नयी तालिबानी सरकार शरिया कानून का करेगी पालन, अफगानों से किए गये ये वादें

By रेनू तिवारी | Sep 08, 2021

तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान की कार्यवाहक सरकार के मंत्रिमंडल की घोषणा करते हुए मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद की सरकार में खूंखार हक्कानी नेटवर्क सहित नामित वैश्विक आतंकवादियों को महत्वपूर्ण भूमिकाएँ दी जाएंगी। तालिबान ने अफ़गानों को आश्वस्त करने के लिए एक नीतिगत बयान भी जारी किया है कि किसी को भी भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए। हमारा पहला प्रयास और प्राथमिकता सभी समस्याओं को वैध और उचित माध्यमों से हल करना है। तालिबान की 20 साल पहले वाली सरकार के नियमों से अफगानिस्तान के लोग सहमे हुए है। अब तालिबानियों ने नयी सरकार को लेकर कहा है कि पिछले 20 साल से हमारे बस दो ही लक्ष्य थे। पहला अफगानिस्तान से विदेशी कब्जे को हटाना, बाहरी आक्रमण को समाप्त करते देश को मुक्त करवाना। तालिबान के बयान में कहा गया कि अब अफगानिस्तान पूर्ण स्वतंत्र, स्थिर और केंद्रीय इस्लामी व्यवस्था के अधीन है। 

 

इसे भी पढ़ें: तालिबान ने नई सरकार की घोषणा की, मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद होंगे पीएम, अब्दुल गनी बरादर डिप्टी पीएम होंगे

 


तालिबान मे लागू होगा शरीयत कानून

तालिबान के सर्वोच्च नेता मावलवी हिबातुल्लाह अखुंदज़ादा के लिए नीतिगत बयान मे कहा गया कि भविष्य में, अफगानिस्तान में शासन और जीवन के सभी मामलों को पवित्र शरीयत के कानूनों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। तालिबान के शक्तिशाली निर्णय लेने वाले निकाय 'रहबारी शूरा' के प्रमुख मुल्ला हसन कार्यवाहक प्रधान मंत्री होंगे, जबकि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर "नई इस्लामी सरकार" में उप प्रधानमंत्री होंगे। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पद से इस्तीफा नहीं दिया था। वह देश छोड़ कर तालिबानियों के डर से भाग गये थे। अब तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अपनी सरकार बना रहा है। तालिबान ने अपने बयान में इस बात पर भी जोर दिया है कि उनका मानना है कि अफगान तालिबान का समर्थन करेंगे और व्यवस्था को मजबूत बनाने में तालिबानियों की मदद करेंगे। तालिबान ने आगे कहा, सभी प्रतिभाशाली और पेशेवर लोगों, विद्वानों, प्रोफेसरों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और शिक्षित कैडर, राष्ट्रीय व्यापारियों और निवेशकों को पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहिए कि इस्लामी अमीरात उन्हें महत्व देगा। हमारे देश को उनकी प्रतिभा, मार्गदर्शन और काम की सख्त जरूरत है। लोगों को देश नहीं छोड़ना चाहिए। इस्लामिक अमीरात को किसी से कोई दिक्कत नहीं है। तालिबान ने एक "समावेशी" सरकार का वादा किया था जो अफगानिस्तान के जटिल जातीय श्रृंगार का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन मंत्रिमंडल में कोई हजारा सदस्य नहीं है।

 

इसे भी पढ़ें: काबुल की सड़कों पर लगे ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे, प्रदर्शनकारियों पर तालिबान ने चलाई गोली 

तालिबान की नये सरकार ने अफगानों को दिखाए झूठे सपने?

तालिबान ने अपने बयान में इस बात पर भी जोर दिया है कि उनका मानना है कि अफगान तालिबान का समर्थन करेंगे और व्यवस्था को मजबूत बनाने में तालिबानियों की मदद करेंगे। तालिबान ने आगे कहा, सभी प्रतिभाशाली और पेशेवर लोगों, विद्वानों, प्रोफेसरों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और शिक्षित कैडर, राष्ट्रीय व्यापारियों और निवेशकों को पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहिए कि इस्लामी अमीरात उन्हें महत्व देगा। हमारे देश को उनकी प्रतिभा, मार्गदर्शन और काम की सख्त जरूरत है। लोगों को देश नहीं छोड़ना चाहिए। इस्लामिक अमीरात को किसी से कोई दिक्कत नहीं है। तालिबान ने एक "समावेशी" सरकार का वादा किया था जो अफगानिस्तान के जटिल जातीय श्रृंगार का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन मंत्रिमंडल में कोई हजारा सदस्य नहीं है।


तालिबान में नयी सरकार

तालिबान ने मंगलवार को अफगानिस्तान की कार्यवाहक सरकार के मंत्रिमंडल की घोषणा करते हुए मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और तत्कालीन अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है। इसमें वैश्विक स्तर पर आतंकी नामित किए गए हक्कानी नेटवर्क के एक नेता को गृह मंत्री का प्रभार सौंपा गया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने काबुल में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि नयी इस्लामिक सरकार में संगठन की निर्णय लेने वाली शक्तिशाली इकाई ‘रहबरी शूरा’ के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद प्रधानमंत्री होंगे जबकि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उप प्रधानमंत्री होंगे। हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख और सोवियत विरोधी क्षत्रप जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी को 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में गृह मंत्री बनाया गया है और मंत्रिमडल में एक भी महिला सदस्य नहीं है। तालिबान ने समावेशी सरकार गठित करने का वादा किया था, लेकिन मंत्रिमंडल में हजारा समुदाय का एक भी सदस्य नहीं है। उप सूचना मंत्री नियुक्त किए गए मुजाहिद ने कहा कि अंतरिम सरकार में मुल्ला अमीर खान मुत्तकी नए विदेश मंत्री होंगे जबकि शेर मोहम्मद अब्बास स्तनिकजई को उप विदेश मंत्री बनाया गया है। 


तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर के बेटे मुल्ला याकूब रक्षा मंत्री होंगे। इसी तरह, मुल्ला हिदायतुल्ला बदरी को वित्त मंत्री बनाया गया है और कारी फसिहुद्दीन बदख्शानी नए सेना प्रमुख होंगे। मुजाहिद ने कहा, मंत्रिमंडल का गठन पूरा नहीं हुआ है और यह केवल कार्यवाहक मंत्रिमंडल है। हम देश के अन्य हिस्सों से भी लोगों को इसमें शामिल करने का प्रयास करेंगे। ‘डॉन’ अखबार की खबर के मुतााबिक, कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन ने एक लिखित बयान में अफगानिस्तान की जनता को विदेशी फौजों की वापसी, कब्जे की समाप्ति और देश की पूर्ण स्वतंत्रता की बधाई दी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा ने खुद अफगानिस्तान के नए प्रमुख के रूप में मुल्ला हसन का नाम प्रस्तावित किया। तालिबान के पिछले शासन के अंतिम वर्षों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था 


मुल्ला हसन तालिबान के शुरुआती स्थल कंधार से ताल्लुक रखते हैं और सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से हैं। उन्होंने ‘रहबरी शूरा’ के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और मुल्ला हेबतुल्लाह के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार के दौरान विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम वैश्विक स्तर के आतंकवादियों की सूची में है। अमेरिका ने उसके बारे में सूचना पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की वेबसाइट के अनुसार, 2008 में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या के प्रयास की साजिश में भी वह कथित रूप से शामिल था।

प्रमुख खबरें

RR vs RCB IPL Eliminator: राजस्थान रॉयल्स के सामने आरसीबी की कठिन चुनौती

पांच चरणों के मतदान में BJP ने पार किया 310 सीटों का आंकड़ा, Amit Shah बोले- ओडिशा में भी हर जगह कमल खिलेगा

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने हरियाणा में रैली में कहा- PM Modi ‘झूठों के सरदार’ हैं

खालिस्तानियों का चुनाव लडऩा, स्वागत और सतर्कता दोनों जरूरी