सिलचर (असम)।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
जेपी नड्डा ने सोमवार को
असम में पार्टी का प्रचार अभियान शुरू करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आगामी चुनाव में असम में सत्ता में लौटेगी और विधानसभा की 126 में से 100 से ज्यादा सीटें जीतेगी। राज्य में कुछ ही महीने बाद विधानसभा का चुनाव होना है। सिलचर में पुलिस परेड मैदान में विजय संकल्प रैली को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि 2016 में विधानसभा चुनाव में विजय के बाद से भाजपा ने जिला परिषद, पंचायत, क्षेत्रीय या स्वायत्त परिषदों के सभी चुनावों में जीत हासिल की है और अगले विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में आएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री
सर्वानंद सोनोवाल और प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के सहयोग से सभी वर्ग के लोगों और समूचे राज्य के सर्वांगीण विकास के कारण यह संभव हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य में ‘डबल इंजन’ की सरकार के कारण विभिन्न क्षेत्रों में सभी कार्यक्रमों के समुचित क्रियान्वयन में मदद मिली है। नड्डा ने कहा, ‘‘समूचे देश में लोगों ने एक बार फिर मोदीजी में आस्था प्रकट की है जिसके कारण हर स्तर पर भाजपा को चुनावों में जीत मिली है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लद्दाख, जम्मू कश्मीर, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, बिहार और पूर्वोत्तर के हालिया चुनाव ने दिखा दिया कि लोग मोदीजी के विकास मॉडल का हिस्सा बनना चाहते हैं।’’ असम में इस साल मार्च-अप्रैल में चुनाव होना है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि असम की संस्कृति, और पहचान को अहमियत देने के कारण पार्टी को सफलता मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा असम के विकास के लिए शांतिपूर्वक काम कर रही है। पार्टी ने सभी समुदायों के हितों को ध्यान में रखा है। दूसरों को नुकसान पहुंचाए बिना सबकी मांगों को पूरा किया गया
है।’’
नड्डा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शांति समझौते पर दस्तखत कर 50 वर्ष पुराने बोडो मुद्दे का हल कर दिया और उग्रवादियों को मुख्यधारा में लाया गया। सभी हितधारकों को विश्वास में लिया गया और समझौते से सुनिश्चित हुआ कि उनकी मांगों को मान्यता दी जाए।’’ उन्होंने कहा कि पड़ोस के त्रिपुरा में भी लंबे समय से जारी ब्रू-रेआंग गतिरोध को सुलझा लिया गया। नड्डा ने राज्य में कांग्रेस के 15 साल के कार्यकाल में परियोजनाएं पूरी नहीं होने के आरोप लगाए। कांग्रेस पर हमला करते हुए नड्डा ने कहा कि परियोजनाओं की शुरुआत की गयी लेकिन देरी के कारण लागत बढ़ने से परियोजनाएं कभी लागू नहीं हो पायी।