मोदी सरकार का पैगाम: चार दिन की नौकरी, बारह घंटे काम व आधे घंटे का होगा ब्रेक!

By कमलेश पांडेय | Mar 31, 2021

देश की कार्यसंस्कृति को और अधिक प्रभावी तथा उत्पादक बनाने के लिए मोदी सरकार ने नए वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2021 से 4 दिन की नौकरी, 12 घण्टे काम और आधे घण्टे का अल्प विराम (ब्रेक) वाला नियम लागू करने का इरादा बना लिया है। इससे नौकरी करने वाले की ग्रेच्युटी, पीएफ एवं काम के घंटों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। 


दरअसल, अपने युगान्तकारी निर्णयों से केंद्र में दूसरी पारी खेल रही मोदी सरकार ने व्यवस्था में नीतिगत बदलाव का सिलसिला जारी रखते हुए काम के घंटे, काम के दिन, अतिरिक्त श्रम गणना (ओवरटाइम), लघु अवकाश (ब्रेक) का समय तथा दफ्तर में कैंटीन जैसे नियमों में बदलाव करने की घोषणा की है। इससे स्पष्ट हो चुका है कि कोई भी कर्मचारी अब निरंतर पांच घंटे से अधिक काम नहीं करेंगे। 12 घण्टे की कार्यावधि में उन्हें बीच में आधे घंटे का ब्रेक देना होगा।

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इसके अलावा, कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एवं भविष्य निधि (प्रोविडेंट फण्ड यानी पीएफ) मद में बढ़ोतरी होगी। वहीं, उनके हाथ में आने वाला पैसा (जिसे टेक होम सैलरी कहा जाता है) घट सकता है। यहां तक कि कंपिनयों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होंगी। इसकी वजह यह है कि पिछले साल संसद में पास किए गए तीन मजदूरी संहिता विधेयक (कोड ऑन वेजेज बिल) के प्रावधानों को सरकार कल 1 अप्रैल से लागू करना चाहती है। 


यह बात दीगर है कि अभी भी इस विधेयक के नियमों पर  हितधारकों के साथ चर्चा चल रही है कि इसे कैसे लागू किया जा सकता है। लिहाजा, कल 1 अप्रैल से इसके लागू होने की संभावना धूमिल दिखाई दे रही है।


बताते चलें कि वेज (मजदूरी) की नई परिभाषा के तहत भत्ते कुल सैलेरी के अधिकतम 50 फीसदी होंगे। इसका तातपर्य यह है कि मूल वेतन मतलब सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता कल 1 अप्रैल से कुल वेतन का 50 फीसदी होगा। यह किसी भी कीमत पर इससे अधिक नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि देश के 74 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से सरजमिनी श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं। इस बारे में सरकार का मानना है कि परिवर्तित नियम किसी भी नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।


दरअसल, नए ड्राफ्ट रूल के मुताबिक किसी भी कर्मी का मूल वेतन उसके कुल वेतन का 50 प्रतिशत या इससे अधिक होना चाहिए। इससे अधिकतर कर्मचारियों की वेतन संरचना बदलेगी, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलेरी के 50 फीसदी से कम होगा। वहीं, कुल वेतन में कर्मचारियों के भत्तों का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है। इस प्रकार मूल वेतन बढ़ने से आपका पीएफ भी बढ़ेगा। गौरतलब है कि किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का पीएफ उसके मूल वेतन पर आधारित होता है। लिहाजा, मूल वेतन बढ़ने से पीएफ भी बढ़ेगा, जिससे टेक-होम यानि हाथ में आने वाले वेतन में कटौती होगी।


यह बात अलग है कि ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से अवकाश प्राप्ति (रिटायरमेंट) के बाद मिलने वाली धनराशि में बढ़ोतरी होगी। इससे लोगों को अवकाश प्राप्ति  यानी रिटायरमेंट के बाद सुखद जीवन जीने में आसानी होगी। वहीं, उच्च-भुगतान पाने वाले अधिकारियों के वेतन संरचना में भी सबसे अधिक बदलाव आएगा और वो इसके चलते सबसे अधिक प्रभावित होंगे। वहीं, पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होगी। क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा। इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी।

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बताया गया है कि नए श्रम कानून के तहत जहां काम के 12 घंटे करने का प्रस्ताव है, वहीं ओवरटाइम के लिए भी नए नियम निर्धारित किये गए हैं। वास्तव में नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है। वहीं, ओएसएच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। इस प्रकार मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। इस तरह काम के दिन घटाकर 4 दिन और तीन दिन छुट्टी का भी प्रस्ताव है।


खास बात यह कि ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है। इससे कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल हैं, ताकि उनकी शारीरिक व मानसिक सेहत चुस्त-दुरुस्त रहे।


सरकार का इरादा है कि यदि किसी भी कर्मचारी को 3 दिन की छुट्टी मिलेगी तो वह अपने रूटीन कार्यों के अलावा कुछ अन्य उद्यमों को भी विकसित करने के बारे में सोच सकेगा, जिसकी विशेषज्ञता उसे हासिल है। वहीं, महिलाएं अपनी घरेलू जिम्मेदारी को भी बखूबी निभा सकेंगी।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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