हलाल मीट से लेकर आइसक्रीम तक के बारे में खूब सुना, अब जरा शुद्ध शाकाहारी 'सात्त्विक सर्टिफिकेट' के बारे में जान लें

By अभिनय आकाश | Apr 18, 2022

पिछले दिनों एक शब्द खूब चर्चा में रहा था। हलाल वैसे तो अरबी का शब्द है जिसका मतलब होता है पाक। कभी मीट के संदर्भ में इस्तेमाल होने वाला ये ठप्पा वेज आइटम, कास्मेटिक और दवाओं में लगा। इतना ही नहीं बल्डिंग को भी हलाल सर्टिफिकेशन के नाम से बेचने की कोशिश हुई। भारत में अलग अलग वस्तुओं के लिए अलग अलग सर्टिफिकेट का प्रावधान है जो उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं। जैसे औद्योगिक वस्तुओं के लिए ISI मार्क,कृषि उत्पादों के लिए एगमार्क, प्रॉसेस्ड फल उत्पाद जैसे जैम अचार के लिए एफपीओ, सोने के लिए हॉलमार्क, आदि। लेकिन अब ट्रेन में मिलने वाले खाने को सात्विक सर्टिफिकेट से सर्टिफाई किया जाएगा। आपने अक्सर देखा होगा कि ट्रेनों में सफर करने वाले कई सारे लोग पैंट्री से परोसा जाने वाला खाना केवल इस वजह से नहीं खाते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का पता नहीं होता की खाना पूरी तरह शाकाहारी और हाइजेनिक है कि नहीं। यानी खाना बनाने के दौरान साफ सफाई का ख्याल रखा गया है या नहीं, नॉनवेज और वेज को अलग-अलग पकाया गया है या नहीं। लेकिन अब यात्रियों की इस तरह की समस्या का समाधान करने के लिए रेलवे की तरफ से एक नई पहल शुरू की गई। जिसके तरह ये सुनिश्चित किया जाता है कि खाना पूरी तरह से शाकाहारी हो और उसे बनाने की प्रक्रिया में साफ सफाई के अलावा सभी मानकों का ख्याल रखा गया है। इसके लिए आईआरसीटीसी ने सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया से समझौता किया है। 

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ऑडिट करने के लिए ऐप का किया जाता है प्रयोग 

दिसंबर के महीने में डीलक्स एसी टूरिस्ट ट्रेन द्वारा 'श्री रामायण यात्रा' थीम आधारित तीर्थ यात्रा विश्व की पहली शाकाहारी अनुकूल ट्रेन बन गई है।  आइआरसीटीसी की तरफ से बयान में कहा गया कि शाकाहारी-अनुकूल रेलवे सेवाएं विशेष रूप से भारतीय रेलवे में पवित्र स्थलों की यात्रा करने वाले शाकाहारी लोगों के लिए समर्पित हैं। ये केवल एक बार का प्रमाण पत्र नहीं है। बल्कि प्रत्येक यात्रा पर, रेलवे कर्मचारी प्रत्येक स्टॉप के बाद पेंट्री और कोचों का ऑडिट करने के लिए ऐप का उपयोग किया जाता है। इसके एजेंडे में कटरा, अयोध्या और उज्जैन जैसे तीर्थ स्थलों समेत देश के अन्‍य धार्मिक स्‍थल को जाने वाली ट्रेनों को सात्विक करने की तैयारी है। 

क्या है सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया

जबकि कई लोग इस कदम को शाकाहार लागू करने के बहाने के रूप में देख रहे हैं। सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना करने वाले व्यवसायी अभिषेक बिस्वास ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा है कि प्रमाणीकरण एक आश्वासन के रूप में कार्य करता है। बिस्वास का कहना है कि दुनियाभर के शाकाहारी लोगों को एक लोगो पर वापस आने की जरूरत है ताकि वे जान सकें कि ये 100% वेज है।" सात्विक के आइडिया के बारे में बताते हुए टीओआई को बिस्वास ने कहा कि इस विचार के बीज थाईलैंड में उनके कार्यकाल के दौरान बोए गए थे, जहां अभी भी उनके कई व्यवसाय हैं। "बहुत सारे दोस्त थाईलैंड की यात्रा करते थे लेकिन शाकाहारी भोजन प्राप्त करना मुश्किल जाता है। दिल्ली स्थित निजी संगठन खुद को दुनिया का एकमात्र शाकाहारी भोजन और जीवन शैली नियामक मानक विकास संगठन' कहता है। आगे इसके द्वारा कपड़ा और सौंदर्य प्रसाधनों को भी प्रमाणित करने की योजना है। संगठन की तरफ से होटल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर में सात्विक-प्रमाणित लेखा परीक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक सात्विक उत्कृष्टता केंद्र की घोषणा की गई है। परिषद ने अपने ग्राहकों के लिए लेखा परीक्षा और वार्षिक प्रमाण पत्र जारी करने के लिए फ्रांसीसी कंपनी ब्यूरो वेरिटास के साथ पांच साल का समझौता किया है। 

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सात्त्विक-प्रमाणित का क्या मतलब है 

ऑडिट में जांचने के लिए डीएनए परीक्षण शामिल हैं कि क्या उत्पाद में कोई पशु सामग्री है। दूध की अनुमति है लेकिन अंडे के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं हैं। एक बार प्रमाणित होने के बाद इन पर परिषद का 100% शाकाहारी लोगो रहेगा। शाकाहारी, आयुर्वेदिक और जैन सहित लगभग 40 श्रेणियां हैं। परिषद कनाडा और दक्षिण अफ्रीका में प्रमाणन पर भी काम कर रही है, दोनों देशों में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय हैं।  

कैसे काम करेगा सात्विक सर्टिफिकेट

इस सर्टिफिकेट का मकसद भारत और दुनियाभर के शाकाहारी खाने को एक एटमॉलफेयर के तहत लाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे दुनिया के किसी भी कोने में बैठे कोई भी व्यक्ति को शाकाहारी खाना चुनते समय आसानी हो। वो बस उस खाने के पैकेट या लेबल पर सात्विक सर्टिफिकेशन देख कर समझ जाए कि खाना या वो सामग्री शाकाहारी है।  

 एफएसएसएआई पहले से मौजूद

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के पास पहले से ही मौजूद है जो शाकाहारी के लिए हरा और मांसाहारी भोजन के लिए भूरे रंग का लेबल प्रदान करती है। एफएसएसएआई की तरफ से अनुपालन की जांच के लिए समय-समय पर निरीक्षण और ऑडिट भी की जाती है। उपभोक्ता इन प्रतीकों की मदद से ट्रैक कर सकते हैं कि उत्पाद शाकाहारी है या मांसाहारी है। लेकिन विश्वास इस बात पर जोर देते हैं कि परिषद का दायरा एफएसएसएआई से अलग है। बिस्वास कहते हैं एक शाकाहारी को इस बात का आश्वासन चाहिए कि वह जो कुछ भी खा रहा है वह किसी भी मांसाहारी तत्वों से दूषित नहीं है और एक सुरक्षित शाकाहारी वातावरण में बना है - यही हम सुनिश्चित करते हैं।

-अभिनय आकाश

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