सौर पैनल में सूक्ष्म दरारों का पता लगाने की नई तकनीक

By सुंदरराजन पद्मनाभन | Jul 01, 2019

नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): सौर ऊर्जा का उपयोग लगातार बढ़ रहा है और देशभर में सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। लेकिन, दूरदराज के इलाकों में लगाए जाने वाले सोलर पैनल में दरार पड़ जाए तो उनकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है और विद्युत उत्पादन प्रभावित होता है। भारतीय शोधकर्ताओं ने इस समस्या से निपटने के लिए इंटरनेट से जुड़ी रिमोट मॉनिटरिंग और फजी लॉजिक सॉफ्टवेयर प्रणाली आधारित एक प्रभावी तकनीक विकसित की है जो सोलर पैनल की दरारों का पता लगाने में मदद कर सकती है।

इसे भी पढ़ें: ग्रीष्म लहर से बढ़ा ओजोन प्रदूषण, स्वास्थ्य को हो रहा बड़ा नुकसान

सौर सेल में बारीक दरारें पड़ती हैं और पावर आउटपुट में उतार-चढ़ाव होने लगता है तो सबसे अधिक समस्या उत्पन्न होती है। सोलर पैनल निर्माण से लेकर उनकी स्थापना और संचालन के विभिन्न चरणों के बीच अक्सर उनमें दरारें पड़ जाती हैं। सोलर पैनल स्थापित किए जाने के बाद जब वे संचालित हो रहे होते हैं तो दरारों का पता लगाना अधिक मुश्किल हो जाता है। कई बार तेज हवा या फिर अन्य जलवायु परिस्थितियों के कारण भी सोलर पैनल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। बड़े पैमाने पर लगाए जा रहे सोलर पैनलों में पड़ने वाली सूक्ष्म दरारों का पता लगाना भूसे के ढेर में सुई ढूंढ़ने जैसा कठिन कार्य है।

 

इन सोलर पैनलों का रखरखाव करने वाली एजेंसियां सूक्ष्म दरारों का पता लगाने के लिए कई उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करती हैं। लेकिन, इसके लिए कोई आसान और प्रभावी तरीका अभी तक उपलब्ध नहीं है। फरीदाबाद के जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित यह नई तकनीक इस कार्य को अधिक कुशल तरीके से निपटाने में उपयोगी हो सकती है।

इसे भी पढ़ें: ऊष्मीय अनुकूलन से कम हो सकती है एअर कंडीशनिंग की मांग

इस तकनीक में इंटरनेट आधारित नेटवर्क से जुड़े सेंसर और अन्य उपकरणों की मदद से सोलर पैनल की कार्यप्रणाली की निगरानी एक नियंत्रण कक्ष से की जाती है। सोलर पैनल में दरारों के कारण विद्युत उत्पादन में गिरावट हो सकती है। इस स्थिति में सिलिकॉन-कूल्ड सीसीडी कैमरों द्वारा सोलर पैनलों की तस्वीरें ली जाती हैं और दरारों की पहचान के लिए इन तस्वीरों को फजी लॉजिक की मदद से विस्तारित करके देखा जाता है।

 

सूक्ष्म दरारों के कारण सौर सेलों का परस्पर संपर्क टूट जाता है, जिससे सोलर पैनल की विद्युत उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। सिर्फ सोलर पैनलों के उत्पादन के समय पड़ने वाली दरारों से ही 5-10 प्रतिशत नुकसान होता है और इस कारण उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। 

 

इस अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता रश्मि चावला ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस तकनीक में प्रमुख घटक फजी लॉजिक का उपयोग है। अभी तक इस तकनीक का उपयोग फोटोवोल्टिक मॉड्यूल्स की वास्तविक समय में निगरानी के लिए नहीं किया गया है। सोलर पैनल की दरारों का पता लगाने में इस रणनीति को अधिक प्रभावी पाया गया है।”

इसे भी पढ़ें: बैक्टीरिया से तैयार होगा ‘पर्यावरण अनुकूल सीमेंट''

डॉ रश्मि चावला के अलावा शोधकर्ताओं की टीम में पूनम सिंघल और अमित कुमार गर्ग शामिल थे। यह अध्ययन शोध पत्रिका 3डी रिसर्च में प्रकाशित किया गया है। 

 

(इंडिया साइंस वायर)

भाषांतरण: उमाशंकर मिश्र

प्रमुख खबरें

Shah ने BJP और उसके छद्म सहयोगियों को नेशनल कॉन्फ्रेंस को हराने का निर्देश दिया: Omar

विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजने में Congress अव्वल : Chief Minister Mohan Yadav

Manoj Tiwari ने मुझ पर हमला कराया क्योंकि लोग अब उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं: Kanhaiya

Shakti Yojana से Metro को नुकसान होने संबंधी प्रधानमंत्री की टिप्पणी से हैरान हूं: Shivkumar