By रेनू तिवारी | Mar 05, 2022
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से एक बार फिर से पाकिस्तान को झटका मिला है। पाकिस्तान की धरती पर रहने वाले संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है। पाकिस्तान लगभग चार साल से FATF की ग्रे लिस्ट में है। शनिवार को एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पर नजर रखने वाले FATF ने पाकिस्तान को अपने आतंकवाद के वित्तपोषण "ग्रे लिस्ट" पर बरकरार रखा है और इस्लामाबाद को अपनी वित्तीय प्रणाली में शेष कमियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए कहा है। पाकिस्तान जून 2018 से पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में है, जो मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में विफल रहा है, जिसके कारण आतंकी वित्तपोषण हुआ है, और इसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए कार्य योजना दी गई थी। तब से, FATF के आदेशों का पालन करने में विफलता के कारण देश उस सूची में बना हुआ है।
पाकिस्तान अपनी हरकतों के कारण चार साल से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल
पेरिस स्थित फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) धनशोधन एवं आतंकी वित्तपोषण की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था है। पाकिस्तान धनशोधन और आतंकीवित्तपोषण पर लगाम लगाने में नाकाम रहने के कारण जून 2018 से एफएटीएफ की ग्रे सूची में है। निर्धारित लक्ष्यों को अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए उसे एक कार्य योजना दी गई थी। ‘द डॉन’ के मुताबिक, एफएटीएफ की पूरक बैठक का समापन सत्र शुक्रवार को होना है और इसके एजेंडे में पाकिस्तान की प्रगति की समीक्षा शामिल है।
27 सूत्री कार्य योजना के 26 बिंदुओं पर पाकिस्तान खरा उतरा
अखबार के अनुसार, पाकिस्तान अब जनवरी 2023 के अंत तक धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण से निपटने से जुड़ी 2021 की कार्य योजना को पूरा करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। अक्टूबर 2021 में एफएटीएफ ने अपनी 27 सूत्री कार्य योजना के 26 बिंदुओं पर पाकिस्तान के प्रगति करने की बात स्वीकार की थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूहों के शीर्ष कैडर के खिलाफ आतंकी फंडिंग की जांच और अभियोजन को लेकर उसने इस्लामाबाद को अपनी ग्रे सूची (अधिक निगरानी वाली सूची) में बरकरार रखा था। उस समय एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा था कि पाकिस्तान को कुल 34 सूत्रों वाली दो समवर्ती कार्य योजनाओं को पूरा करना है।
आतंकियों को आर्थिक मदद करने में पाकिस्तान सबसे बड़ा देश?
‘द डॉन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने 30 सूत्रों पर या तो काम पूरा कर लिया है या फिर उन पर प्रगति की है। इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ के क्षेत्रीय सहयोगी-एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) से मिली 2021 की हालिया कार्य योजना मुख्य रूप से धनशोधन पर केंद्रित थी और उसने इसके क्रियान्वयन में गंभीर कमियां पाई थीं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नयी कार्य योजना के सात सूत्रों में से चार को या तो पूरा कर लिया गया है या फिर उनमें प्रगति हुई है। इसमें कहा गया है कि अक्टूबर 2021 में एफएटीएफ ने यह कहते हुए पाकिस्तान को उसकी कार्य योजना के शेष बिंदुओं को जल्द से जल्द संबोधित करने की कोशिशें जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया था कि आतंकी वित्तपोषण की जांच और अभियोजन यूएन द्वारा प्रतिबंधित शीर्ष आतंकी कमांडरों को निशाना बनाता है।
पाकिस्तान काली सूची में जाने से कैसे बचा?
पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे करीबी सहयोगियों की मदद से एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से बचता आया है। हालांकि, ग्रे सूची में बने रहने के कारण इस्लामाबाद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है, जिससे मुल्क के लिए आर्थिक समस्याएं और बढ़ रही हैं।