By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 11, 2021
जल्द ही आपको राजनीतिक दलों की वेबसाइटों का होमपेज बदला-बदला नजर आयेगा। होमपेज पर अब राष्ट्रीय नेताओं की बड़ी-बड़ी तस्वीरों के साथ उस पार्टी के उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत का ब्यौरा भी मौजूद होगा। देश के शीर्ष न्यायालय ने इस संबंध में एक बड़ा महत्वपूर्ण आदेश दिया है और निश्चित रूप से यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। हालाँकि नियम तो पहले से ही हैं लेकिन राजनीतिक दल उम्मीदवारों के आपराधिक ब्यौरे को पर्दे के पीछे रखने में कामयाब हो जाते थे।
लेकिन अब उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी होगी। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में निर्वाचन आयोग को एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन (ऐप) बनाने का निर्देश भी दिया है जिसमें उम्मीदवारों द्वारा उनके आपराधिक अतीत के बारे में प्रकाशित जानकारी शामिल हो ताकि मतदाता को एक ही बार में अपने मोबाइल फोन पर जानकारी मिल सके। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उच्चतम न्यायालय के 13 फरवरी, 2020 के निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के अनुरोध वाली याचिका पर अपने फैसले में ये निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान पीठ द्वारा सितंबर 2018 और पिछले साल फरवरी में भी जारी निर्देशों को आगे बढ़ाते हुए मतदाताओं के सूचना के अधिकार को अधिक प्रभावी और सार्थक बनाने के लिए और निर्देश जारी करना आवश्यक है। पीठ ने 71 पन्ने के अपने फैसले में कहा, ‘‘राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइटों के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी होती है, जिससे मतदाता के लिए वह जानकारी प्राप्त करना आसान हो जाता है। अब होमपेज पर एक कैप्शन होना भी जरूरी हो जाएगा, जिसमें लिखा होगा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार।’’ पीठ ने उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत के बारे में विवरण प्रस्तुत करने के अपने पहले के निर्देशों में से एक को संशोधित किया। न्यायालय ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे 13 फरवरी 2020 के आदेश के पैरा 4.4 में निर्देश को संशोधित किया जाए और यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन विवरणों को प्रकाशित करना आवश्यक है, उन्हें उम्मीदवार के चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित किया जाएगा, न कि नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से दो सप्ताह से पहले।’’
शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को हर मतदाता को उसके जानने के अधिकार और सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत के बारे में जानकारी की उपलब्धता के बारे में जागरूक करने के लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया। आदेश में कहा गया, ‘‘यह सोशल मीडिया, वेबसाइट, टीवी विज्ञापनों, प्राइम टाइम डिबेट, पर्चा आदि सहित विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए चार सप्ताह की अवधि के भीतर एक कोष बनाया जाना चाहिए, जिसमें अदालत की अवमानना के लिए जुर्माना अदा किया जाएगा।’’