Ravi Shankar Birthday: पंडित रविशंकर ने दिलाई शास्त्रीय संगीत को लोकप्रियता, आखिरी सांस तक नहीं छोड़ा सितार का साथ

By अनन्या मिश्रा | Apr 07, 2023

भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाने वाले पंडित रविशंकर का आज यानि की 7 अप्रैल को जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी कला से न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी खूब नाम कमाया था। सितार वादन के लिए पंडित रविशंकर को सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।


पूरी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रियता के नए आयाम देने वाले सितार वादक पंडित रविशंकर शर्मा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। हालांकि सितार से रविशंकर का जुड़ाव काफी बाद में हुआ। इससे पहले उनका झुकाव डांस की ओर था। आज ही के दिन यानी की 7 अप्रैल को पंडित रविशंकर का जन्म हुआ था। पंडित रविशंकर एक भारतीय संगीतकार और कंपोजर थे। उनके सितार का वादन के लिए कई सम्मानों से भी सम्मानित किया गया। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर पंडित रविशंकर के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें...


जन्म और शिक्षा

बनारस में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार के घर में पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को हुआ था। शुरुआत में शंकर के पिता श्याम शंकर अंग्रेजों के अधीन एक स्थानीय बैरिस्टर के रूप में कार्य करते थे। इसके बाद वह वकील के तौर पर लंदन में काम करने लगे। वहीं रविशंकर का पालन-पोषण उनकी मां विसालक्षी रत्नम ने अकेले ही किया था। रविशंकर 8 साल की उम्र तक अपने पिता श्याम शंकर से नहीं मिले थे। इसके बाद में वह अपने बड़े भाई के साथ रहने लगे। रविशंकर के बड़े भाई उदय शंकर उस दौरान फेमस नर्तक थे। साल 1930 में शंकर ने संगीत सीखने के साथ ही अपने भाई के नृत्य मंडली में शामिल हो गए। रविशंकर ने महज 10 साल की उम्र में नृत्य मंडली के साथ अमरीका और यूरोप के दौरे किए। रविशंकर ने एक नृतक के तौर पर कई यादगार प्रदर्शन किए।

इसे भी पढ़ें: Divya Bharti: 16 साल की उम्र में एक्टिंग 18 में शादी, फिर 19 में दुनिया को अलविदा कह गई थीं दिव्या भारती, रातों-रात बनीं थी स्टार

सितार के प्रति झुकाव

रवि शंकर काफी सालों बाद करीब 18 साल की उम्र में सितार से परिचित हुए थे। उनका सितार के प्रति झुकाव कोलकाता में हुए एक संगीत कार्यक्रम में शुरू हुआ। इस दौरान रविशंकर ने अमिया कांति भट्टाचार्य को शास्त्रीय वाद्य यंत्र बजाते हुए सुना। रविशंकर अमिया कांति के प्रदर्शन से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने भी भट्टाचार्य के गुरु उस्ताद इनायत खान से सितार सीखने का फैसला ले लिया। शंकर के जीवन में यही वह पल था, जब सितार के साथ उनका रिश्ता अंतिम सांस तक बना रहा। 


सितार के साथ शुरुआती सफ़र

पंडित रविशंकर एक भारतीय संगीतकार और कंपोजर थे। पूरी दुनिया में शंकर को भारतीय शास्त्रीय वाद्ययंत्र सितार को लोकप्रिय बनाने का श्रेय जाता है। वह पश्चिम में और भी अधिक फेमस थे। कहा जाता है कि रविशंकर के संगीत में आध्यात्मिक शांति छिपी थी। जो सुनने वाले के सीधे दिल में उतर जाती थी। रविशंकर में इस कदर संगीत का जुनून भरा हुआ था कि 90 साल की उम्र तक भी उन्होंने संगीत और सितार का साथ नहीं छोड़ा। एक इंटरव्यू में जब रविशंकर से सवाल किया गया कि वह 91 साल की उम्र में भी इतना जोश कहां से लाते हैं तो उन्होंने जवाब में कहा कि भले ही उनका शरीर 91 साल है, लेकिन उनका मन तो अभी भी जवान है।


सितार वादन का प्रशिक्षण

पंडित रविशंकर ने अपने गुरु उस्ताद इनायत खान के नेतृत्व में सितार बजाना सीखा। इसके बाद वह मुंबई चले गए और यहां पर इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन के लिए काम करने लगे। साल 1946 तक बैले के लिए संगीत की रचना की। इसके बाद साल 1950 में नई दिल्ली रेडियो स्टेशन ऑल-इंडिया रेडियो के निर्देशक के तौर पर कार्य करने लगे। इस पद पर वह 1956 तक बने रहे। AIR के दौरान रविशंकर ने पश्चिमी शास्त्रीय वाद्ययंत्र, ऑर्केस्ट्रा के लिए मिश्रित सितार और भारतीय वाद्ययंत्रो के साथ कई धुनों की रचना की। 


वहीं साल 1953 में रविशंकर ने सोवियत संघ के लिए प्रदर्शन किया। जिसके बाद साल 1956 में रविशंकर को प्रदर्शन के लिए पश्चिम में जाना पड़ा। वहां पर पंडित रविशंकर ने रॉयल फेस्टिवल हॉल और एडिनबर्ग फेस्टिवल जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में उन्होंने बेहतरीन संगीत का प्रदर्शन किया। जिसके बाद से उनकी विदेशों में भी लोकप्रियता बढ़ने लगी और वह पूरी दुनिया में फेमस होने लगे। बता दें कि उन्होंने फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के लिए भी संगीत लिखा था। 


राजनीतिक करियर

भारतीय संगीत में अपना अहम योगदान देने के लिए प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पंडित रविशंकर को राज्यसभा के लिए नामित किया गया था। इस दौरान शंकर 1986 से लेकर साल 1992 तक भारतीय संसद के उच्च सदन के सदस्य के रूप में कार्य करते रहे।


जॉर्ज हैरिसन के साथ एसोसिएशन

साल 1966 में लंदन में एक कार्यक्रम के दौरान पंडित रविशंकर की मुलाकात बैंड बीटल्स के सदस्य जॉर्ज हैरिसन से हुई। हैरिसन पंडित रविशंकर से काफी प्रभावित था। जिस कारण उसने शंकर से मित्रता कर ली और उनसे सितार सीखना शुरू कर दिया। इस मित्रता का सीधा फायदा रविशंकर को भी हुआ। इससे पंडित रविशंकर और भारतीय संगीत को पश्चिम में काफी लोकप्रियता मिलने लगी। हैरिसन ने अपने बैंड बीटल्स में सितार को भी शामिल कर लिया। उसने एक राग बनाई, जिसे 'रॉक' के रूप में जाना गया। हालांकि बाद में हैरिसन ने शंकर के निर्माता के रूप में काम करना शुरू कर दिया। 


निजी जीवन

पंडित रविशंकर के निजी जीवन में काफी उतार चढ़ाव आए। वहीं उनके रिश्ते भी टूटते और बनते रहे। साल 1941 में शंकर ने अन्नपूर्णा नामक महिला से विवाह किया। जिससे उनके एक बेटे का जन्म हुआ। बेटे का नाम शुभेंद्र शंकर था। लेकिन इसके बाद उनका एक नर्तकी के साथ संबंध हो गया। जिसके कारण उनकी शादी टूट गई। हालांकि बाद में शंकर का नर्तकी के साथ भी रिश्ता खत्म हुआ। इसके बाद वह न्यू-यॉर्क की एक कॉन्सर्ट निर्माता सू जोन्स के साथ रिश्ते में आ गए। लेकिन साल 1986 में इस रिश्ते ने भी दम तोड़ दिया। 


फिर पंडित रविशंकर ने सुकन्या राजन से शादी रचाई। इस शादी से उनको एक बेटी हुई जिसका नाम अनुष्का शंकर है। वहीं साल 1992 में रविशंकर के बेटे शुभेंद्र शंकर की निमोनिया से मौत हो गई। बेटे की मौत ने रविशंकर को कुछ ज्यादा ही आध्यात्मिक बना दिया था। उन्होंने नॉनवेज खाना भी छोड़ दिया था। 


अवार्ड्स 

1962-  नाटक अकादमी पुरस्कार

1967- पद्म भूषण

1981- पद्म विभूषण

1999- भारतरत्न

1967- ग्रैमी अवॉर्ड

1973- एल्बम ऑफ द ईयर

ग्रैमी अवॉर्ड- पंडित रविशंकर ने अपनी पूरे जीवन काल में पांच ग्रैमी पुरुस्कार जीते थे। इसके साथ ही उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी सम्मानित किय़ा गय़ा था।


मौत

कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में 11 दिसंबर 2012 को पंडित रविशंकर का 92 साल की उम्र में निधन हो गया था। वह अपने अंतिम समय में श्वास और हृदय रोगों से पीड़ित थे। पंडित रविशंकर का आखिरी प्रदर्शन उनकी बेटी अनुष्का के साथ कैलिफोर्निया के टैरेस थिएटर में हुआ था। बता दें कि शंकर की बेटी अनुष्का शंकर सितार वादक होने के साथ ही संगीतकार भी हैं। अब वही अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं।

प्रमुख खबरें

पवन सिंह को लॉरेंस बिश्नोई ने धमकी नहीं दी, गैंगस्टर हरि बॉक्सर ने कहा- हम तो उन्हें जानते तक नहीं

ED ने महाराष्ट्र में ISIS से जुड़े मॉड्यूल के 40 से अधिक ठिकानों पर की छापेमारी, 9.7 करोड़ रुपये जब्त

Delhi AQI: गंभीर स्थिति में पहुंची दिल्ली की वायु गुणवत्ता, CAQM ने लगाया GRAP 4

Goa Nightclub Fire Tragedy : नियमों की अनदेखी पड़ी भारी, गोवा के दो नाइट क्लब सील