संसदीय समिति ने निर्भया कोष के कम इस्तेमाल पर चिंता जताई, निगरानी के लिए तंत्र सुझाया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 05, 2022

नयी दिल्ली| संसद की एक समिति ने निर्भया कोष का कम इस्तेमाल किये जाने पर चिंता जताते हुए सुझाव दिया है कि संबंधित मंत्रालयों को उनके द्वारा संचालित परियोजनाओं की निरंतर निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करना चाहिए। बलात्कार पीड़िता की सहायता करने और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से निर्भया कोष की 2013 में स्थापना की गई थी।

संसद की एक स्थायी समिति ने शुक्रवार को महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश की।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘निर्भया फंड का कम इस्तेमाल लंबे समय से चिंता का विषय बना हुआ है। वर्तमान में 9,549 करोड़ रुपये की आवंटित धनराशि में से 4,241 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है और अब तक उपयोग की गई धनराशि लगभग केवल 2989 करोड़ रुपये है।’’

समिति ने उन कारकों की पहचान करने की आवश्यकता पर बल दिया जो कोष के इस तरह के कम उपयोग के कारण हैं। समिति ने सिफारिश की है कि जिन परियोजनाओं में राज्य सरकारें हित धारक हैं, उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए उन्हें भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए। समिति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उठाए गए किसी भी मुद्दे पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

समिति ने कहा, ‘‘संबंधित मंत्रालयों को उनके द्वारा संचालित परियोजनाओं की निरंतर निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करना चाहिए।’’ रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने इस बात पर भी जोर दिया कि जहां कहीं भी पीड़िता को वित्तीय सहायता या मुआवजे के लिए दिशानिर्देश के तहत प्रावधान है, बिना किसी प्रक्रियात्मक बाधाओं और अनुचित विलंब के उन्हें मुआवजा सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

समिति ने निर्भया कोष से वित्त पोषित परियोजनाओं के क्रियान्वयन की ‘‘सुस्त गति’’ पर भी चिंता जताई और उनकी गति तेज करने की आवश्यकता जताई।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बताया कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए संबंधित मंत्रालयों व विभागों के साथ मिलकर नियमित आधार पर परियोजनाओं के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की जाती है।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि इसके लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने से संबंधित सिफारिश पर विचार चल रहा है।

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