Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या पर श्रद्धा और विश्वास के साथ दे पितरों को विदाई

By डॉ अनीष व्यास | Sep 16, 2025

श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और अब सभी को सर्वपितृ अमावस्या का इंतजार है। उस दिन ज्ञात-अज्ञात पिरतों का श्राद्ध किया जाता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को है। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस समय पितरों का दिन पितृपक्ष चल रहा है। पितृपक्ष 21 सितंबर तक रहेगा। सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। यह पितरों की विदाई का दिन होता है। इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। 21 सितंबर के दिन सर्व पितृ अमावस्या है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या पितृ अमावस्या कहलाती है। यह अमावस्या पितरों के लिए मोक्षदायनी अमावस्या मानी जाती है। पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ शुभ और शुक्ल योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसेगी।


ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सनातन धर्म में सर्व पितृ अमावस्या का खास महत्व होता है। यही वो दिन होता है जब पूरे पितृपक्ष में जिन पूर्वजों का श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो पाया हो, उनका तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करके उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। मान्यता है कि इस दिन पितृलोक से आए हुए सभी पितर अपने-अपने श्राद्ध की प्रतीक्षा करते हैं और इस दिन विधिपूर्वक किए गए कर्मों से तृप्त होकर वापस अपने लोक लौट जाते हैं।

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ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि इस बार 20 सितंबर की रात 12:16 बजे से शुरू होकर 21 सितंबर की रात 1:23 बजे तक रहेगी। यह समय पितरों की याद में किए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मुत्यु की तिथि याद ना हो। एक तरह से सभी भूले बिसरों को इस याद कर उनका तर्पण किया जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार जो वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम पर उचित विधि से दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन  भी भोजन बनाकर इसे कौवे, गाय और कुत्ते के लिए निकाला जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पितर देव ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं। इस दिन अपने पूर्वजों के निमित्त के योग्य विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा आप गरीबों को भी अन्न का दान कर सकते हैं। पितरों के निमित्त श्राद्ध 11:36 बजे से 12:24 बजे में ही करना चाहिए।


ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं। जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम उन्हीं घरों में होते हैं। पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर बिना साबुन लगाए स्नान करें और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पितरों के तर्पण के निमित्त सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें। शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं। इन्हें घर की चौखट पर रख दें। एक दीपक लें। एक लोटे में जल लें। अब अपने पितरों को याद करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं। यह करने के पश्चात जल से भरा लोटा और दीपक को लेकर पीपल की पूजा करने जाएं। वहां भगवान विष्णु जी का स्मरण कर पेड़ के नीचे दीपक रखें जल चढ़ाते हुए पितरों के आशीर्वाद की कामना करें। पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात ना करें। 


सर्व पितृ अमावस्या तिथि

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि सर्व पितृ अमावस्या इस बार 20 सितंबर की रात 12:16 बजे से शुरू होकर 21 सितंबर की रात 1:23 बजे तक रहेगी। यह समय पितरों की याद में किए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें मोक्ष प्रदान करता है।


शुभ और शुक्ल योग

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन संध्या तक सायं 7:52 बजे तक शुभ योग रहेगा, जो पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए अत्यंत फलदायक होता है। इसके बाद शुक्ल योग का संयोग बनेगा। इस शुभ योग में किए गए तर्पण से पितरों की कृपा बनी रहती है।


सर्वार्थ सिद्धि योग

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि प्रातः 9:32 बजे से शुरू होने वाला यह योग पूरे दिन और रात भर बना रहेगा। इस योग में पितरों को तर्पण करने से व्यक्ति को हर प्रकार के शुभ कार्यों में सफलता मिलती है और पितृ कृपा बनी रहती है।


शिववास योग

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि यह योग भी इस दिन देर रात तक बना रहेगा। इस दौरान भगवान शिव, माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान होते हैं। इस समय किए गए तर्पण से पितृ दोष का नाश होता है और जीवन में शांति आती है।


ऐसे करें पितरों का तर्पण

कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर पितरों को श्राद्ध दें। अपने परिजनों का पिंडदान या तर्पण जैसा अनुष्ठान किया जाता तब इसमें परिवार के बड़े सदस्यों को करना चाहिए। पितरों को तर्पण के दौरान जौ के आटे, तिल और चावल से बने पिंड अर्पण करना चाहिए।


अर्पित करें भोजन

भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन बने भोजन को सबसे पहले कौवे, गाय और कुत्तों को अर्पित करना चाहिए। मान्यता है पितरदेव ये रूप धारण कर भोज करने आते हैं। कौए को यम का दूत माना जाता है।


पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं दीपक

कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पितरों के निमित्त घर बना मिष्ठान व शुद्ध जल की मटकी पीपल के पेड़ के नीचे अपने पितरों के निमित्त रखकर वहां दीपक जलाना चाहिए।


ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन ब्राह्राणों को भोजन और दान-दक्षिणा के साथ अग्नि और गुरुड़ पुराण का पाठ करवाना चाहिए और पितृपक्ष से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए।


जलाएं चौमुखा दीप

भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि मोक्ष अमावस्या के दिन अपने पितरों के लिए चौमुखा दीपक रखें। यह दीपक सूर्यास्त के बाद घर की छत पर रखें और ध्यान रखें कि आपका मुख दक्षिण दिशा में हो। 


देशी घी का दीपक

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपको सभी सुखों की प्राप्ति होगी।


मछलियों को खिलाएं

कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन आटे की गोलियां बनाकर किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। ऐसा करने से करने से आपकी सभी परेशानियों का अंत होगा।


चीटियों को खिलाएं 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या पर काली चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपको सभी पापों से मुक्ति मिलेगी।


सर्व पितृ अमावस्या की पौराणिक कथा

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या की पौराणिक कथा के अनुसार श्रेष्ठ पितृ अग्निष्वात और बर्हिषपद की मानसी कन्या अक्षोदा घोर तपस्या कर रही थीं। वह तपस्या में इतनी लीन थीं कि देवताओं के एक हजार वर्ष बीत गए। उनकी तपस्या के तेज से पितृ लोक भी प्रकाशित होने लगा और सभी श्रेष्ठ पितृगण अक्षोदा को वरदान देने के लिए एकत्र हुए। उन्होंने अक्षोदा से कहा कि हे पुत्री हम सभी तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हैं इसलिए जो चाहों वर मांग लो। लेकिन अक्षोदा ने पितरों की तरफ ध्यान नहीं दिया। वहीं उनमें से अति तेजस्वीं पितृ अमावसु को बिना पलके झपकाए देखती रहीं। पितरों के बार- बार कहने पर उसने कहा कि हे भगवान क्या आप मुझे सच में वरदान देना चाहते हैं। इस पर तेजस्वीं पितृ अमावसु ने कहा हे अक्षोदा वरदान मांगो। अक्षोदा ने कहा कि अगर आप मुझे वरदान देना चाहते हैं तो मैं इसी समय आपके साथ आनंद चाहती हूं। अक्षोदा की यह बात सुनकर सभी पितृ क्रोधित हो उठे और उन्होने अक्षोदा को श्राप दे दिया कि वह पितृ लोक से पतित होकर पृथ्वीं लोक पर जाएगी। जिसके बाद अक्षोदा पितरों से क्षमा याचना करने लगी। इस पर पितरों को दया आ गई और उन्होंने कहा कि तुम पृथ्वीं लोक पर मत्सय कन्या के रूप में जन्म लोगी। वहां पराशर ऋषि तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे और तुम्हारे गर्भ से व्यास जन्म लेंगे। जिसके बाद तुम पुन: पितृ लोक में वापस आ जाओगी। अक्षोदा के इस अधर्म के कार्य को अस्वीकार करने पर सभी पितरों ने अमावसु को आर्शीवाद दिया कि हे अमावसु आज यह तिथि आपके नाम से जानी जाएगी। जो भी व्यक्ति वर्ष भर में श्राद्ध या तर्पण नहीं कर पाता और अगर वह इस तिथि पर श्राद्ध और तर्पण करता है तो उसे सभी तिथियों का पूर्ण फल प्राप्त होगा।


- डॉ अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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