By निधि अविनाश | Nov 18, 2021
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण संकट के बीच केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना करते हुए कहा कि, दिल्ली में 5, 7 सितारा होटलों में बैठे लोग आलोचना करते हैं कि वे प्रदूषण में 4, 30 या 40% का योगदान कैसे करते हैं। क्या आपने किसानों की प्रति जोत की कमाई देखी है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली हाई-फाई कार भी एक प्रदूषण का स्रोत है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी को इस बात की चिंता नहीं है कि किसान पराली प्रबंधन के लिए मशीनें खरीद पाएंगे या नहीं। पीठ ने कहा कि, "हमने जो देखा है और देख रहे हैं कि प्रतिशत के बावजूद, किसान की दुर्दशा, वह किन परिस्थितियों में मजबूर है, किन कारणों से वह इन वैज्ञानिक रिपोर्टों का पालन नहीं कर पा रहे है, किसी को इसकी चिंता नहीं है। पीठ ने कहा कि, दिल्ली में फाइव स्टार और सेवेन सेंटर में बैठे लोग किसानों पर आरोप लगाते रहते हैं कि यह उनके कारण है। क्या आपने प्रति भूमि जोत उनकी कमाई देखी है? वे इन मशीनों को कैसे वहन करेंगे? यदि कोई वास्तविक वैज्ञानिक आधारित विकल्प है तो कृपया जाएं और उन्हें मनाएं,"। बता दें कि, पीठ में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत भी शामिल थे।
जानकारी के लिए बता दें कि, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है और इस मुद्दे पर केंद्र के आंकड़ों का हवाला दिया जाना चाहिए। उन्होंने पीठ को पूसा बायो-डीकंपोजर सॉल्यूशन के बारे में बताया, जिससे धान की पराली को सड़ने में मदद मिलने की सहायता होगी।