Operation Agyaat: सीजफायर सेना के लिए है, गनमैन के लिए नहीं, सबकुछ शांतिपूर्ण ढंग से होगा, अब कौन सा आतंकी मारा गया

By अभिनय आकाश | May 19, 2025

ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों का सफाया था। 100 से अधिक आतंकवादियों को इसके तरत मार गिराया गया। लेकिन फिर सीजफायर हो गया या फिर सस्पेंशन इन हॉस्टलिटी या पॉज अलग अलग शब्दों से इसको बताया जा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान में अज्ञात गनमैन का सीजन वापस आ चुका है। पहले ऑपरेशन सिंदूर, फिर ऑपरेशन किलर और अब ऑपरेशन अज्ञात? पाकिस्तान की गलियों में आतंकवादियों की लाशें बिछ रही हैं। उनकी झूठी जीत के नारे कब्रिस्तान के सन्नाटे में दफ्न हो रहे हैं। कंगाली के कगार पर खड़ा पाकिस्तान जो कश्मीर फतह करने के ख्वाब देख रहा था, जो मोटरसाइकिल पर घूमने के चलते सईद अफरीदी को विजयी योद्धा का सर्टिफिकेट बांट रहा था। अब उसी के सरजमीं पर उसी के खूंखार आतंकी अपनी आखिरी सांसे गिन रहे हैं। सालों से जो काम दुनिया की अदालतें नहीं कर पाई वो काम अब अज्ञात बंदूकधारी कर रहे हैं। आतंकियों को क्या लगा था कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म हो गया? आतंकी सैफुल्ला खालिद की रूह से पूछिए वो चीख चीख कर कहेगी युद्ध जारी है। जब भारत की सेना ने ऑपरेशन सिंदूर का बिगुल बजाया था तो उसका मकसद केवल आतंकवादियों का सफाया नहीं था। बल्कि दुनिया को ये संदेश देना था कि चाहे तुम लाहौर में छिपे हो या करांची में, रावलपिंडी में हो या फैसलाबाद हिंदुस्तान की तलवार आतंक के गर्दन तक पहुंचेगी। सैफुल्ला खलिद जिसे आईएसआई ने पाला, पाकिस्तान ने छिपा कर रखा। नेपाल में पनाह मिली वो आज जहन्नुम की आग में जल रहा है। ये भारत का शौर्य, भारत का संकल्प हैजो अब आतंकवादियों के सीने में खौफ पैदा कर रहा है। कुछ को सेना मारेगी। वहीं सरकार की पनाहगाह में भी छुपे रहोंगे तो कोई अज्ञात हमलावर आएगा और 72 हूरों के पास पहुंचा जाएगा। 

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संघ मुख्यालय सहित 3 हमलों में शामिल 

लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादी रजाउल्ला निजामनी खालिद उर्फ अबू सैफुल्ला खालिद की पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। अधिकारियों ने बताया कि निजामनी को पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा दी थी। निजामनी 18 मईि दोपहर सिंध के मतली में अपने घर से निकला था। इसी दौरान एक चौराहे के पास हमलावरों ने उसे गोली मार दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हेडक्वॉर्टर पर साल 2006 में हुए हमले के पीछे वह मास्टरमाइंड था। नागपुर में हमले की साजिश रचने का आरोप निजामानी उर्फ अबू सैफुल्ला पर था। निजामानी को पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा मुहैया कराई थी। 

अज्ञात हमलावरों ने रजाउल्ला को मारा 

सूत्रों के अनुसार निजामानी इन दिनों सिंध प्रांत के मातली कस्बे में रह रहा था। 18 मई दोपहर वह अपने घर से निकलकर चौराहे की ओर बढ़ रहा था, तभी घात लगाए हमलावरों ने उसे निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलियां चलाई। इससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। हमलावरों की पहचान फिलहाल नहीं हो पाई है। पाकिस्तान सरकार ने इस हत्याकांड पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। निजामानी भारत में आतंकवाद के कई बड़े मामलों में वांछित था। वह लश्कर के रणनीतिकारों में था और भारत में शहरी आतंक फैलाने की साजिशों में सक्रिय भूमिका निभाता रहा था। 

सीआरपीएफ और आईआईएससी कैंप पर हमले में भी इसका नाम आया था 

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, निजामानी 2006 में नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था। इसके अलावा भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु पर 2005 में हुए हमले और 2001 में उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित सीआरपीएफ के कैंप पर हुए हमले में भी उसका नाम सामने आया था। 

कुलभूषण का किडनैपर पहुंचा जहन्नुम

पाकिस्तान की पनाह में छिपे हिंदुस्तान के दुश्मनों में दहशत का माहौल है। आतंकी और उनके मददगार अपने गुनाहों का हिसाब दे रहे हैं। शहंशाह के गुमनाम गन मैन भारत में दहशत फैलाने वालों और भारत के खिलाफ साजिश करने वालों का एक एक कर हिसाब कर रहे हैं। पूर्व नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव का किडनैपर, ड्रग्स और हथियारों का तस्कर। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसएआई का मोहरा मुफ्ती शाह मीर ढेर हो चुका है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में धर्मगुरु मुफ्ती शाह मीर की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। मीर 7 मार्च की रात केच के तुरवत शहर में नमाज के बाद एक मस्जिद से बाहर निकल रहा था, तभी बाइक सवार हमलावरों ने उसे गोली मार दी। भारतीय कारोबारी और नेवी के पूर्व अफसर कुलभूषण जाधव का ईरान से अपहरण कराने में मीर ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद की थी। पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, गोली लगने के बाद मीर को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। मीर मुफ्ती की आड़ में मानव और हथियारों की तस्करी में लिप्त था। वह इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक दल जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम से भी जुड़ा था। पिछले साल मीर पर दो बार जानलेवा हमले किए गए थे।

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भारत के वॉन्टेड आतंकियों का  पाकिस्तान में हो रहा सफाया

आतंक की पनाहगाह पाकिस्तान में इन दिनों कोहराम मचा है।  पाकिस्तान वैसे तो आतंकियों का सबसे महफूज पनाहगाह है, इस बात से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। लेकिन अब पाकिस्तानी आतंकवादी अपने घर में ही सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। पाकिस्तान में आतंकी पर यादों को चुन चुन कर मारा जा रहा है। इसलिए पाकिस्तान का हर आतंकी इस वक्त सेफ हाउस की तलाश कर रहा है।  भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक इम्तियाज आलम उर्फ ​​बशीर अहमद पीर, पाकिस्तान के रावलपिंडी में मौत हो जाती है। फिर 26 फरवरी को अज्ञात लोगों ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन अल बद्र के पूर्व कमांडर सैयद खालिद रजा की हत्या कर दी। फरवरी में ही  पाकिस्तान में एक और कश्मीरी आतंकी की हत्या की खबर आई। इस आतंकी का नाम खालिद राजा बताया गया। खबर तो ये भी है कि इसी डर से दाउद इब्राहिम से लेकर हाफिज सईद ने खुद को अंडरग्राउंड कर लिया है। कुछ दिन पहले ही पाक के पूर्व मेजर ने दावा किया है कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ लाहौर में ऑपरेशन कर रही है। हालांकि इसको लेकर कोई पुष्ट जानाकारी अभी तक सामने नहीं आई है। 

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