दवा जमाखेरी मामला: लोगों के गौतम गंभीर से मदद मांगने का कोई प्रमाण नहीं, उच्च न्यायालय को बताया गया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 09, 2021

नयी दिल्ली| दिल्ली औषधि नियंत्रण विभाग ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद गौतम गंभीर एवं उनकी संस्था को महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 दवा की गैरकानूनी खरीद, भंडारण और वितरण नहीं करना चाहिए था तथा यह प्रमाणित करने के लिए कुछ नहीं है कि किसी व्यक्ति ने कोई मदद के लिए उनसे संपर्क किया था।

विभाग ने यह भी कहा कि इस बारे में कोई प्रमाण नहीं है कि राज्य प्राधिकार कोविड-19 दवाइयों की किसी कमी को दूर कर पाने में नाकाम रहे थे।

इसने कहा कि फेवीपिरावीर गोलियां और मेडिकल ऑक्सीजन ऐसी दवाइयां हैं जो किसी व्यक्ति/फर्म द्वारा बगैर जरूरी लाइसेंस रखे भंडारण करने या बेचने के उद्देश्य से नहीं खरीदी जा सकती तथा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता राजनीतिक नारे लगाने के लिए अदालती प्रक्रिया का दुरूपयोग कर रहे थे।

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत आपराधिक कार्यवाही के खिलाफ गंभीर व अन्य की याचिका के जवाब में अपने हलफनामे में विभाग ने कहा है कि याचिकाकर्ता बखूबी वाकिफ हैं कि लोगों द्वारा की गई शिकायतों पर उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के आलोक में उनके खिलाफ जांच की जा रही है।

विभाग ने पूर्वी दिल्ली से सांसद, उनकी संस्था गौतम गंभीर फाउंडशेन, इसकी मुख्य कार्यकारी अधिकारी अपराजिता सिंह, उनकी मां सीमा गंभीर, पत्नी नताशा गंभीर के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की संबद्ध धाराओं के तहत एक शिकायत दर्ज की थी।

विभाग ने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में दवा की घोर किल्लत के बावजूद फाउंडेशन के पास फेवीपिरावीर के 285 पत्ते पाये गये थे जिन्हे बाद में सरकारी प्राधिकारों को सौंप दिया गया।

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