तुगलकी फरमान नोटबंदी के लिए देश से माफी मांगे PM मोदी: कांग्रेस

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 29, 2018

नयी दिल्ली। नोटबंदी के बाद जमा हुए नोटों का आधिकारिक आंकड़ा सामने आने के बाद कांग्रेस ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि ‘तुगलकी फरमान’ के लिए मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए। पार्टी ने यह भी दावा किया कि नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को एक साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने तीन मकसद बताये थे। पहला यह कि आतंकवाद पर चोट लगेगी, दूसरा यह कि जाली मुद्रा पर अंकुश लगेगा और तीसरा यह कि कालाधन वापस आएगा। सवाल यह है कि इस तुगलकी फरमान का क्या नतीजा निकला?’’

 

उन्होंने दावा किया, ‘‘नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था को जीडीपी के 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ। इस हिसाब से एक साल में 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी। इसके अलावा कतारों में खड़े होने की वजह से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई। लाखों लोग बेरोजगार हो गए।’’ तिवारी ने कहा, ‘‘अगर प्रधानमंत्री में रत्ती भर भी नैतिकता होती तो वह इस्तीफा दे देते, लेकिन उनसे इसकी उम्मीद नहीं की जाती। हमारी मांग है कि अपने इस तुगलकी फरमान के लिए उनको जिम्मेदारी स्वीकारनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए।’’ 

 

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि नोटबंदी की वजह से देश को 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए सवाल किया, ‘‘याद करिए कि किसने कहा था कि तीन लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आएंगे और यह सरकार के लिए लाभ होगा?’’ पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'आरबीआई की रिपोर्ट से फिर साबित हो गया कि नोटबंदी व्यापक स्तर की 'मोदी मेड डिज़ास्टर' थी। चलन से बाहर हुए 99.30 फीसदी नोट वापस आ गये हैं।'

 

रिजर्व बैंक की ओर से जारी ताजा आंकड़े के अनुसार नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है। नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं। इसका मतलब है कि बंद नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं आए हैं। 

 

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