By अंकित सिंह | Sep 12, 2020
जिस यादव-मुस्लिम समीकरण के सहारे लालू यादव 15 सालों तक बिहार के सत्ता में काबिज रहे, उसी में अब नीतीश कुमार सेंध लगाने की तैयारी में हैं। नीतीश कुमार आरजेडी के MY समीकरण को बिगाड़ने में जुटे हुए हैं। इसके लिए नीतीश कुमार ने ट्रंप कार्ड भी तैयार कर लिया है जिस से पार पाने में आरजेडी के पसीने छूट सकते है। नीतीश कुमार किसी भी कीमत पर आरजेडी के MY समीकरण को खत्म करना चाहते हैं। यही कारण है कि वह आरजेडी के नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने में देर नहीं लगा रहे हैं। इन्हीं नेताओं में से कुछ ऐसे नेता है जो यादव और मुस्लिम पृष्ठभूमि से आते हैं।
चंद्रिका राय को तोड़कर नीतीश कुमार ने बड़ा ट्रंप कार्ड खेला है। चंद्रिका राय कभी लालू यादव के बेहद करीबी हुआ करते थे। रिश्ते में चंद्रिका राय लालू यादव के समधी भी लगते हैं। लेकिन अब रिश्ते सामान्य नहीं है। चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय की शादी तेज प्रताप यादव से हुई है। तेज प्रताप लालू यादव के बड़े बेटे हैं। ऐश्वर्या और तेज प्रताप के अनबन के बीच लालू और चंद्रिका राय के परिवार के बीच रिश्ते खराब हो गए। इसी के कारण चंद्रिका राय ने राजद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया। चंद्रिका राय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय के बेटे हैं। यादवों के बीच यह परिवार प्रतिष्ठित माना जाता है। नीतीश कुमार इसे भावनात्मक मुद्दा बनाकर लालू परिवार पर यादव की बेटी का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं। चर्चा यह भी है कि तेज प्रताप के खिलाफ खुद उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय जदयू के टिकट से चुनाव लड़ सकती हैं।
सारण प्रमंडल में यादवों का बोलबाला माना जाता है। खुद सारण प्रमंडल लालू यादव का गढ़ रहा है। ऐसे में चंद्रिका राय और ऐश्वर्या राय के सहारे नीतीश कुमार लालू यादव के मजबूत पकड़ को कमजोर कर सकते है। कभी बिहार केसरी माने जाने वाले राम लखन सिंह यादव को बिहार का बड़ा यादव नेता माना जाता था। उनके पोते जयवर्धन सिंह यादव हैं जो आरजेडी के विधायक होते हुए भी लालू परिवार पर कई आरोप लगा चुके है। अब वह नीतीश कुमार के साथ हैं। इनके सहारे नीतीश कुमार यादव के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे।
आरजेडी से नाराज फराज़ फातमी मिथिलांचल के बड़े मुस्लिम चेहरों में से एक हैं। वह अली अशरफ फातमी के बेटे हैं। अली अशरफ फातमी ने आरजेडी के साथ लंबा वक्त गुजारा है लेकिन अब आरजेडी ने उन्हें दरकिनार कर दिया है। ऐसे में उनका सहारा अब नीतीश कुमार बने हैं। नीतीश कुमार बाप और बेटे की जुगलबंदी कर मिथिलांचल में आरजेडी के एमवाई समीकरण को बिगाड़ सकते हैं। पिता जहां बुजुर्ग मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करेंगे तो वही बेटा युवाओं को जोड़ने की कोशिश करेंगे। देखना होगा कि किस तरीके से नीतीश कुमार आरजेडी के खेमे में सेंध लगाते हैं। क्या आने वाले दिनों में आरजेडी के कुछ और मुस्लिम और यादव नेता जदयू में शामिल होते हैं या नहीं, यह भी देखना होगा।