पान मसाले पर नया सेस, राज्यों को भी मिलेगा राजस्व का हिस्सा: निर्मला सीतारमण का बड़ा ऐलान

By Renu Tiwari | Dec 04, 2025

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि पान मसाला के उत्पादन पर उपकर लगाने के प्रावधान का मकसद स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना है तथा इससे मिलने वाले राजस्व का एक हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। उन्होंने सदन में ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए यह भी कहा कि इस विधेयक का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा तथा पान मसाला के उपभोग पर 40 प्रतिशत की जीएसटी बरकरार रहेगा।

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सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य दो प्रमुख आयामों स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संसाधनों का स्रोत तैयार करना है। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरत होती है कि सतत निवेश हो। यह उपकर आवश्यक वस्तुओं पर नहीं लगाया जाएगा। यह सिर्फ ऐसी हानिकारक वस्तुओं पर लगाया जाएगा, जो स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालती हैं।’’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इस उपकर को लगाने से पान मसाला का दाम बढ़ेगा तो इन्हें खाने में रुकावट पैदा होगी। इससे जो राजस्व मिलेगा उसमें से एक हिस्सा राज्यों को भी देने का प्रावधान किया गया है ताकि वे स्वास्य संबंधी योजनाओं में इसका उपयोग कर सकें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पान मसाला को लेकर जीएसटी की जो व्यवस्था है, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। जीएसटी के तहत पान मसाला के उपभोग पर सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत कर भी लगाया जा रहा है।’’

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‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ पान मसाला पर लगाए जाने वाले क्षतिपूर्ति उपकर की जगह लेगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े खर्चों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना है। इसके तहत उन मशीनों या प्रक्रियाओं पर उपकर लगाया जाएगा, जिनके माध्यम से उक्त वस्तुओं का निर्माण या उत्पादन किया जाता है।

जब एक जुलाई 2017 को जीएसटी की शुरूआत हुई थी तो जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए 30 जून 2022 तक पांच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति उपकर की व्यवस्था लागू की गई थी। क्षतिपूर्ति उपकर की व्यवस्था को बाद में 31 मार्च 2026 तक चार साल के लिए बढ़ा दिया गया था और इसके संग्रह का उपयोग उस ऋण को चुकाने के लिए किया जा रहा है जो केंद्र ने राज्यों को कोविड महामारी की अवधि के दौरान जीएसटी राजस्व हानि की भरपाई के लिए लिया था।

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