By Ankit Jaiswal | Nov 04, 2025
अमेरिकी राजनीति के एक अत्यंत संवेदनशील मोड़ पर खड़ा है, जहां न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव की हलचल के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तीखे बयान से राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क सिटी के मतदाताओं को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वामपंथी उम्मीदवार ज़ोहरा ममदानी चुनाव जीतते हैं, तो वे शहर के लिए मिलने वाली संघीय फंडिंग को लगभग रोक देंगे। ट्रंप ने यह टिप्पणी सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक लंबे पोस्ट के माध्यम से की। उन्होंने ममदानी को “कम्युनिस्ट” बताते हुए कहा कि उनकी नीतियां "आर्थिक और सामाजिक विनाश" का कारण बन सकती हैं।
ट्रंप ने कहा कि अगर ममदानी मेयर बने तो वे सिर्फ न्यूनतम आवश्यक फंड ही देंगे, क्योंकि “अच्छे पैसों को बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है।” उन्होंने कहा कि ममदानी की विचारधारा "हज़ारों साल पुरानी असफलताओं" पर आधारित है। ट्रंप ने यहां तक कहा कि रिपब्लिकन वोटर कर्टिस सलीवा को वोट देकर ममदानी को जीत दिलाने का जोखिम न लें, बल्कि एंड्रयू क्यूमो को अपना समर्थन दें, चाहे वे व्यक्तिगत रूप से पसंद हों या नहीं।
बता दें कि संघीय फंडिंग को चुनावी मुद्दा बनाना ट्रंप के लिए कोई नया कदम नहीं है। मौजूद जानकारी के अनुसार, इससे पहले भी व्हाइट हाउस और न्यूयॉर्क के बीच बाढ़ राहत और बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर तीखी तनातनी रही है। हाल ही में 18 अरब डॉलर की मदद रोकी गई थी, और एक न्यायाधीश ने 34 मिलियन डॉलर की आतंकवाद निरोधक फंडिंग रोकने को अवैध बताया था।
उधर ज़ोहरा ममदानी ने ट्रंप के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह “नग्न रूप से सामने आ गया है” कि ट्रंप और मेगा समर्थक क्यूमो को समर्थन दे रहे हैं, क्योंकि वह प्रशासन के लिए बेहतर हैं, ना कि न्यूयॉर्क के निवासियों के लिए। वहीं क्यूमो, जिन्होंने धीरे-धीरे ममदानी की बढ़त को कम किया है, ट्रंप के इस अप्रत्यक्ष समर्थन पर सख्त सफाई देते हुए बोले कि “उन्होंने मुझे सपोर्ट नहीं किया है।”
गौरतलब है कि हालिया सर्वे में ममदानी 41% समर्थन के साथ आगे चल रहे हैं, जबकि एंड्रयू क्यूमो 34% और कर्टिस सलीवा 24% पर बने हुए हैं। ममदानी affordability के मुद्दे पर जोर दे रहे हैं, वहीं सलीवा कानून-व्यवस्था को अपना मुख्य मुद्दा बनाए हुए हैं।
इस चुनावी टकराव में ट्रंप के बयान ने न सिर्फ बहस को और तीखा किया है, बल्कि संघीय फंडिंग के मुद्दे को भी केंद्र में ला दिया है। अब देखना यह है कि यह बयानबाज़ी चुनाव के नतीजों को किस हद तक प्रभावित करती है, क्योंकि मतदान कुछ ही घंटों बाद होने वाला है और माहौल पहले से ही गरमाया हुआ है।