By अंकित सिंह | Feb 03, 2025
प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह बजट के साथ-साथ सोनिया गांधी के बयान और दिल्ली चुनाव पर चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। बजट को लेकर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग को बहुत बड़ा राहत दी है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि यह बजट सभी के लिए है। पिछली बार जब चुनाव होने थे तब सभी ने उम्मीद की थी लेकिन राहत अब जाकर मिली है।
नीरज दुबे ने कहा कि सरकार ने इस बजट को युवाओं, महिलाओं, किसानों और मध्यम वर्ग पर फोकस करके बनाया है। नीरज दुबे ने कहा कि यह बजट आलोचना करने वाला नहीं है। इस बजट में सबको कुछ ना कुछ देने की कोशिश की गई है। मध्यम वर्ग को तो बड़ी राहत मिली है। यह आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत की नींव को मजबूत करने वाला बजट है। शिक्षा और रक्षा पर अच्छा खासा फोकस किया गया है। स्किल डेवलपमेंट पर भी बहुत ज्यादा फोकस किया गया है।
बिहार को लेकर बजट में जो ऐलान हुए हैं उसके बाद विपक्ष ने इसकी आलोचना की। इसको लेकर नीरज दुबे ने कहा कि बिहार भी इस देश का राज्य है। बिहार बाढ़ जैसे आपदाओं से लगातार जुझता है। इसके लिए सरकार लगातार काम कर रही है। बिहार में चुनाव होने हैं, ठीक है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह बजट सिर्फ बिहार के लिए था।
राष्ट्रपति को लेकर कांग्रेस की सोनिया गांधी के बयान पर नीरज दुबे ने कहा कि यह ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस के किसी नेता ने राष्ट्रपति को लेकर इस तरीके का बयान दिया है। इससे पहले भी राष्ट्रपति को लेकर इस तरीके के बयान दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को लेकर यह बयान तो दिया ही गया, लेकिन यह उस महिला के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला बयान था जो अपनी बदौलत देश के राष्ट्रपति भवन तक पहुंची है। जब से द्रौपदी मुर्मू का नाम राष्ट्रपति पद के लिए सामने आया था, तब से उनका अपमान किया जा रहा है। यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति भवन को भी इस तरीके के बयान को लेकर अपनी विज्ञप्ति जारी करनी पड़ी है।
दिल्ली चुनाव को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि केजरीवाल लगातार अपनी एजेंडा सेट करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी में कड़ी टक्कर है। 5 तारीख को लोग वोट डालेंगे, 8 को नतीजे आएंगे। लेकिन दिल्ली का चुनाव इस बार दिलचस्प है। नीरज दुबे ने कहा कि जब 1993 में दिल्ली में पहले विधानसभा का चुनाव हुआ था तब से मैं इसे देख रहा हूं। यह पहला मौका ऐसा लग रहा है जब चुनाव एकतरफा नहीं है। देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का वनवास खत्म होता है या नहीं। लेकिन केजरीवाल के लिए चुनौतियां बढ़ी हुई हैं।