Pakistan की एयर स्ट्राइक हुई फेल, 70 हजार तालिबानी के जवाबी कार्रवाई की आशंका से दहशत में मुनीर की सेना!

By अभिनय आकाश | Mar 18, 2024

"जो कोई भी राक्षसों से लड़ता है, उसे ध्यान रखना चाहिए कि इस प्रक्रिया में वो खुद ही राक्षस न बन जाए। आप अगर लंबे समय तक खाई को घूरेंगे तो खाई भी आपको घूरने लगेगी।" जर्मन दार्शनिक नीत्शे का एक क्योट है। डेढ़ सौ साल पहले कही गई ये बात अब हमारे पड़ोस में साकार हो रही है। पाकिस्तान तालिबान को घूर रहा है, लेकिन क्यों ? क्योंकि तालिबान की परछाई उसके अपने घर में आकार ले रही है। आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के लिए इन दिनों सबसे बड़ा खतरा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान बन चुका है। ये वो आतंकी गुट है जो पाकिस्तान के लिए गले की फांस बन चुका है। टीटीपी के पांच से छह हजार लड़ाकों के अफगानिस्तान में छिपे होने की आशंका है। टीटीपी वही आतंकी समूह है जिसने पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में कई आतंकी हमले किए हैं। पाकिस्तान का मानना है कि अफगानिस्तान से टीटीपी को समर्थन मिलता है। पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि आसिफ दुर्रानी ने दावा किया कि पांच से छह हजार लड़ाकों के परिवारों को जोड़ दिया जाए तो उग्रवादियों का आंकड़ा 70 हजार तक पहुंच सकता है। टीटीपी की पाकिस्तान के साथ पहले की बातचीत बेनतीजा रही है। 

पाकिस्तान की नकली एयर स्ट्राइक की खुल गई पोल 

पूरी दुनिया में पाकिस्तान की नकली और बर्बाद एयर स्ट्राइक की पोल खुल गई है। पाकिस्तान की कमजोर इंटेलिजेंस ने मुल्क की हवा निकाल दी है। दरअसल, पाकिस्तान जिस एयर स्ट्राइक का दावा करके अपनी पीठ थपथपा रहा था वो उस पर ही उल्दी पड़ गई। पाकिस्तान को जिस टॉप कमांडर को इस एयर स्ट्राइक में ढेर करना था। वो अभी भी जिंदा है और अब पाकिस्तान के खिलाफ बड़े हमले की तैयारी में जुट गया है। दरअसल, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में घुसकर टीटीपी के कई ठिकानों पर भारी एयर स्ट्राइक की। पाकिस्तान ने दावा किया कि उनसे अफगानिस्तान में टीटीपी के दो ठिकानों पर ताबडॉतोड़ एयर स्ट्राइक की जिसमें तालिबान का टॉप कमांडर मारा गया। लेकिन खबर इससे अलग ही आई। पाकिस्तान ने जो दावा किया उसके उलट तालिबान का दावा है कि ये एयर स्ट्राइक फेल साबित हुआ। 

भीषण परिणाम भुगतने होंगे

पाकिस्तान के दावे की हवा टीटीपी ने निकाल दी है। टीटीपी ने एक बयान जारी कर कहा कि उसका कमांडर जिंदा है। इसके साथ ही तालिबान ने ये भी कहा कि पाकिस्तान ने एयर स्ट्राइक में अपने ही लोगों को निशाना बनाया है। एयर स्ट्राइक को लेकर किए जा रहे दावे के बाद पाकिस्तान तालिबान ने एक बयान जारी कर अफगानिस्तान में हवाई हमलों की निंदा करते हुए कहा कि अब्दुल्ला शाह जिंदा है। टीटीपी ने दावा किया कि एयर स्ट्राइक में जिन घरों को निशाना बनाया गया वो पाकिस्तानी शरणार्थियों के थे। जिन्होंने अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में शरण ले रखी थी। टीटीपी ने कहा कि इस हमले में महिलाओं और बच्चों की मौत हुई है। टीटीपी प्रवक्ता ने दोहराया कि टीटीपी सदस्य अफगानिस्तान में नहीं पाकिस्तान में काम करते हैं। इसके साथ ही ये भी साफ किया कि कमांडर अब्दुल्ला शाह जिंदा है। पाकिस्तानी सुरक्षा सूत्रों ने पाक मीडिया से बातचीत में दावा किया कि अफगान सीमा की ओर से तालिबानी सैनिक पाकिस्तान के नागरिक ठिकानों को निशाना बना रहे हैं। पाकिस्तान ने कहा कि तीन तरफ कुर्रन कबायली जिले, उत्तरी वजीरिस्तान और दक्षिणी वजीरिस्तान से तालिबानी सैनिकों ने भारी हथियारों और तोपों की मजज से हमला बोला है। पाकिस्तान के इलाके में कई मोर्टार और गोलियां लगी है। पाकिस्तान ने कहा कि तालिबान के इस हमले का जोरदार तरीके से जवाब दिया जा रहा है। तालिबानी प्रवक्‍ता जबीउल्‍ला मुजाहिद ने माना कि आज उनके इलाके में हवाई हमला किया गया है। उन्‍होंने कहा कि ये हमले खोस्‍त और पाकटीका इलाके में हुआ है। तालिबानी प्रवक्‍ता ने कहा कि पाकिस्‍तान को इस हवाई हमले के भीषण परिणाम भुगतने होंगे। 

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काफी दिलचस्प रहा है इतिहास

अफगान तालिबान का इतिहास बेहद क्रूर और खूंखार है। जहां तक बात टीटीपी की करें तो इसका वजूद पाकिस्तान के चलते ही बना है। लेकिन जिस आतंकी संगठन को पाकिस्तान ने पाला अब वो इतना खूंखार हो गया कि वो न तो आईएसआई की सुनता है और न ही रावलपिंडी में बैठे किसी जनरल की। पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम में अफगानिस्तान का बॉर्डर लगता है जो वजीरिस्तान कहलाता है। विश्व विजय पर निकला सिकंदर हो या मुगल बादशाह औरंगजेब अपने अभियान में सभी शासकों ने इस इलाके को नजरअंदाज किया और इसकी वजह ऊंची पहाड़, घने जंगल, धधकते रेगिस्तान और तपा देने वाली गर्मी। गर्मियों में चलती लू और जाड़ों में हड्डियां कंपा देने वाली ठंड। अंग्रेज जब 1890 में इस इलाके में पहुंचे तो एक ब्रिटिश एडमिनिस्ट्रेटर ने वजीरिस्तान के लिए कहा था- ये नेचर का बनाया हुआ एक फोट्रेस है जिसकी हिफाजत पहाड़ किया करते हैं। इस इलाके की पहचान है यहां के कबीले। जिन्होंने न जाने कितनी दफा आक्रमणकारी सेनाओं को लोहे के चने चबवाएं। 

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अच्छा और बुरा तालिबान

पंद्रह साल पहले पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान ने "अच्छे" और "बुरे" तालिबान की संज्ञा दुनिया के सामने रखी थी। अच्छे तालिबान अफगान तालिबान और अन्य समूह थे, जिनमें सुन्नी चरमपंथी समूह शामिल थे और व्यापक अर्थों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित क्षेत्र में पाकिस्तान के हितों की सेवा करने वाले समूह शामिल थे। जबकि टीटीपी को बुरे तालिबान की श्रेणी में रखा गया। जिसके पीछे की वजह पाकिस्तान, उसके नागरिकों और सुरक्षा बलों और अन्य राज्य के प्रतीकों जैसे कि बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना था। अब अच्छा तालिबान और बुरा तालिबान एक ही तरफ हैं। पाकिस्तान अपने ही बनाए हुए विरोधाभास में फंसता नजर आ रहा है।


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