कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहन की जरूरत, Processed Food के वैश्विक मार्केट में करना होगा विस्तार

By अंकित सिंह | Mar 01, 2021

बजट में कृषि क्षेत्र के लिए की गई घोषणाओं पर वेबिनार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत में 21वीं सदी के दौरान फसल कटाई के बाद, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में और मूल्य वर्धन के क्षेत्र में क्रांति लाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के शोध एवं विकास कार्यों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने का समय आ गया है। मोदी ने कहा हमें कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। लगातार बढ़ते हुए कृषि उत्पादन के बीच, 21वीं सदी में भारत को Post Harvest क्रांति या फिर Food Processing क्रांति और Value Addition की आवश्यकता है। देश के लिए बहुत अच्छा होता अगर ये काम दो-तीन दशक पहले ही कर लिया गया होता। किसानों को ऋण, बीज और बाजार, खाद ये किसान की प्राथमिक जरूरत है, जो उसे समय पर चाहिए। बीते वर्षों में किसान क्रेडिट कार्ड छोटे से छोटे किसानों तक, पशुपालकों से लेकर मछुआरों तक इसका दायरा बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमें कृषि के हर सेक्टर में हर खाद्यान्न, फल, सब्जी, मत्स्य सभी में प्रोसेसिंग पर विशेष ध्यान देना है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांवों के पास ही स्टोरेज की आधुनिक सुविधा मिले। खेत से प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचने की व्यवस्था सुधारनी ही होगी। उन्होंने कहा कि हमें देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का, Processed Food के वैश्विक मार्केट में विस्तार करना ही होगा। हमें गांव के पास ही Agro-Industries Clusters की संख्या बढ़ानी ही होगी ताकि गांव के लोगों को गांव में ही खेती से जुड़े रोजगार मिल सकें। हमारे यहां कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग लंबे समय से किसी न किसी रूप में की जा रही है। हमारी कोशिश होनी चाहिए की कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग सिर्फ व्यापार बनकर न रहे। बल्कि उस जमीन के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी हम निभाएं। 

 

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प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत किसान रेल के लिए सभी फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। किसान रेल भी आज देश के कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क का सशक्त माध्यम बनी है। खेती से जुड़ा एक और अहम पहलू सॉइल टेस्टिंग का है। बीते वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। अब हमें देश में सॉइल हेल्थ कार्ड की टेस्टिंग की सुविधा गांव-गांव तक पहुंचानी है। एग्रीकल्चर सेक्टर में R&D को लेकर ज्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का ही है। अब समय आ गया है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़े। हमें अब किसानों को ऐसे विकल्प देने हैं जिसमें वो गेहूं-चावल उगाने तक ही सीमित न रहे। मोटे अनाज के लिए भारत की एक बड़ी जमीन बहुत उपयोगी है। मोटे अनाज की डिमांड पहले ही दुनिया में बहुत अधिक थी, अब कोरोना के बाद ये इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बहुत प्रसिद्ध हो चुका है। इस तरफ किसानों को प्रोत्साहित कराना भी फूड इंडस्ट्री के साथियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।

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