By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 30, 2018
नयी दिल्ली। दलित मुद्दों पर अपनी गंभीरता दिखाने के लिए प्रयासरत केंद्र सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के लिए न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएगी। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोगी राम विलास पासवान ने कहा कि मोदी सरकार दलित संगठनों की मांगों के अनुरूप तीन मुद्दों को सुलझाना चाहती है जिनमें एससी और एसटी के लिए सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण, विश्वविद्यालयों में उनके लिए आरक्षण और उनके खिलाफ अत्याचार पर कानून शामिल हैं। दलित समूहों का कहना है कि इन मामलों पर विभिन्न अदालती आदेशों ने उन पर प्रतिकूल असर डाला है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ सरकार पहले ही पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुकी है , वहीं वह एक न्यायिक आदेश में बदलाव की घोषणा भी कर चुकी है जिसके चलते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए आरक्षित सीटों की गिनती के नियम बदल दिये। दलित संगठनों ने दावा किया कि यूजीसी के दिशानिर्देश के बाद एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में कमी आई है।
पासवान ने कहा कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह , सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत और उनके समेत मंत्रियों के एक समूह की राय है कि सरकार को दोनों समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर भी उच्चतम न्यायालय जाना चाहिए।