टो लाम के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी। लेकिन किसी समझौते पर पहुंचने से पहले ही ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घोषणा कर दी थी कि उन्होंने एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर ली है। भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी ट्रंप के इस जाल में नहीं फंसना चाहते हैं।

प्रमुख खबरें

IndiGo ने आज की सारी उड़ानें रद्द कीं, हजारों यात्री फंसे, Civil Aviation Minister ने Airline को लगाई फटकार

एक महीने चावल छोड़ा, तो शरीर में दिखे ये 3 बड़े बदलाव, आप भी हो जाएंगे हैरान!

Rahul Gandhi को Putin से मिलने नहीं दिया गया या पुतिन खुद राहुल से मिलना नहीं चाहते? चक्कर क्या है?

Hyderbad House में शुरू हुई Modi-Putin की बैठक, भारत–रूस संबंधों की दशकों पुरानी नींव और नेतृत्व की दूरदर्शिता पर दिया जोर