राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच साल पूरे, धर्मेंद्र प्रधान बोले- विकसित भारत का सबसे महत्वपूर्ण रास्ता

By अंकित सिंह | Jul 29, 2025

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को विश्व स्तरीय शिक्षा के सार्वभौमिकरण के उद्देश्य से एक दार्शनिक दस्तावेज बताया और कहा कि यह विकसित भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण मार्ग बनकर उभरा है। उनका यह पोस्ट ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार द्वारा 2020 में शुरू की गई एनईपी ने मंगलवार को अपनी पाँचवीं वर्षगांठ मनाई। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि 29 जुलाई हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 को पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में लॉन्च किया गया था।

 

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प्रधान ने कहा कि विश्व स्तरीय शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने, प्रत्येक शिक्षार्थी की क्षमताओं को उजागर करने और हमारी आबादी को 21वीं सदी और उसके बाद के लिए तैयार करने हेतु एक दार्शनिक दस्तावेज़, NEP 2020 रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और नवाचार को बढ़ावा दे रहा है, आकांक्षाओं को साकार कर रहा है और सभी मोर्चों पर हमारी शिक्षा में बदलाव ला रहा है। आज, जब हम NEP के कार्यान्वयन के 5वें वर्ष पूरे कर रहे हैं, NEP 2020 विकसित भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में उभरा है।


पोस्ट में आगे कहा गया कि मैं सभी को NEP 2020 के 5 वर्ष पूरे होने पर बधाई देता हूँ। आइए, हम भारत को एक जीवंत ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए NEP को अक्षरशः लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रहें। 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईआर) 2020 को मंज़ूरी दे दी, जिसमें उच्च शिक्षा में बड़े सुधार पेश किए गए हैं, जिसमें 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) का लक्ष्य और कई प्रवेश और निकास बिंदुओं के प्रावधान शामिल हैं।

 

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एनईपी 2020 में कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना, रिपोर्ट कार्ड के स्थान पर प्रगति कार्ड, 5 + 3 + 3 + 4 संरचना, आसान प्रवेश/निकास विकल्पों के साथ बहु-विषयक शिक्षा और एक अकादमिक क्रेडिट बैंक शामिल हैं। नीति का उद्देश्य किसी व्यक्ति को रुचि के एक या अधिक विशिष्ट क्षेत्रों का गहन स्तर पर अध्ययन करने में सक्षम बनाना है, तथा साथ ही विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और मानविकी सहित विभिन्न विषयों में चरित्र, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, रचनात्मकता, सेवा की भावना और 21वीं सदी की क्षमताओं का विकास करना है।

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