By अभिनय आकाश | Nov 28, 2025
Word power is world power… Be it a judge, president or anyone else, including myself, everyone has to walk the talk. हिंदी में कहे तो शब्द की ताकत ही दुनिया की ताकत है। दुनिया में सबसे बड़ी शक्ति यही है कि दिया हुआ वचन निभाया जाए। चाहे जज हो, राष्ट्रपति हो या कोई भी व्यक्ति। खुद मैं भी उसमें शामिल हूं। हर किसी को अपनी कही हुई बात पर चलना पड़ता है। 27 नवंबर 2025 को 8:21 मिनट पर 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चाणक्य और राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने एक पोस्ट किया। राजनीतिक गलियारों में इसे सीधे तौर पर सत्ता हस्तांतरण समझौते, यानी दो ढाई साल बाद मुख्यमंत्री पद सौंपे जाने, का संकेत माना गया। शिवकुमार की पोस्ट के कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जवाब देते हुए लिखा A Word is not power unless it betters the World for the people. इसे राजनीतिक विश्लेषक उनके पूरे कार्यकाल तक सीएम बने रहने के दावे के रूप में देख रहे।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सीएम पद के लिए डीके शिवकुमार सबसे पोटेंशियल कैंडिडेट थे। कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन का क्रेडिट भी उन्हीं को गया था। मगर सीएम सिद्धारमैया को बनाया गया तब से ही हर रोज कयास लगाए जा रहे थे कि बतौर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे या फिर नहीं। तो कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद डीके शिवकुमार ने सीएम बनने की इच्छा जाहिर कर दी है। हालांकि सार्वजनिक रूप से खुलकर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा है। लेकिन इसके लिए अपना प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दिया है। राहुल गांधी की भी इस मामले में एंट्री हो चुकी है और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की भी इस मामले में एंट्री हो चुकी है। लेकिन डीके शिवकुमार मानने के लिए तैयार नहीं है। डीके शिव कुमार का कहना है कि जिस वक्त 2023 में नतीजे आए थे उस वक्त यह पार्टी आलाकमान ने तय किया था गुप्त कमरे में एक मीटिंग हुई थी जिसमें यह तय हुआ था कि ढाई साल पहले ढाई साल सिद्धारमैया मुख्यमंत्री रहेंगे और आखिर के जो ढाई साल हैं उसमें डीके शिव कुमार मुख्यमंत्री पद पर रहेंगे 20 नवंबर को वो ढाई साल का वक्त पूरा हो चुका है। ऐसे में डी के शिवकुमार अब जो उनके साथ डील हुई थी उस डील पर आए हैं कि ये डील अब पूरी होनी चाहिए लेकिन सिद्धार्थ रमैया का कहना है कि आलाकमान अब तय करेगा।
दरअसल, 10 मई 2023 को जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस को बड़ी बहुमत मिली। 224 सीटों वाले राज्य में 223 सीटों पर लड़कर कांग्रेस को 135 सीटें आई। जुलाई 2019 में जिस तरह से भाजपा ने कांग्रेस के 13 विधायकों को तोड़कर राज्य में सरकार बनाई थी और सेंटर के बैकअप के बाद लगातार मजबूत दिख रही थी कांग्रेस की यह जीत निश्चित रूप से एक बड़ी जीत थी। इस जीत के बाद कांग्रेस का एक चेहरा स्टेट के बाहर भी काफी चर्चित हुआ। लोगों ने उसे कांग्रेस का चाणक्य माना और नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे फेवरेट चेहरा नाम था डी के शिव कुमार। डीके शिवकुमार ही कांग्रेस के स्टेट प्रेसिडेंट थे और पार्टी के लिए योजना बनाने से लेकर रिसोर्स मोबिलाइजेशन में वही हमेशा फ्रंट पर दिखे। इसलिए जीत का बड़ा क्रेडिट या कहें तो पूरा क्रेडिट उन्हीं को गया। मगर कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भरोसा जताया। एक बड़ा कारण यह भी कि सिद्धार्थ रमैया का कद बहुत बड़ा है और पुराने नेता उनके फेवर में ज्यादा थे। यह बिल्कुल वही कहानी है जैसा हम राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच देखते हैं। जो मध्य प्रदेश में हमने कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच देखा।
कुमार को बस इस चीज का एज है कि पार्टी का ऑर्गेनाइजेशनल कंट्रोल उनके पास है। लेकिन यह सब बस संभावनाएं हैं। डीके शिवकुमार सार्वजनिक रूप से यही कह रहे हैं कि व्यक्तिगत हितों के आगे पार्टी का हित ज्यादा महत्वपूर्ण है। मगर फिलहाल सबकी नजर इसी पर है और ताजा हालात को देखते हुए यह तो जरूर कह सकते हैं कि कांग्रेस हाईकमान के पास एक बड़ा पॉलिटिकल टेंशन सामने है। जिसका नतीजा कर्नाटक के भीतर ऑपरेशन लोटस 2.0 के लिए भी रास्ता खोल सकता है। 89 के बाद कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत है 135 विधायकों के साथ। बीजेपी के पास 66 हैं और जेडीयू के पास 19 हैं। सिर्फ बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बीजेपी प्लस जेडीयू प्लस 28 विधायकों की जरूरत है।
सिद्धारमैया बाकी विकल्पों पर भी बात कर सकते हैं। वैसे विकल्प जिसमें पावर टशल पर विराम लगाने के लिए अपने किसी विश्वस्त को मुख्यमंत्री बनवाना या फिर इस शर्त पर आना कि डीके शिवकुमार को छोड़कर दूसरा कोई भी मुख्यमंत्री बने तो उन्हें समस्या नहीं होगी। ऐसे में डीके शिव कुमार भी अपनी तरफ से किसी को पुश कर सकते हैं। ऐसे में एक नाम जिस पर पार्टी विचार कर सकती है गृह मंत्री जी परमेश्वर का आता है। वह भी एक मजबूत और प्रभावी नेता हैं। उन्होंने पहले भी खुलकर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताते हुए कहा है कि वह हमेशा से मुख्यमंत्री के रेस में रहे हैं।
वैसे दो और प्लेयर हैं वहां पर। वो भी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। एक मलिकार्जुन खड़गे है जो कि खुद आलाकमान है। उनकी कर्नाटक सीएम बनने की बड़ी इच्छा है। कर्नाटक को जिंदगी में पहली बार एक दलित मुख्यमंत्री जरूर मिलना चाहिए। दलितों की आबादी भी 11% है। अगर उनकी उम्र आड़े आती है तो इन सब से अलग प्रियांक खड़गे अलग गोटी सेट करने में लगे हैं।